https://youtu.be/mcu5tHSjd_Q
कल्पानोकहपुष्पजालविलसन्नीलालकां मातृकां
कांतां कंजदलेक्षणां कलिमलप्रध्वंसिनीं कालिकाम् ।
कांचीनूपुरहारदामसुभगां कांचीपुरीनायिकां
कामाक्षीं करिकुंभसन्निभकुचां वंदे महेशप्रियाम् ॥ 1 ॥
काशाभां शुकभासुरां प्रविलसत्कोशातकी सन्निभां
चंद्रार्कानललोचनां सुरुचिरालंकारभूषोज्ज्वलाम् ।
ब्रह्मश्रीपतिवासवादिमुनिभिः संसेवितांघ्रिद्वयां
कामाक्षीं गजराजमंदगमनां वंदे महेशप्रियाम् ॥ 2 ॥
ऐं क्लीं सौरिति यां वदंति मुनयस्तत्त्वार्थरूपां परां
वाचामादिमकारणं हृदि सदा ध्यायंति यां योगिनः ।
बालां फालविलोचनां नवजपावर्णां सुषुम्नाश्रितां
कामाक्षीं कलितावतंससुभगां वंदे महेशप्रियाम् ॥ 3 ॥
यत्पादांबुजरेणुलेशमनिशं लब्ध्वा विधत्ते विधि-
-र्विश्वं तत्परिपाति विष्णुरखिलं यस्याः प्रसादाच्चिरम् ।
रुद्रः संहरति क्षणात्तदखिलं यन्मायया मोहितः
कामाक्षीमतिचित्रचारुचरितां वंदे महेशप्रियाम् ॥ 4 ॥
सूक्ष्मात्सूक्ष्मतरां सुलक्षिततनुं क्षांताक्षरैर्लक्षितां
वीक्षाशिक्षितराक्षसां त्रिभुवनक्षेमंकरीमक्षयाम् ।
साक्षाल्लक्षणलक्षिताक्षरमयीं दाक्षायणीं साक्षिणीं
कामाक्षीं शुभलक्षणैः सुललितां वंदे महेशप्रियाम् ॥ 5 ॥
ॐकारांगणदीपिकामुपनिषत्प्रासादपारावतीं
आम्नायांबुधिचंद्रिकामघतमःप्रध्वंसहंसप्रभाम् ।
कांचीपट्टणपंजरांतरशुकीं कारुण्यकल्लोलिनीं
कामाक्षीं शिवकामराजमहिषीं वंदे महेशप्रियाम् ॥ 6 ॥
ह्रींकारात्मकवर्णमात्रपठनादैंद्रीं श्रियं तन्वतीं
चिन्मात्रां भुवनेश्वरीमनुदिनं भिक्षाप्रदानक्षमाम् ।
विश्वाघौघनिवारिणीं विमलिनीं विश्वंभरां मातृकां
कामाक्षीं परिपूर्णचंद्रवदनां वंदे महेशप्रियाम् ॥ 7 ॥
वाग्देवीति च यां वदंति मुनयः क्षीराब्धिकन्येति च
क्षोणीभृत्तनयेति च श्रुतिगिरो यां आमनंति स्फुटम् ।
एकानेकफलप्रदां बहुविधाऽऽकारास्तनूस्तन्वतीं
कामाक्षीं सकलार्तिभंजनपरां वंदे महेशप्रियाम् ॥ 8 ॥
मायामादिमकारणं त्रिजगतामाराधितांघ्रिद्वयां
आनंदामृतवारिराशिनिलयां विद्यां विपश्चिद्धियाम् ।
मायामानुषरूपिणीं मणिलसन्मध्यां महामातृकां
कामाक्षीं करिराजमंदगमनां वंदे महेशप्रियाम् ॥ 9 ॥
कांता कामदुघा करींद्रगमना कामारिवामांकगा
कल्याणी कलितावतारसुभगा कस्तूरिकाचर्चिता
कंपातीररसालमूलनिलया कारुण्यकल्लोलिनी
कल्याणानि करोतु मे भगवती कांचीपुरीदेवता ॥ 10॥
इति श्री कामाक्षी स्तोत्रम् ।
कामाक्षी स्तोत्रम् आदिशंकर द्वारा रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जिसमें देवी कामाक्षी की महिमा का वर्णन किया गया है. इसका पाठ करने से मन को शांति मिलती है, और जीवन से बुराइयां दूर होती हैं. कामाक्षी स्तोत्रम् के श्लोक कामाक्षी देवी की सुंदरता, शक्ति और कृपा का वर्णन करते हैं.
यहां कामाक्षी स्तोत्रम् के कुछ श्लोक और उनका हिंदी अनुवाद दिया गया है:
श्लोक 1:
कान्तां कञ्ज दलेक्षणां कलि मल प्रध्वंसिनीं कालिकाम् ।
कामाक्षीं करिकुम्भ सन्निभ कुचां वन्दे महेश प्रियाम् ॥ 1 ॥
• अर्थ:कमल के पत्तों के समान आँखों वाली, कलियुग के पापों को नष्ट करने वाली, और हाथी के कुम्भस्थल के समान विशाल कुचों वाली, शिव की प्रिय देवी कामाक्षी को मेरा नमस्कार है.
श्लोक 2:
चन्द्रार्कानल लोचनां सुरुचिरालंकार भूषोज्ज्वलाम् ।
कामाक्षीं गजराज मन्द गमनां वन्दे महेश प्रियाम् ॥ 2 ॥
• अर्थ:चंद्रमा, सूर्य और अग्नि के समान नेत्रों वाली, सुंदर अलंकारों से सजी हुई, और हाथी के समान मंद गति से चलने वाली, शिव की प्रिय देवी कामाक्षी को मेरा नमस्कार है.
श्लोक 3:
वाचामादिम कारणं हृदि सदा ध्यायन्ति यां योगिनः ।
कामाक्षीं कलितावतंस सुभगां वन्दे महेशप्रियाम् ॥ 3 ॥
• अर्थ:योगिजन हृदय में जिन्हें वाच (वाणी) का आदि कारण समझकर ध्यान करते हैं, और आभूषणों को धारण करने वाली सुभग कामाक्षी को मेरा नमस्कार है.
श्लोक 4:
विश्वं तत् परिपाति विष्णुरखिलं यस्याः प्रसादाच्चिरम् ।
कामाक्षीं अति चित्र चारु चरितां वन्दे महेशप्रियाम् ॥ 4 ॥
• अर्थ:जिनके प्रसाद से विष्णु लंबे समय तक संपूर्ण विश्व का पालन करते हैं, ऐसी अत्यंत विचित्र और सुंदर चरित्र वाली, शिव की प्रिय देवी कामाक्षी को मेरा नमस्कार है.
श्लोक 10:
कल्याणानि करोतु मे भगवती काञ्ची पुरी देवता ॥ 10 ॥
• अर्थ:कांचीपुरी की देवी कल्याण करें.
यह पूरा स्तोत्र आदिशंकर के द्वारा लिखा गया है. इस स्तोत्र का नियमित जाप करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में स्वस्थता, धन-समृद्धि आती है.
यहां कामाक्षी स्तोत्रम् के कुछ श्लोक और उनका हिंदी अनुवाद दिया गया है:
श्लोक 1:
कान्तां कञ्ज दलेक्षणां कलि मल प्रध्वंसिनीं कालिकाम् ।
कामाक्षीं करिकुम्भ सन्निभ कुचां वन्दे महेश प्रियाम् ॥ 1 ॥
• अर्थ:कमल के पत्तों के समान आँखों वाली, कलियुग के पापों को नष्ट करने वाली, और हाथी के कुम्भस्थल के समान विशाल कुचों वाली, शिव की प्रिय देवी कामाक्षी को मेरा नमस्कार है.
श्लोक 2:
चन्द्रार्कानल लोचनां सुरुचिरालंकार भूषोज्ज्वलाम् ।
कामाक्षीं गजराज मन्द गमनां वन्दे महेश प्रियाम् ॥ 2 ॥
• अर्थ:चंद्रमा, सूर्य और अग्नि के समान नेत्रों वाली, सुंदर अलंकारों से सजी हुई, और हाथी के समान मंद गति से चलने वाली, शिव की प्रिय देवी कामाक्षी को मेरा नमस्कार है.
श्लोक 3:
वाचामादिम कारणं हृदि सदा ध्यायन्ति यां योगिनः ।
कामाक्षीं कलितावतंस सुभगां वन्दे महेशप्रियाम् ॥ 3 ॥
• अर्थ:योगिजन हृदय में जिन्हें वाच (वाणी) का आदि कारण समझकर ध्यान करते हैं, और आभूषणों को धारण करने वाली सुभग कामाक्षी को मेरा नमस्कार है.
श्लोक 4:
विश्वं तत् परिपाति विष्णुरखिलं यस्याः प्रसादाच्चिरम् ।
कामाक्षीं अति चित्र चारु चरितां वन्दे महेशप्रियाम् ॥ 4 ॥
• अर्थ:जिनके प्रसाद से विष्णु लंबे समय तक संपूर्ण विश्व का पालन करते हैं, ऐसी अत्यंत विचित्र और सुंदर चरित्र वाली, शिव की प्रिय देवी कामाक्षी को मेरा नमस्कार है.
श्लोक 10:
कल्याणानि करोतु मे भगवती काञ्ची पुरी देवता ॥ 10 ॥
• अर्थ:कांचीपुरी की देवी कल्याण करें.
यह पूरा स्तोत्र आदिशंकर के द्वारा लिखा गया है. इस स्तोत्र का नियमित जाप करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में स्वस्थता, धन-समृद्धि आती है.
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