rashmi rekh
गुरुवार, 3 दिसंबर 2015
प्रथम-भोर...
ज़रा विसाल के बाद आइना तो देख ऐ! दोस्त,
तेरे जमाल की दोशीज़गी निखर आयी ||
- फ़िराक गोरखपुरी.
प्रथम-भोर...
- अरुण मिश्र
(पूर्वप्रकाशित )
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