रविवार, 28 सितंबर 2025

जयति जयति जगत्जननी.../ गुजराती / रचना : रमण द्विवेदी / गायन : आदित्य गढ़वी

https://youtu.be/50SB49UtsbE  

विश्वंभरी अखिल विश्व तनी जनेता

विद्या धरी वदन मा वस जो विधाता

दुर्बुद्धि ने दूर करी सदबुद्धि आपो

माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो


भूलो पड़ी भवर ने भटकू भवानी

सूझे नहीं लगिर कोई दिशा जवानी

भासे भयंकर वाली मन ना उतापो

माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो


आ रंकने उगरवा नथी कोई आरो

जन्मांड छू जननी हु ग्रही बाल तारो

ना शु सुनो भगवती शिशु ना विलापो

माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो


माँ कर्म जन्मा कथनी करता विचारू

आ स्रुष्टिमा तुज विना नथी कोई मारू

कोने कहू कथन योग तनो बलापो

माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो


हूँ काम क्रोध मद मोह थकी छकेलो

आदम्बरे अति घनो मदथी बकेलो

दोषों थकी दूषित ना करी माफ़ पापो

माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो


ना शाश्त्रना श्रवण नु पयपान किधू

ना मंत्र के स्तुति कथा नथी काई किधू

श्रद्धा धरी नथी करा तव नाम जापो

माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो


रे रे भवानी बहु भूल थई छे मारी

आ ज़िन्दगी थई मने अतिशे अकारि

दोषों प्रजाली सगला तवा छाप छापो

माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो


खाली न कोई स्थल छे विण आप धारो

ब्रह्माण्ड मा अणु-अणु महि वास तारो

शक्तिन माप गणवा अगणीत मापों

माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो


पापे प्रपंच करवा बधी वाते पुरो

खोटो खरो भगवती पण हूँ तमारो

जद्यान्धकार दूर करी सदबुध्ही आपो

माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो


शीखे सुने रसिक चंदज एक चित्ते

तेना थकी विविधः ताप तळेक चिते

वाधे विशेष वली अंबा तना प्रतापो

माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो


श्री सदगुरु शरण मा रहीने भजु छू

रात्री दिने भगवती तुज ने भजु छू

सदभक्त सेवक तना परिताप छापो

माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो


अंतर विशे अधिक उर्मी तता भवानी

गाऊँ स्तुति तव बले नमिने मृगानी

संसारना सकळ रोग समूळ कापो

माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

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