रविवार, 26 जनवरी 2025

सूर्यमण्डलस्तोत्रं.../ भविष्योत्तरपुराण / श्रीकृष्णार्जुनसंवाद /

https://youtu.be/32TGOFRIVmE. 

नमोऽस्तु सूर्याय सहस्र रश्मये सहस्र शाखान्वित सम्भवात्मने।
सहस्र योगोद्भव भाव भागिने सहस्रस ङ्ख्या युग धारिणे नमः॥

यन्मण्डलम् दीप्ति करम् विशालम् रत्न प्रभम् तीव्रमनादि रूपम्।
दारिद्र्य दुःख क्षय कारणम् च पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥१॥

यन्मण्डलम् देवगणैः सुपूजितम् विप्रैः स्तुतम् भावनमुक्तिकोविदम्।
तम् देवदेवम् प्रणमामि सूर्यम् पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥२॥

यन्मण्डलम् ज्ञान घनम् त्व गम्यम् त्रैलोक्य पूज्यम् त्रिगुणात्म रूपम्।
समस्त-तेजोमय-दिव्यरूपम् पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥३॥

यन्मण्डलम् गूढ मति प्रबोधम् धर्मस्य वृद्धिम् कुरुते जनानाम्।
यत्सर्व पाप क्षय कारणम् च पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥४॥

यन्मण्डलम् व्याधि विनाश दक्षम् यदृग्यजुःसामसु सम्प्रगीतम्।
प्रकाशितम् येन च भूर्भुवः स्वः पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥५॥

यन्मण्डलम् वेद विदो वदन्ति गायन्ति यच्चारण-सिद्धसङ्घाः।
यद्योगिनो योगजुषाम् च सङ्घाः पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥६॥

यन्मण्डलम् सर्वजनैश्च पूजितम् ज्योतिश्च कुर्यादिह मर्त्यलोके।
यत्काल काला द्यमनादि रूपम् पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥७॥

यन्मण्डलम् विष्णु चातु र्मुखाख्यम् यदक्षरम् पापहरम् जनानाम्।
यत्काल कल्प क्षय कारणम् च पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥८॥

यन्मण्डलम् विश्व सृजम् प्रसिद्धमुत्पत्ति-रक्षा-प्रलय-प्रगल्भम्।
यस्मिञ्जगत्संहरतेऽखिलम् च पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥९॥

यन्मण्डलम् सर्वगतस्य विष्णोरात्मा परम् धाम विशुद्धतत्त्वम्।
सूक्ष्मान्तरैर्योगपथानुगम्यम् पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥१०॥

यन्मण्डलम् वेद विदो वदन्ति गायन्ति यच्चारण-सिद्धसङ्घाः।
यन्मण्डलम् वेद विदः स्मरन्ति पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥११॥

यन्मण्डलम् वेद विदोप गीतम् यद्योगिनाम् योग पथानुगम्यम्।
तत्सर्व वेद्यम् प्रणमामि सूर्यम् पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥१२॥

सूर्य मण्डल सु स्त्रोत्रम् यः पठेत् सततम् नरः।
सर्व पाप विशुद्धात्मा सूर्यलोके महीयते॥१३॥

॥इति श्री भविष्योत्तरपुराणे 
श्रीकृष्णार्जुनसंवादे सूर्यमण्डलस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥

मंगलवार, 21 जनवरी 2025

त्रिवेणी स्तोत्रम्.../ आदि शंकराचार्य विरचित / स्वर : माधवी मधुकर झा

https://youtu.be/6hqLD8D2r0Q  
मुक्तामयालङ्कृतमुद्रवेणी भक्ताभयत्राणसुबद्धवेणी।
 मत्तालिगुञ्जन्मकरन्दवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥१॥
 
लोकत्रयैश्वर्यनिदानवेणी तापत्रयोच्चाटनबद्धवेणी। 
धर्मा-ऽर्थकामाकलनैकवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥२॥

 मुक्ताङ्गनामोहन-सिद्धवेणी भक्तान्तरानन्द-सुबोधवेणी।
 वृत्त्यन्तरोद्वेगविवेकवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥३॥

 दुग्धोदधिस्फूर्जसुभद्रवेणी नीलाम्रशोभाललिता च वेणी।
 स्वर्णप्रभाभासुरमध्यवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥४॥

 विश्वेश्वरोत्तुङ्गकपर्दिवेणी विरिञ्चिविष्णुप्रणतैकवेणी।
 त्रयीपुराणा सुरसार्धवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥५॥

 माङ्गल्यसम्पत्तिसमृद्धवेणी मात्रान्तरन्यस्तनिदानवेणी।
 परम्परापातकहारिवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥६॥

 निमज्जदुन्मज्जमनुष्यवेणी त्रयोदयोभाग्यविवेकवेणी।
 विमुक्तजन्माविभवैकवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥ ७॥

सौन्दर्यवेणी सुरसार्धवेणी माधुर्यवेणी महनीयवेणी। 
रत्नैकवेणी रमणीयवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी।॥८॥

 सारस्वताकार-विघातवेणी कालिन्दकन्यामयलक्ष्यवेणी।
 भागीरथीरूप-महेशवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी ॥९॥

श्रीमद्भवानीभवनैकवेणी लक्ष्मीसरस्वत्यभिमानवेणी।
 माता त्रिवेणी त्रयीरत्नवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी।।१०।।

त्रिवेणीदशकं स्तोत्रं प्रातर्नित्यं पठेन्नरः। 
तस्य वेणी प्रसन्ना स्याद् विष्णुलोकं स गच्छति ॥ ११॥

शनिवार, 18 जनवरी 2025

प्रयाग अष्टकम.../ मत्स्य पुराण / स्वर : माधवी मधुकर झा

https://youtu.be/Ly8xB5I2qLs?si=SZij6gzn72pkeUPt

श्रीगणेशाय नमः

मुनय ऊचुः 

सुरमुनिदितिजेन्द्रैः सेव्यते योऽस्ततन्द्रैर्गुरुतदुरितानां का कथा मानवानाम् ।
स भुवि सुकृतकर्तुर्वाञ्छितावाप्तिहेतुर्जयति विजितयागस्तीर्थराजः प्रयागः ॥ १॥

श्रुतिः प्रमाणं स्मृतयः प्रमाणं पुराणमप्यत्र परं प्रमा णम् । 
यत्रास्ति गङ्गा यमुना प्रमाणं स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ २॥

न यत्र योगाचरणप्रतीक्षा न यत्र यज्ञेष्टिविशिष्टदीक्षा । 
न तारकज्ञानगुरोरपेक्षा स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ ३॥

चिरं निवासं न समीक्षते यो ह्युदारचित्तः प्रददाति च क्रमात् । 
यः कल्पिताथांर्श्च ददाति पुंसः स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ ४॥

यत्राप्लुतानां न यमो नियन्ता यत्रास्थितानां सुगतिप्रदाता । 
यत्राश्रितानाममृतप्रदाता स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ ५॥

पुर्यः सप्त प्रसिद्धाः प्रतिवचनकरीस्तीर्थराजस्य नार्यो नैकटयान्मुक्तिदाने प्रभवति सुगुणा काश्यते ब्रह्म यस्याम् । 
सेयं राज्ञी प्रधाना प्रियवचनकरी मुक्तिदानेन युक्ता येन ब्रह्माण्डमध्ये स जयति सुतरां तीर्थराजः प्रयागः ॥ ६॥

तीर्थावली यस्य तु कण्ठभागे दानावली वल्गति पादमूले । 
व्रतावली दक्षिणपादमूले स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ ७॥

आज्ञापि यज्ञाः प्रभवोऽपि यज्ञाः सप्तर्षिसिद्धाः सुकृतानभिज्ञाः । 
विज्ञापयन्तः सततं हि काले स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ ८॥

सितासिते यत्र तरङ्गचामरे नद्यौ विभाते मुनिभानुकन्यके । 
लीलातपत्रं वट एक साक्षात्स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ ९॥

तीर्थराजप्रयागस्य माहात्म्यं कथयिष्यति ।
शृण्वतः सततं भक्त्या वाञ्छितं फलमाप्नुयात् ॥ १०॥

जय जय जय गिरिराज किसोरी.../ गोस्वामी तुलसीदास / गायन : विदुषी अश्विनी भिड़े देशपाण्डे

https://youtu.be/fhLnXSSUOp8 

जय जय जय गिरिराज किसोरी।
जय महेस मुख चंद चकोरी॥

जय गजबदन षडानन माता।
जगत जननि दामिनी दुति गाता॥

नहिं तव आदि, मध्य, अवसाना।
अमित प्रभाउ वेदु नहिं जाना।।

भव भव विभव पराभव कारिणि।
विश्व विमोहिनि स्ववश विहारिणि।।

सोमवार, 13 जनवरी 2025

सिव हो उतरब पार कओन बिधि.../ महाकवि विद्यापति / गायन : शारदा सिन्हा

https://youtu.be/DZsMCPX2Z7Q?si=zjWAYbn0TF1VGDwf


सिव हो उतरब पार कओन बिधि।

लोढब कुसुम तोरब बेल पात।
पुजब सदासिब गौरिक सात॥

बसहा चढ़ल सिव फिरहूँ मसान।
भँगिया जरठ दरदो नहिं जान॥

जप-तप नहिं कैलहुँ नित दान।
बित गेला तिन पन करईत आन॥

भन विद्यापति सुन हे महेस।
निरधन जानि के हरहु कलेस॥


हे शिव। मैं भवसागर से किस प्रकार पार उतर सकूँगा। 
मैं पुष्प चुनूँगा, बेल-पत्र और नैवेद्यों के द्वारा सनातन 
शिव की, उनकी अभिन्न शक्तिरूपा पार्वती के साथ 
पूजा करूँगा। हे शिव! आप बैल पर आरूढ़ होकर 
श्मशान भूमि में घूमते फिरते हो; आप भंग के नशे 
में उन्मत्त रहते हैं, इसलिए मुझ आराधक की पीड़ा 
तक से अनवगत हैं। हे प्रभो! मैंने अपने जीवन में 
न तो तुम्हारे नाम का ही स्मरण किया है और न ही 
कठिन तप ही किया है। इसके अतिरिक्त न ही मैंने 
दूसरों की हित-साधना के लिए अपनी किंचित-मात्र 
भी सुख-सुविधा की अर्पणा की है अर्थात् मुझसे 
प्रतिदिन का दान भी देते नहीं बन पड़ा है। मेरे 
जीवन की तीनों अवस्थाएँ-बालापन, यौवन तथा 
वृद्धपन इस जप-तप-दान की पुण्य-त्रयी के बिना 
ही व्यतीत हुआ है। विद्यापति कहते हैं कि हे महेश! 
मेरी प्रार्थना सुनिए। आप मुझे नितांत अकिंचन 
जान कर ही मेरे क्लेशों का हरण कीजिए।

गुरुवार, 2 जनवरी 2025

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए.../ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ / गायन : बेग़म अख़्तर

https://youtu.be/GUwKTWQOKL0   

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
इस के बा'द आए जो अज़ाब आए

बाम-ए-मीना से माहताब उतरे
दस्त-ए-साक़ी में आफ़्ताब आए

हर रग-ए-ख़ूँ में फिर चराग़ाँ हो
सामने फिर वो बे-नक़ाब आए

उम्र के हर वरक़ पे दिल की नज़र
तेरी मेहर-ओ-वफ़ा के बाब आए

कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए

न गई तेरे ग़म की सरदारी
दिल में यूँ रोज़ इंक़लाब आए

जल उठे बज़्म-ए-ग़ैर के दर-ओ-बाम
जब भी हम ख़ानुमाँ-ख़राब आए

इस तरह अपनी ख़ामुशी गूँजी
गोया हर सम्त से जवाब आए

'फ़ैज़' थी राह सर-ब-सर मंज़िल
हम जहाँ पहुँचे कामयाब आए