https://youtu.be/XYhXR7Hl3h0
भारत भूषण (८ जुलाई १९२९ - १७ दिसम्बर २०११) हिन्दी के कवि एवं सुकुमार गीतकार थे।शुक्रवार, 29 मार्च 2024
मैं गीत बेचकर घर आया.../ भारत भूषण
सोमवार, 25 मार्च 2024
होली खेल मना रे फागुन के दिन चार रे !.../ मीरा बाई / गायन : मेघा मिश्रा एवं अन्य
https://youtu.be/DMgshSuFGvQ
बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे।
बिन सुर राग छतीसूं गावै रोम रोम रणकार रे॥
सील संतोखकी केसर घोली प्रेम प्रीत पिचकार रे।
उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे॥
घटके सब पट खोल दिये हैं लोकलाज सब डार रे।
मीराके प्रभु गिरधर नागर चरणकंवल बलिहार रे॥
शुक्रवार, 22 मार्च 2024
तुम निश्चिन्त रहना.../ किशन सरोज
https://youtu.be/2jKYI08Q_mk
वे रागात्मक भाव के कवि थे और उनकी अधिकांश रचनाएं राग भाव के
प्रासंगिक स्थितियों पर आधारित हैं। 19 जनवरी 1939 को उत्तर प्रदेश के
बरेली के बल्लिया ग्राम में जन्मे किशन सरोज ने 350 से अधिक प्रेमगीत
लिखे। उन्होंने लम्बी बीमारी के पश्चात ८ जनवरी, २०१९ को अंतिम सांस ली।
कर दिए लो आज गंगा में प्रवाहित
सब तुम्हारे पत्र, सारे चित्र, तुम निश्चिन्त रहना।।
धुन्ध डूबी घाटियों के इन्द्रधनु तुम,
छू गए नत भाल पर्वत हो गया मन।
बून्द भर जल बन गया पूरा समन्दर,
पा तुम्हारा दुख तथागत हो गया मन।
अश्रु जन्मा गीत कमलों से सुवासित,
यह नदी होगी नहीं अपवित्र, तुम निश्चिन्त रहना ।।
दूर हूँ तुमसे न अब बातें उठें,
मैं स्वयं रंगीन दर्पण तोड़ आया।
वह नगर, वे राजपथ, वे चौक-गलियाँ,
हाथ अंतिम बार सबको जोड़ आया।
थे हमारे प्यार से जो-जो सुपरिचित,
छोड़ आया वे पुराने मित्र, तुम निश्चिंत रहना ।।
लो विसर्जन आज वासंती छुअन का,
साथ बीने सीप-शंखों का विसर्जन।
गुँथ न पाए कनुप्रिया के कुंतलों में,
उन अभागे मोर पंखों का विसर्जन।
उस कथा का जो न हो पाई प्रकाशित,
मर चुका है एक-एक चरित्र, तुम निश्चिंत रहना ।।
गुरुवार, 21 मार्च 2024
म्हारो प्रणाम, बांके बिहारी जी.../ सन्त मीरा बाई / राग : यमन / स्वर : शोभा गुर्टू
https://youtu.be/D_urLVPlBu8
बुधवार, 20 मार्च 2024
गणपति तालं.../ गणेश की पारम्परिक स्तुति / स्वर : शारदा राघव
https://youtu.be/Ieu4JOlubXs
मंगलवार, 19 मार्च 2024
कुंज भवन सएँ निकसलि रे रोकल गिरिधारी.../ महाकवि विद्यापति / बटगवनी-श्रृंगार गीत / मैथिल लोक गीत
कुंज भवन सएँ निकसलि रे रोकल गिरिधारी।
एकहि नगर बसु माधव हे जनि करु बटमारी॥
छाड़ कान्ह मोर आँचर रे फाटत नव सारी।
अपजस होएत जगत भारी हे जनि करिअ उघारी॥
संगक सखि अगुआइलरे हम एकसरि नारी।
दामिनि आए तुलाएलि हे एक राति अँधारी॥
भनहि विद्यापति गाओल रे सुनु गुनमति नारी।
हरिक संग किछु डर नहि हे तोंहे परम गमारी॥
कवि नागार्जुन का अनुवाद :
हम एक ही नगर के रहने वाले हैं। कान्हा, आंचल छोड़ दो। मेरी साड़ी अभी नयी-नयी
है, फट जाएगी। छोड़ दो। दुनिया में बदनामी फैलेगी। मुझे नंगी मत करो। साथ की
सहेलियां आगे बढ़ गयी हैं। मैं अकेली हूं। एक तो रात ही अंधेरी है, उस पर बिजली भी
कौंधने लगी - हाय, अब मैं क्या करूं? विद्यापति ने कहा, तुम तो बड़ी गुणवती हो। हरि
सोमवार, 18 मार्च 2024
विश्वेश्वर दर्शन कर, चल मन तुम काशी.../ महाराजा स्वाति तिरुनाल कृति / स्वर : राहुल वेल्लाल
https://youtu.be/mHy8k3LJPFg
काटे करुणा-निधान जनम-मरण फांसी।।
वा कॆ तट घाट-घाट भर रहे संन्यासी।।
गिरिजा अर्धांग धरे त्रिभुवन जिन दासी।।
भज ले ये दो स्वरूप रहले अविनाशी।।
यदि आप उनसे प्रेमपूर्वक प्रार्थना करते हैं, तो वह, दयालु व्यक्ति, निश्चित रूप
से आपके लिए जन्म और मृत्यु के चक्र को काट देंगे।
गंगा नदी शुद्ध दूध की तरह शहर से होकर बहती है।
नदी के तट पर ऋषियों का एक समूह निवास करता है।
भगवान अपने स्वरूप पर पवित्र राख का लेप करते हैं,
अपने हाथों में त्रिशूल रखते हैं। उनके गले में एक सर्प सुशोभित है।
वह अपना रूप पर्वतों की पुत्री गिरिजा के साथ साझा करते हैं।
तीनों लोकों के सभी लोग उनके चरणों में हैं।
हे मन ! कमल-नेत्र भगवान पद्मनाभ और तीन नेत्र महेश्वर की पूजा करें
और अमर रहें।
शनिवार, 16 मार्च 2024
मेरो खोई गयो बाजूबन्द रसिया होरी में.../ होरी रसिया / कीर्तनकार : रसेश शाह
https://youtu.be/A5hvnneGcVY
मेरो खोय गयो बाजूबंद,
रसिया होरी में,
होरी में, होरी में,
होरी में, होरी में,
मेरो खोय गयो बाजूबंद,
रसिया होली में ।
बाजूबंद मेरे बड़ो रे मोल को,
तो पे बनवाऊँ पुरे तोल को,
सुनो नन्द के फ़रजंद,
रसिया होरी में,
मेरो खोय गयो बाजूबंद,
रसिया होली में।
खसम की सिर पे मार पड़ेगी,
हे जाय सब रस भंग,
रसिया होरी में,
मेरो खोय गयो बाजूबंद,
रसिया होली में ।
लाज शरम जाने कहाँ धरी आयो,
मैं तो होय गई तोसे तंग,
रसिया होरी में,
मेरो खोय गयो बाजूबंद,
रसिया होली में।
बुधवार, 13 मार्च 2024
एक रोज़ हमारी भी दाल गलेगी.../ गीत : राजेन्द्र कृष्ण / गायन: किशोर कुमार
https://youtu.be/Ibho18yPqYs
धत तेरे की
फूंक फूंक कर चूल्हा
अँखियाँ का भयो सत्यानाश
हल्दी देवी बहू है अपनी
श्रीमती मिर्ची अपनी सास
हाँ बोल मेरे दुखिया मन कब तक
ये चूल्हा ये चौका
ये झाड़ू ये बर्तन
ये आटा बटाटा
ये गड़बड़ गुलाटा
और ये और वो और
धत तेरे की
पर सब दिन न होत
एक सामान पंछी
काहे होत उदास
एक रोज़ हमारी भी दाल गलेगी
एक रोज़ हमारी भी दाल गलेगी
बैरी दुनिया जो देखेगी, खूब जलेगी
हाँ बैरी दुनिया जो
देखेगी खूब जलेगी
एक रोज़ हमारी भी दाल गलेगी
एक रोज़ हमारी भी दाल गलेगी
एम. ए., बी. ए. पास हाँ हाँ
हाँ हाँ भैया
हमारा है एम. ए., बी. ए. पास
भला कब तक हम
खाते रहेंगे ये घास
भला कब तक हम
खाते रहेंगे ये घास
सूखी सूखी घास
छी छी सड़ी सड़ी घास
धत तेरा सत्यानाश
सत्यानाश सत्यानाश
निम्बू का अचार
हाय हाय जाने कब
छोडेगा पीछा हमार
हाँ हाँ रुखी सूखी
रोटी और निम्बू का अचार
हाय हाय जाने कब
छोड़ेगा पीछा हमार
दिन होंगे ग़रीबी
के जिस दिन खल्लास
गरम गरम हाँ हाँ
गरम गरम कचौरी
पूरी खूब तलेगी
गरम गरम कचौरी
पूरी खूब तलेगी
बैरी दुनिया जो
देखेगी खूब जलेगी
बैरी दुनिया जो
देखेगी हाय हाय हाय
बैरी दुनिया जो
देखेगी हाय हाय
एक रोज़ हमारी भी दाल गलेगी
एक रोज़ हमारी भी दाल गलेगी
होगा एक दिन हमारे
भी पास बेयरा
हाँ हाँ हा हा हा
हो हो हो हे हे हे
होगा एक दिन हमारे
भी पास बेयरा
देगा दरवाज़े पर
गोरखा पहरा
देगा दरवाज़े पर
गोरखा पहरा, हे हे
मैं बन कर साहब
गिटपिट इंग्लिश बोलूँ रे
मैं बन कर साहब
गिटपिट इंग्लिश बोलूँ रे
ये चौका बर्तन छोड़
के होटल खोलूं रे
ये चौका बर्तन छोड़
के होटल खोलूं रे
इंग्लिश बोलूँ रे होटल खोलूं रे
गिटपिट बोलूँ रे होटल खोलूं रे
निकले मेरा जुलुस बैंड बाजे के साथ
रोज़ मेरी सलामी को तोप चलेगी
रोज़ मेरी सलामी को तोप चलेगी
बाबम बम बबबम
बम बबबबब बबम
बैरी दुनिया जो देखेगी खूब जलेगी
हाँ बैरी दुनिया जो
देखेगी खूब जलेगी
एक रोज़ हमारी भी दाल गलेगी
एक रोज़ हमारी भी दाल गलेगी
अरे दाल गलेगी
अरे दाल गलेगी अरे दाल हे
अरे गली रे दाल हे
धिनका चाचड़
धिनका चाचड़
धिनका चाचड़
धिनका चाचड़ हाय