बुधवार, 30 मार्च 2022

यूं ही कोई मिल गया था.../ गीतकार : कैफ़ी आज़मी/ गायिका : चाँदनी मिर्जा

 https://youtu.be/kYbsf-6l9iw  

गीत : चलते चलते, यूँही कोई मिल गया था...

फिल्म : पाक़ीज़ा  (१९७२)
संगीतकार : ग़ुलाम मोहम्मद 
गीतकार : कैफ़ी आज़मी
गायिका  : लता मंगेशकर (फिल्म में)
             चाँदनी मिर्ज़ा (इस वीडियो में)

Chandni Mirza on Twitter :
My self Chandni Mirza, I'm a professional singer.
My institute name is "Shree Ram Bhartiya Kala Kendra"
and "Prayag Sangeet Samiti".
My gurus are Charanjit Soni and Meera Chakrobarty M'ams.


चलते चलते, 
चलते चलते
यूँही कोई मिल गया था, 
यूँही कोई मिल गया था
सरे राह चलते चलते, 
सरे राह चलते चलते
वहीं थमके रह गई है, 
वहीं थमके रह गई है
मेरी रात ढलते ढलते, 
मेरी रात ढलते ढलते

जो कही गई है मुझसे, 
जो कही गई है मुझसे
वो ज़माना कह रहा है, 
वो ज़माना कह रहा है
के फ़साना,
के फ़साना बन गई है, 
के फ़साना बन गई है
मेरी बात टलते टलते, 
मेरी बात टलते टलते

यूँही कोई मिल गया था, 
यूँही कोई मिल गया था
सरे राह चलते चलते, 
सर-ए-राह चलते चलते ...

शब-ए-इंतज़ार आखिर, 
शब-ए-इंतज़ार आखिर
कभी होगी मुख़्तसर भी, 
कभी होगी मुख़्तसर भी
ये चिराग़,
ये चिराग़ बुझ रहे हैं, 
ये चिराग़ बुझ रहे हैं
मेरे साथ जलते जलते, 
मेरे साथ जलते जलते

ये चिराग़ बुझ रहे हैं, 
ये चिराग़ बुझ रहे हैं 
मेरे साथ जलते जलते, 
मेरे साथ जलते जलते
यूँही कोई मिल गया था, 
यूँही कोई मिल गया था
सर-ए-राह चलते चलते, 
सर-ए-राह चलते चलते ...

मंगलवार, 29 मार्च 2022

प्रेम मुदित मन से कहो राम, राम, राम.../ गायन : श्रीमती कौशिकी चक्रवर्ती

 https://youtu.be/MKoCxBGi3iM 

प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम,
राम राम राम, श्री राम राम राम |

पाप कटें दुःख मिटें लेत राम नाम |
भव समुद्र सुखद नाव एक राम नाम ||

परम शांति सुख निधान नित्य राम नाम |
निराधार को आधार एक राम नाम ||

परम गोप्य परम इष्ट मंत्र राम नाम | 
संत हृदय सदा बसत एक राम नाम ||

महादेव सतत जपत दिव्य राम नाम |
कासी मरत मुक्ति करत, कहत राम नाम ॥

मात पिता बंधु सखा सब ही राम नाम |
भक्त जनन जीवन धन एक राम नाम ||

सोमवार, 28 मार्च 2022

नटराज राज नमो नमः .../ नटराज स्तुति / स्वर : माधवी मधुकर झा

https://youtu.be/mKyoAa42YZM  

सत सृष्टि तांडव रचयिता
नटराज राज नमो नमः...
हेआद्य गुरु शंकर पिता
नटराज राज नमो नमः...

गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्मांडना
नित होत नाद प्रचंडना
नटराज राज नमो नमः...

शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मा
विषनाग माला कंठ मा
नटराज राज नमो नमः...

तवशक्ति वामांगे स्थिता हे चंद्रिका अपराजिता
चहु वेद गाए संहिता
नटराज राज नमोः...

रविवार, 27 मार्च 2022

चांदनी छत पे चल रही होगी.../ दुष्यंत कुमार (१९३१-१९७५) / गायन : डॉ. सोमा घोष

 https://youtu.be/kLlLjwt1ZMg   

दुष्यंत कुमार त्यागी (27 सितंबर 1931-30 दिसंबर 1975) एक हिन्दी 
कवि , कथाकार और ग़ज़लकार थे। दुष्यन्त साहित्य के मर्मज्ञ विजय बहादुर सिंह 
के अनुसार कवि की वास्तविक जन्मतिथि 27 सितंबर 1931 है।
दुष्यंत कुमार का जन्‍म उत्तर प्रदेश में बिजनौर जनपद की तहसील नजीबाबाद 
के ग्राम राजपुर नवादा में हुआ था। जिस समय दुष्यंत कुमार ने साहित्य की दुनिया 
में अपने कदम रखे उस समय भोपाल के दो प्रगतिशील शायरों ताज भोपाली तथा 
क़ैफ़ भोपाली का ग़ज़लों की दुनिया पर राज था। हिन्दी में भी उस समय अज्ञेय तथा 
गजानन माधव मुक्तिबोध की कठिन कविताओं का बोलबाला था। उस समय आम 
आदमी के लिए नागार्जुन तथा धूमिल जैसे कुछ कवि ही बच गए थे। इस समय सिर्फ़ 
44 वर्ष के जीवन में दुष्यंत कुमार ने अपार ख्याति अर्जित की।
उनके पिता का नाम भगवत सहाय और माता का नाम रामकिशोरी देवी था। प्रारम्भिक 
शिक्षा गाँव की पाठशाला तथा माध्यमिक शिक्षा नहटौरऔर चंदौसी से हुई। दसवीं कक्षा 
से कविता लिखना प्रारम्भ कर दिया। इंटरमीडिएट करने के दौरान ही राजेश्वरी कौशिक 
से विवाह हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में बी०ए० और एम०ए० किया। 
डॉ० धीरेन्द्र वर्मा और डॉ० रामकुमार वर्मा का सान्निध्य प्राप्त हुआ। कथाकार कमलेश्वर 
और मार्कण्डेय तथा कविमित्रों धर्मवीर भारती, विजयदेवनारायण साही आदि के संपर्क से 
साहित्यिक अभिरुचि को नया आयाम मिला।
मुरादाबाद से बी०एड० करने के बाद 1958 में आकाशवाणी दिल्ली में आये। मध्यप्रदेश के 
संस्कृति विभाग के अंतर्गत भाषा विभाग में रहे। आपातकाल के समय उनका कविमन 
क्षुब्ध और आक्रोशित हो उठा जिसकी अभिव्यक्ति कुछ कालजयी ग़ज़लों के रूप में हुई, 
जो उनके ग़ज़ल संग्रह 'साये में धूप' का हिस्सा बनीं। सरकारी सेवा में रहते हुए सरकार 
विरोधी काव्य रचना के कारण उन्हें सरकार का कोपभाजन भी बनना पड़ा। 30 दिसंबर 
1975 की रात्रि में हृदयाघात से उनकी असमय मृत्यु हो गई। उन्हें मात्र 44 वर्ष की 
अल्पायु मिली।
1975 में उनका प्रसिद्ध ग़ज़ल संग्रह'साये में धूप' प्रकाशित हुआ। इसकी ग़ज़लों को इतनी 
लोकप्रियता हासिल हुई कि उसके कई शेर कहावतों और मुहावरों के तौर पर लोगों द्वारा 
व्यवहृत होते हैं। 52 ग़ज़लों की इस लघुपुस्तिका को युवामन की गीता कहा जाय, तो 
अत्युक्ति नहीं होगी। 

डॉ. सोमा घोष 
बनारस में जन्मी, पली-बढ़ी और अब मुंबई में रह रही सोमा एक समय के महान 
फिल्मकार नवेंदु घोष की पुत्रवधू है। पिता मनमोहन चक्रवर्ती स्वतंत्रता सेनानी 
रहे है और माँ अर्चना गायिका। वह अपनी संगीत प्रतिभा का श्रेय माँ को ही देती 
हैं। व्यक्तित्व पर संगीत की कोमलता के साथ पिता की संघर्षशीलता की भी 
पूरी छाप है। संगीत की दुनिया में भी सोमा प्राचीन वाद्यों को प्रतिष्ठा दिलाने 
के लिए संघर्षरत है। 
भारत के प्रसिद्ध शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खान ने इन्हें अपना दत्तक पुत्री 
बनाया था। सोमा घोष, बनारसी संगीत के परंपरा अनुसार चैतीकजरी, टप्पा, ठुमरी, 
दादरा के अलावा गजल गायकी में भी प्रसिद्ध हैं ।भारत सरकार ने इनके कला के क्षेत्र 
में योगदान के लिए इनको पद्मश्री सम्मान दिया है। 

चांदनी छत पे चल रही होगी
अब अकेली टहल रही होगी
फिर मेरा ज़िक्र आ गया होगा
बर्फ़-सी वो पिघल रही होगी
कल का सपना बहुत सुहाना था
ये उदासी न कल रही होगी
सोचता हूँ कि बंद कमरे में
एक शमअ-सी जल रही होगी
तेरे गहनों सी खनखनाती थी
बाजरे की फ़सल रही होगी
जिन हवाओं ने तुझ को दुलराया
उन में मेरी ग़ज़ल रही होगी

शनिवार, 26 मार्च 2022

अभी ना जाओ छोड़कर.../ गीत : साहिर लुधियानवी / गायन : संगीता मेलेकर एवं सौरव किशन

 https://youtu.be/3CuqtihkxIM  

अभी ना जाओ छोड़कर...
फिल्म : हम दोनों (१९६१)
गीतकार : साहिर लुधियानवी
संगीत : जयदेव  
गायन : 
फिल्म में : मोहम्मद रफ़ी एवं आशा भोंसले 
इस वीडियो क्लिप में : संगीता मेलेकर एवं सौरव किशन 

Sangeeta Melekar 
Sangeeta is a is a versatile singer singing for more than 
twenty five years. She had sung as a guest artist in Zee 
TV's SAREGAM at very young age. She has performed 
all over India and has performed abroad in many countries. 
She has also performed in U.S. for eight years and in Dubai 
for fourteen consecutive years with Rana Chatterjee for 
LAMHE. She too had a chance to perform in presence of 
Asha Bhosle, Sudha Malhotra and Kavitha Krishnamurthy. 
She is a Krishna devotee. 

Saurav Kishan 
Saurav Kishan is an Indian singer, and he is popular as 
'Chhota Rafi.' He came into the limelight with his rendition 
of Bollywood song “Teri Aankhon Ke Siva Duniya Mein Rakha 
Kya Hai” from the Hindi film 'Chirag' (1969) originally sung by 
the legendary Indian singer Mohammed Rafi.

अभी ना जाओ छोड़कर
के दिल अभी भरा नहीं
अभी ना जाओ छोड़कर
के दिल अभी भरा नहीं

अभी अभी तो आयी हो
अभी अभी तो
अभी अभी तो आयी हो
बहार बनके छायी हो
हवा ज़रा महक तो ले
नज़र ज़रा बहक तो ले
ये शाम ढल तो ले ज़रा
ये शाम ढल तो ले ज़रा
ये दिल संभल तो ले ज़रा
मैं थोड़ी देर जी तो लूँ
नशे के घूंट पी तो लूँ
नशे के घूंट पी तो लूँ
अभी तो कुछ कहा नहीं
अभी तो कुछ सुना नहीं
अभी ना जाओ छोड़कर
के दिल अभी भरा नहीं

सितारे झिलमिला उठे
सितारे झिलमिला उठे
चराग जगमगा उठे
बस अब ना मुझको टोकना
बस अब ना मुझको टोकना
ना बढ़के राह रोकना
अगर मैं रुक गयी अभी
तो जा ना पाऊँगी कभी
यही कहोगे तुम सदा
के दिल अभी नहीं भरा
जो ख़तम हो किसी जगह
ये ऐसा सिलसिला नहीं
अभी नहीं, अभी नहीं
नहीं नहीं, नहीं नहीं
अभी ना जाओ छोड़कर
के दिल अभी भरा नहीं

अधूरी आस
अधूरी आस छोड़के
अधूरी प्यास छोड़के
जो रोज़ यूँही जाओगे 
तो किस तरह निभाओगे 
के ज़िन्दगी की राह में
जवां दिलों की चाह में
कई मक़ाम आएंगे
जो हमको आज़मायेंगे
बुरा ना मानो बात का
ये प्यार है गिला नहीं
हाँ, यही कहोगे तुम सदा
के दिल अभी भरा नहीं
हाँ दिल अभी भरा नहीं
नहीं नहीं, नहीं नहीं

दुःख और सुख के रास्ते
बने हैं सबके वास्ते
जो हमसे हार जाओगे
तो किस तरह निभाओगे
ख़ुशी मिले हमें के ग़म
ख़ुशी मिले हमें के ग़म
जो होगा बाँट लेंगे हम
मुझे तुम आज़माओ तो
ज़रा नज़र मिलाओ तो
ज़रा नज़र मिलाओ तो
ये जिस्म तो सही मगर
दिलों में फासला नहीं
जहां में ऐसा कौन है
के जिसको ग़म मिला नहीं
जहां में ऐसा कौन है
के जिसको ग़म मिला नहीं

तुम्हारे प्यार की कसम
तुम्हारा ग़म है मेरा ग़म
न यूँ बुझे बुझे रहो 
जो दिल की बात है कहो
जो मुझसे भी छुपाओगे
जो मुझसे भी छुपाओगे
तो फिर किसे बताओगे
मैं कोई गैर तो नहीं
दिलाऊँ किस तरह यकीं
दिलाऊँ किस तरह यकीं
के तुमसे मैं जुदा नहीं
मुझसे तुम जुदा नहीं
तुमसे मैं जुदा नहीं
मुझसे तुम जुदा नहीं
तुमसे मैं जुदा नहीं
मुझसे तुम जुदा नहीं
तुमसे मैं जुदा नहीं
मुझसे तुम जुदा नहीं

शुक्रवार, 25 मार्च 2022

कहूँ किस से क़िस्सा-ए-दर्द-ओ-ग़म.../ अक़बर इलाहबादी (१८४६-१९२१) / गायन : नय्यरा नूर

https://youtu.be/H-RHAZYwThA  
Akbar Allahabadi 
Syed Akbar Hussain, popularly known as Akbar Allahabadi 
(16 November 1846 – 9 September 1921) was an Indian Urdu poet 
in the genre of satire.
Akbar Allahabadi was born in the town of Bara, eleven miles 
from Allahabad, to a family of Sayyids who originally came to 
India from Persia as soldiers. His father, Moulvi Tafazzul 
Hussain served as a naib tehsildar and his mother belonged 
to a zamindar family of Jagdishpur village from the Gaya 
district in Bihar.
Akbar received his early education from his father at home. 
In 1855, his mother moved to Allahabad and settled in Mohalla 
Chowk. Akbar was admitted to the Jamuna Mission School for 
an English education in 1856, but he abandoned his school 
education in 1859. However, he continued to study English 
and read widely.
On leaving school, Akbar joined the Railway Engineering 
Department as a clerk. While in service, he passed the 
exam qualifying him as a wakeel (barrister) and subsequently 
worked as a tehsildar and a munsif, and ultimately, as a sessions 
court judge. To commemorate his work in judicial services, 
he was bestowed with the title, Khan Bahadur.
Akbar retired in 1903 and lived on in Allahabad. He died of a 
fever on September 9, 1921 and was buried in Himmatganj 
district of Allahabad.
नय्यरा नूर पाकिस्तानी पार्श्व गायिका हैं। नय्यरा की गिनती न सिर्फ पाकिस्तान 
में बल्कि समूचे दक्षिण एशिया में लोकप्रिय गायिका के रूप में की जाती है। नय्यरा 
गायकी के क्षेत्र में मूल रूप से सन् 1971 से लेकर 2012 तक सक्रिय रहीं।
'नय्यरा' का जन्म 1950 में गुवाहाटीअसम में हुआ था। उनके पिता एक व्यवसायी 
थे और अपने व्यवसाय के सिलसिले में वो अपने परिवार के साथ अमृतसर से आकर 
असम में बस गए थे। "नय्यरा" के पिता ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के सक्रिय सदस्य थे। 
उन्होंने 1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे से पहले पाकिस्तान के कायदे आज़म 
मुहम्मद अली जिन्ना के असम दौरों के दौरान मेजबानी की थी। भारत-पाकिस्तान 
बंटवारे के बाद 1957 में नय्यरा अपने भाई-बहनों और मां के साथ भारत से विस्थापित 
होकर पाकिस्तान के लाहौर में जाकर बस गईं। हालांकि उनके पिता अपने व्यवसाय और 
चल-अचल संपत्ति को संभालने के लिए 1993 तक भारत (असम) में रहे। बचपन में 
नय्यरा भजन गायिका कानन देवी और ग़ज़ल गायिका बेगम अख़्तर से प्रभावित रहीं।
नय्यरा ने गायकी में अनुशासनबद्ध तरीके से कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं प्राप्त 
किया था। गायन के क्षेत्र में उनका आगमन महज इत्तेफाक़ था। सन् 1968 में लाहौर 
के नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स में वार्षिकोत्सव के अवसर पर आयोजिक एक कार्यक्रम 
में वहां के प्रोफेसर इसरार ने इन्हें गाते सुना और रेडियो पाकिस्तान के कार्यक्रमों के लिए 
गाने का अनुरोध किया। इसके बाद से नय्यरा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और गायकी के 
क्षेत्र में जल्द ही स्थापित हो गईं।
सन् 1971 में नय्यरा को पाकिस्तानी टेलिविजन पर पहली बार गाने का अवसर प्राप्त 
हुआ। इसके बाद उन्होंने फिल्म 'घराना' (1973) और 'तानसेन' से पार्श्व गायन की 
शुरुआत की। नय्यरा अपने एकल गायन में मंच पर ऊर्दू के शायर ग़ालिब और फ़ैज़ 
अहमद फ़ैज़ की लिखी ग़ज़लों को अपना स्वर दे चुकी हैं। लेकिन गायकी में उन्हें ज्यादा 
प्रसिद्धि फ़ैज़ की ग़ज़लों से मिली। नय्यरा को उनके स्तरीय गायन के लिए पाकिस्तान में 
राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में तीन बार स्वर्ण पदक प्राप्त हो चुका है। इसके साथ ही उन्हें 
फिल्म घराना (1973) के लिए पाकिस्तान के निगार पुरस्कार से भी सम्मानित किया 
चुका है।

कहूँ किस से क़िस्सा-ए-दर्द-ओ-ग़म...

कहूँ किससे क़िस्सा-ए-दर्द-ओ-ग़म, कोई हमनशीं है न यार है
जो अनीस है तेरी याद है जो शफ़ीक़ है दिलज़ार है

तू हज़ार करता लगावटें मैं कभी न आता फ़रेब में
मुझे पहले इसकी ख़बर न थी तेरा दो ही दिन का ये प्यार है

ये नवीद औरों को जा सुना हम असीर-ए-दाम हैं ऐ सबा
हमें क्या चमन है जो रंग पर हमें क्या जो फ़सल-ए-बहार है

मुझे रहम आता है देखकर तेरा हाल ‘अक़बर’-ए-नौहागर 
तुझे वो भी चाहे ख़ुदा करे कि तु जिसका आशिक़-ए-ज़ार है

WORD-MEANING

kahoon kis se qissa-e-dard-o-Gham koi ham-nasheen hai na yaar hai
jo anees hai terii yaad hai jo shafeeq hai dil-e-zaar hai

Qissa: Anecdote, Dispute, Event, Fable, Happening, Incident, Legend, Matter, Romance, Story, Tale, Quarrel
Nasheen: Sitting
Ham-Nasheen: Associate, Playmate
Anees: Companion, Friend, Familiar
Shafeeq: Affectionate, Kind, Kind Hearted, Lenient
Zaar: Desire, Feeble, Garden Lamentation, Weak, Weeping, Wish
Dil-e-Zaar: Afflicted Heart

too hazaar kartaa lagaavaten main kabhi na aataa fareb mein
mujhe pehle is ki khabar na thi teraa do hi din ka ye pyaar hai

Lagaavat: Affection, Love
Fareb: Cheating, Deception, Deceit, Fraud, Illusion, Trick
Khabar: Account, Awareness, Information, Knowledge, News, Notice, Report, Rumor, Watchfulness

ye naweed auron ko jaa sunaa ham aseer-e-daam haim ai sabaa
hamein kyaa chaman hai jo rang par, hamein kyaa jo fasl-e-bahaar hai

Naweed: Good news, glad tidings;—invitation (to kinsfolk and brethren) to a wedding
Auron: Others
Aseer: Captive, Prisoner
Daam: Bid, Latch, Loan, Net, Price, Snare, Trap, Value
Aseer-e-Daam: Imprisoned
Sabaa: Breeze, Gentle Cool Breeze, Wind
Chaman: Flower Garden, Flower Bed, A Blooming or Flourishing Place
Fasl: Season, Harvest, Yield
Fasl-e-Bahaar: Season of Spring

mujhe raham aataa hai dekh kar tera haal ‘Akbar’-e-nauhagar
tujhe vo bhi chaahe Khudaa kare, ke tu jis ka aashiq-e-zaar hai

Raham: Pity, Benevolence, Kindness
Akbar: A reference to the poet, Akbar Allahabadi
Nauhaa: Lamentation, Mourning
Nauhagar: Mourner, Laminator
Aashiq: Admirer, Amorous, Enamoured, Gallant, Lover, Suitor
Aashiq-e-Zaar: Afflicted lover

गुरुवार, 24 मार्च 2022

पिया तोसे नैना लागे रे.../ गीतकार : शैलेन्द्र / गायन : विभावरी आप्टे जोशी

 https://youtu.be/A9sLWthAQvA

गीत : पिया तोसे नैना लागे रे... 
फिल्म : गाइड (१९६५)
गीतकार : शैलेन्द्र 
संगीत : एस. डी. बर्मन 
गायन : लता मंगेशकर (फिल्म में) 
            विभावरी आप्टे जोशी (प्रस्तुत वीडियो में)

Vibhavari Apte Joshi is an Indian singer in Bollywood
and in Marathi and Tamil language films.
She hails from Pune in Maharashtra state of India.

पिया तोसे नैना लागे रे 
पिया तोसे नैना लागे रे 
नैना लागे रे 
जाने क्या हो अब आगे रे 
नैना लागे रे 
पिया तोसे नैना लागे रे 

हो.. जग ने उतारे 
हो.. धरती पे तारे 
पर मन मेरा मुरझाए, हाय 
हो.. उनबिन आली 
हो.. कैसी दीवाली 
मिलने को जिया उकलाए 
आ सजन पायल पुकारे 
झनक झन-झन झनक झन-झन
 
पिया तोसे नैना लागे रे 
नैना लागे रे 
जाने क्या हो 
अब आगे रे 
नैना लागे रे 
पिया तोसे नैना लागे रे 

भोर की बेला सुहानी 
नदिया के तीरे 
भरके गागर जिस घड़ी 
मैं चलूँ धीरे-धीरे 
आ आ भोर की बेला सुहानी 
नदिया के तीरे 
भरके गागर जिस घड़ी 
मैं चलूँ धीरे-धीरे 
तुझपे नज़र जब जाए 
हो.. जाने क्यूँ बज उठें कँगना 
खनक खन-खन खनक खन-खन 

पिया तोसे नैना लागे रे 
पिया तोसे नैना लागे रे 
नैना लागे रे 
जाने क्या हो अब आगे रे 
नैना लागे रे 
पिया तोसे नैना लागे रे 

आ आ.. पिया तोसे नैना लागे रे 
नैना लागे रे 
जाने क्या हो अब आगे रे 

आ आ.. 
हो हो.. 
आ आ.. 
हो.. आई होली आई 
हो.. सब रंग लाई 
बिन तेरे होली भी न भाए, हाय 
हो.. भर पिचकारी 
हो.. सखियों ने मारी, 
भीगी मोरी सारी हाय-हाय 
तन-बदन मोरा काँपे थर-थर 
धिनक धिन-धिन धिनक धिन-धिन 

पिया तोसे नैना लागे रे 
पिया तोसे नैना लागे रे 
नैना लागे रे 
जाने क्या हो अब आगे रे 
नैना लागे रे 
पिया तोसे नैना लागे रे 

रात को जब चाँद चमके 
जल उठे तन मेरा 
मैं कहूँ मत करो चँदा इ
स गली का फेरा 
आ आ रात को जब चाँद चमके 
जल उठे तन मेरा 
मैं कहूँ मत करो चँदा 
इस गली का फेरा 

आना मोरा सैंया जब आए 
चमकना उस रात को 
जब मिलेंगे तन-मन, मिलेंगे तन-मन 

पिया तोसे नैना लागे रे 
नैना लागे रे 
पिया हो हो पिया हो पिया 
हा हा पिया 

हो.. पिया तोसे नैना लागे रे 
जाने क्या हो अब आगे रे 
नैना लागे रे 
पिया तोसे नैना लागे रे

मंगलवार, 22 मार्च 2022

या रब ग़म-ए-हिज्राँ में इतना तो किया होता.../ चराग़ हसन हसरत / गुलशन आरा सैयद

 https://youtu.be/MJa-PNFRMNM   


Chiragh Hasan Hasrat (Born 1904, PoonchKashmir) was a 
Poet and Journalist. He began composing poetry when he was still a 
student at school. He was born in Kashmir but after matriculation he 
migrated to Pakistan. Early in his career Chiragh started teaching at 
various local schools in Urdu and Persian. He wrote 16 Books. He was 
also associated with several newspapers like Insaa, Zamindar, 
Sheeraza, Shahbaz
He used different pen names including ColumbusKoocha Gard and 
Sindbaad Jahazi.

या रब ग़म-ए-हिज्राँ में इतना तो किया होता जो हाथ जिगर पर है वो दस्त-ए-दुआ होता (ग़म-ए-हिज्राँ = जुदाई के दुःख),
(दस्त-ए-दुआ = दुआ मांगने के लिए उठा हाथ)
इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता 
नाकाम तमन्ना दिल इस सोच में रहता है यूँ होता तो क्या होता यूँ होता तो क्या होता उम्मीद तो बँध जाती तस्कीन तो हो जाती वादा न वफ़ा करते वादा तो किया होता (तस्कीन = चैन, आराम)
ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता