बुधवार, 19 फ़रवरी 2025

किसी दर्दमंद के काम आ किसी डूबते को उछाल दे.../ गायन : मुहम्मद नवाज़ / सूफ़ी अताउल्लाह सत्तारी

https://youtu.be/MpQ5r6qqvq0  


किसी दर्दमंद के काम आ किसी डूबते को उछाल दे
ये निगाह-ए-मस्त की मस्तियाँ किसी बद-नसीब पे डाल दे


मुझे मस्जिदों की ख़बर नहीं मुझे मंदिरों का पता नहीं
मिरी 'आजिज़ी को क़ुबूल कर मुझे और दर्द-ओ-मलाल दे

ये मय-कशी का ग़ुरूर है ये मेरे दिल का सुरूर है
मेरे मय-कदा को दवाम हो मेरे साक़ियों को जमाल दे

मैं तिरे विसाल को क्या करूँ मेरी वहशतों की ये मौत है
हो तिरा जुनूँ मुझे पुर-'अता मुझे जन्नतों से निकाल दे

सोमवार, 17 फ़रवरी 2025

अम्बा स्तवम् / ब्रह्मर्षि सदाशिवन् / प्रस्तुति : कुलदीप पई

https://youtu.be/O_0PVXI4RJ0?si=zHvdORjmbp51Sqg1

वन्देऽहन्तेऽनन्ते सुपदर -
विन्दे विन्दे शन्ते निजसुख -
कन्देऽमन्दे स्पन्दे शुभकरि 
बहुदयहृदययुते ।


मायेऽमेये लीये पुरहर -
जायेऽजेये ज्ञेये ननु भव -
दीये ध्येयेऽभ्येये निरुपम -
पदि हृदि मृदितमृते ॥


रुन्धे हतनतबन्धे मम हृदयन्ते स्मितजितकुन्दे
अमलतररूपेऽपापे दीपे भवकूपे पतितं व्यथितं 
देवि समुद्धर करुणाजलराशे सुरुचिरवेषे ।


धीरे वीरे शूरे सदमृत -
धारे तारेऽसारे बत भव -
कारागारे घोरे निपतित -
मव शिशुमतुलबले ।


अम्बालम्बे लम्बोदरपरि -
पाले बाले काले खलुजग -
दीशे धीशेऽनीशे हृदि शिव -
मनुमनुदिनममले ॥ 


शिष्टहितैषिणि दुष्टविनाशिनि 
कष्टविभेदिनि दृष्टिविनोदिनि 
सङ्कटकण्टकभिन्दनकुशलकले सकले सबले 
श्रद्धाबद्धे न्यस्ताभयहस्ते सुरगणविनुते


श्रेष्ठे प्रेष्ठे ज्येष्ठे हिमगिरि -
पुष्टे जुष्टे तिष्ठे: शिवपरि -
निष्ठे स्पष्टे हृष्टे मम हृदि 
मुनिजननुतिमुदिते ।


आद्ये वेद्ये वैद्ये त्रिजगति 
रामे वामे श्यामे कुरु करु -
णान्ते दान्ते शान्ते भयहर - 
भगवति सति शिवदे ॥

रविवार, 16 फ़रवरी 2025

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं.../ जिगर मुरादाबादी / गायन : किरन शुक्ला

 https://youtu.be/B9MHtlKTvBw  

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं

दुनिया-ए-दिल तबाह किए जा रहा हूँ मैं
सर्फ़-ए-निगाह-ओ-आह किए जा रहा हूँ मैं

फ़र्द-ए-अमल सियाह किए जा रहा हूँ मैं
रहमत को बे-पनाह किए जा रहा हूँ मैं

ऐसी भी इक निगाह किए जा रहा हूँ मैं
ज़र्रों को मेहर-ओ-माह किए जा रहा हूँ मैं

मुझ से लगे हैं इश्क़ की अज़्मत को चार चाँद
ख़ुद हुस्न को गवाह किए जा रहा हूँ मैं

दफ़्तर है एक मानी-ए-बे-लफ़्ज़-ओ-सौत का
सादा सी जो निगाह किए जा रहा हूँ मैं

आगे क़दम बढ़ाएँ जिन्हें सूझता नहीं
रौशन चराग़-ए-राह किए जा रहा हूँ मैं

मासूमी-ए-जमाल को भी जिन पे रश्क है
ऐसे भी कुछ गुनाह किए जा रहा हूँ मैं

तन्क़ीद-ए-हुस्न मस्लहत-ए-ख़ास-ए-इश्क़ है
ये जुर्म गाह गाह किए जा रहा हूँ मैं

उठती नहीं है आँख मगर उस के रू-ब-रू
नादीदा इक निगाह किए जा रहा हूँ मैं

गुलशन-परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़
काँटों से भी निबाह किए जा रहा हूँ मैं

यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तिरे बग़ैर
जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं

मुझ से अदा हुआ है 'जिगर' जुस्तुजू का हक़
हर ज़र्रे को गवाह किए जा रहा हूँ मैं

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025

उन की तरफ़ से तर्क-ए-मुलाक़ात हो गई.../ शायर : क़मर जलालवी / गायन : हदीका कियानी

https://youtu.be/x-fsPm9e2eg  


उन की तरफ़ से तर्क-ए-मुलाक़ात हो गई
हम जिस से डर रहे थे वही बात हो गई

आईना देखने में नई बात हो गई
उन से ही आज उन की मुलाक़ात हो गई

तय उन से रोज़-ए-हश्र मुलाक़ात हो गई
इतनी सी बात कितनी बड़ी बात हो गई

कम-ज़र्फ़ी-ए-हयात से तंग आ गया था मैं
अच्छा हुआ क़ज़ा से मुलाक़ात हो गई

दिन में भटक रहे हैं जो मंज़िल की राह से
ये लोग क्या करेंगे अगर रात हो गई

आए हैं वो मरीज़-ए-मोहब्बत को देख कर
आँसू बता रहे हैं कोई बात हो गई

था और कौन पूछने वाला मरीज़ का
तुम आ गए तो पुर्सिश-ए-हालात हो गई

ऐ बुलबुल-ए-बहार-ए-चमन अपनी ख़ैर माँग
सय्याद-ओ-बाग़बाँ में मुलाक़ात हो गई

जब ज़ुल्फ़ याद आ गई यूँ अश्क बह गए
जैसे अँधेरी रात में बरसात हो गई

गुलशन का होश अहल-ए-जुनूँ को भला कहाँ
सहरा में पड़ रहे तो बसर रात हो गई

दर-पर्दा बज़्म-ए-ग़ैर में दोनों की गुफ़्तुगू
उट्ठी उधर निगाह इधर बात हो गई

कब तक 'क़मर' हो शाम के वा'दे का इंतिज़ार
सूरज छुपा चराग़ जले रात हो गई

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025

ऐसी मांग गोविंद ते.../ गुरुबानी / गायन : बीर सिंह

https://youtu.be/KFuMLI0UQVc  

ऐसी मांग गोविंद ते।।

Beg for such blessings from the Lord of the Universe:

टहल सन्तन की संग साधू का
हर नामा जप परम गते।।

To serve the Saints and be in the company of the Saadh Sangat and the holy. Chanting the Name of the Lord, the supreme status is obtained. ।।1।।

पूजा चरना ठाकुर शरना।।

Worship the Feet of Your Lord and Master, and seek His Sanctuary.

सोई कुसल जे प्रभ जि ओ करना।।१॥

Take joy in whatever God does. ।।1।।

सफल होत यह दुर्लभ देही।।

This precious human body becomes fruitful,

जा को सतगुरु मया करेही।।२॥

When the True Guru shows His Kindness.।।2।।

अज्ञान भरम बिनसै दुख डेरा।।

The house of ignorance, doubt and pain is destroyed,

जा के हिरदय बसिहे गुरु पैरा।।३॥

For those within whose hearts the Guru's Feet abide. ।।3।।

साधसंग  रंग प्रभ ध्याया।।

In the Saadh Sangat, lovingly meditate on God.

कहो नानक तिन पूरा पाया।।४॥

Says Nanak, you shall obtain the Perfect Lord. ।।4।।

रविवार, 9 फ़रवरी 2025

ये जो ज़हर है तिरे क़ुर्ब का मिरे रोम रोम उतार दे.../ शायर : ख़ालिद नदीम शानी / गायन : मुहम्मद नवाज़ भुट्टा

https://youtu.be/iIpiJP_LgjE  

ये जो ज़हर है तिरे क़ुर्ब का मिरे रोम रोम उतार दे
मिरी दास्तान हो मो'तबर मुझे अपने इश्क़ में मार दे


कभी अपने जिस्म को मय बना मुझे क़तरा क़तरा पिलाए जा
मिरी आँख रोज़-ए-जज़ा खुले कोई इस तरह का ख़ुमार दे


तिरी निस्बतों से जुड़ा रहूँ तिरे रास्तों में पड़ा रहूँ
कोई ऐसी हसरत-ए-बे-बहा मिरी धड़कनों से गुज़ार दे


मिरे दोस्ता मिरे किब्रिया मिरी लग़्ज़िशों से हो दरगुज़र
मिरी पस्तियों को उरूज दे मिरे उजड़े दिल को सँवार दे


मिरी आरज़ुओं के सीप का किसी आब-ए-नैसाँ से मेल कर
मुझे आश्ना-ए-विसाल कर मिरी बेकली को क़रार दे


यही अपने शौक़ से कह दिया कभी एक पल नहीं सोचना
जहाँ नक़्श-ए-पा मिले यार का ये मता-ए-जाँ वहीं वार दे