बुधवार, 31 जुलाई 2019

अद्भुत अर्द्धनारीश्वर भरतनाट्यम नृत्य

https://youtu.be/UhZ12jjG-lY


अद्भुत अर्द्धनारीश्वर भरतनाट्यम नृत्य 

अनिता गुहा एवं मण्डली 
शास्त्रीय भरतनाट्यम जिसमें शिव एवं शक्ति को रूपायित करते हुए 
दो नर्तक अर्द्धनारीश्वर के रूप में एकाकार हो जाते हैं। 
अनिता गुहा की मण्डली द्वारा प्रस्तुत। 

बरखा रितु आयी / स्वर : संजीव अभ्यंकर

https://youtu.be/90xd79TJ55s

बरखा रितु आयी 

राग : मेघ 
स्वर : संजीव अभ्यंकर 

"बरखा रितु आयी, रितु आयी; 
देखो आयी सलोनी पिया।
कारी-पीरी घटा चहुँ ओर छाई 
चमक बिजुरिया हमहि डरायी 
नैनन नींद चुराई।।"

राग 'मेघ' भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्राचीनतम रागों में से एक है। 
यह काफी थाट का राग है और इसका सम्बन्ध वर्षा ऋतु से है।  

सोमवार, 29 जुलाई 2019

राग मेघ /स्वर : निराली कार्तिक

https://youtu.be/bMRYUBPod4c

राग मेघ 

"आये अति धूम धाम गरज घटा घनघोर,
गगन गहन श्याम बरन, बिजुरिया डरावे,
नानी-नानी (नन्ही-नन्ही) बूंदन बरसे, मनवा लहराए।"

"The thundering deep clouds have arrived with grandeur! The deep sky has assumed the color of 'Shyam' , the lightening frightens, Small li'l raindrops are falling down, my heart dances with joy!"

स्वर : निराली कार्तिक
तबला : पण्डिता अनुराधा पाल (सुप्रसिद्ध तबला वादक)
हारमोनियम : सिद्धेश बिचोलकर (सिद्धहस्त जलतरंग वादक)



रविवार, 28 जुलाई 2019

बूँदन-बूँदन बरसे मेहा...

https://youtu.be/C3HtzIgYVc4


Song : Boondan Boondan Barse Meha.
Poetry : Subrat Sinha. Vocals : Nirali Kartik, Ankita Joshi Composed by : Kartik Shah & Nirali Kartik.
Jodiya Pawa (a traditional instrument from Kutchh) : Noor Mohammed Sodha


Lyrics :
Boondan Boondan Barse Meha, Kajrari Kaari Badariya, Aise Naache Mora Manva, Jaise Banme Mor Papiha Bheege Na More Pi Ki Patiya, Ho Jisme Aavan Ki Batiya, Baawri Tu Aur Tera Andesa, Saawan Piya Aavan ka Sandesa, Chal Daale Jhule Bagho Mein, Phir Mehke Mehndi Hatho Mein, Sa Sa...Sa Re Ni Sa ni dha Ni Sa ni Pa ga Ma Re Sa Ni Sa Boondan Boondan

Translation : The rain drops are falling, And how the clouds have put kohl ! My heart dances with joy Like a peacock in the forest ! Ohh let not my beloveds letter get drenched What if it has the message of His homecoming? Ohh crazy you and your silly doubts! These rains are itself a message of his homecoming! Lets put swings in the garden! Lets put henna on our hands! Sa Sa...


शनिवार, 27 जुलाई 2019

पीतल की मोरी गागरी....

https://youtu.be/W4FK5r4VxfQ

Song : Peetal Ki Mori Gagri 

Singers : Parveen Sultana, Minu Purushottam 

Music : Jaidev 

Lyrics : Kaifi Azmi

Film : Do Boond Pani  (1971)


Produced and Directed ByKhwaja Ahmad Abbas.  
Music : Jaidev
The story, screenplay and dialogues were by K. A. Abbas.
 The film won the award for Best Feature film on National integration.

शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से... / बाबू रघुवीर नारायण

https://youtu.be/l_6wuxwEnwc
यह बाबू रघुवीर नारायण कौन हैं ?

जन्म- 30 अक्टूबर 1884
जन्म स्थान- दहियावां, छपरा
पिता- जगदेव नारायण
व्यक्तित्व- 'सिर पर गोल टोपी, आंखों पर निक्कल फ्रेम का चश्मा, 
उन्नत ललाट पर उभरी रेखाएं, मुखमंडल से फूटता तेज, घुटनों के 
नीचे पहुंची धोती या कभी चूड़ीदार पायजामा भी। प्रतिभाशाली, मृदुभाषी, राष्ट्रवादी।
शिक्षा- विद्यालयी शिक्षा जिला स्कूल छपरा, पटना कालेज से 
अंग्रेजी प्रतिष्ठा के साथ स्नातक।
1940 के बाद पूर्ण संयासी जीवन।
मृत्यु- 1 जनवरी 1955
हिंदी में रचित पुस्तकें- रघुवीर पत्र-पुष्प तथा रघुवीर रसरंग। 
रंभा खंडकाव्य अप्रकाशित।

सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से
मोरा प्रान बसे हिमखोह रे बटोहिया.

एक द्वार घेरे रामा, हिम कोतवालवा से
तीन द्वारे सिंधु घहरावे रे बटोहिया.

जाहु-जाहु भैया रे बटोही हिंद देखी आऊं
जहवां कुहंकी कोइली गावे रे बटोहिया.

पवन सुगंध मंद अमर गगनवां से
कामिनी बिरह राग गावे रे बटोहिया.

बिपिन अगम धन, सघन बगन बीच
चम्पक कुसुम रंग देवे रे बटोहिया.

द्रुम बट पीपल, कदम्ब नीम आम वृक्ष
केतकी गुलाब फूल फूले रे बटोहिया.

तोता तूती बोले रामा, बोले भेंगरजवा से
पपिहा के पी-पी जिया साले रे बटोहिया.

सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से
मोरे प्रान बसे गंगाधार रे बटोहिया.


गंगा रे जमुनवां के झगमग पनियां से
सरजू झमकि लहरावे रे बटोहिया.

ब्रह्मपुत्र पंचनद घहरत निसि दिन
सोनभद्र मीठे स्वर गावे रे बटोहिया.

उपर अनेक नदी उमड़ी-घुमड़ी नाचे
जुगन के जदुआ जगावे रे बटोटिया.

आगरा-प्रयाग-काशी, दिल्ली कलकतवा से
मोरे प्रान बसे सरजू तीर रे बटोहिया.


जाऊ-जाऊ भैया रे बटोही हिंद देखी आऊ
जहां ऋषि चारो वेद गावे रे बटोहिया.

सीता के बिमल जस, राम जस, कृष्ण जस
मोरे बाप-दादा के कहानी रे बटोहिया.

ब्यास, बाल्मिक ऋषि गौतम कपिलदेव
सूतल अमर के जगावे रे बटोहिया.

रामानुज रामानंद न्यारी-प्यारी रूपकला
ब्रह्म सुख बन के भंवर रे बटोहिया.


नानक कबीर गौर संकर श्री रामकृष्ण
अलख के गतिया बतावे रे बटोहिया.

विद्यापति कालीदास सूर जयदेव कवि
तुलसी के सरल कहानी रे बटोहिया.


जाऊ-जाऊ भैया रे बटोही हिंद देखी आऊ
जहां सुख झूले धान खेत रे बटोहिया.

बुद्धदेव पृथु बिक्रमार्जुन शिवाजी के
फिरी-फिरी हिय सुध आवे रे बटोहिया.

अपर प्रदेस-देस सुभग सुघर बेस
मोरे हिंद जग के निचोड़ रे बटोहिया.

सुंदर सुभूमि भैया भारत के भूमि जेहि
जन रघुबीर सिर नावे रे बटोहिया.
                    *

बाबू रघुवीर नारायण :

1857 की क्रांति के असफल होने के बाद भारतीयों की स्वतंत्रता-प्राप्ति की 
उम्मीद मद्धिम होने लगी तो राष्ट्रकवियों ने अपनी लेखनी को हथियार बनाया। 
डा. राजेन्द्र प्रसाद की प्रेरणा से, अंग्रेजी कविताओं की रचना में सिद्ध 
रघुवीर नारायण के हाथों ने लेखनी उठाई और मातृ भाषा भोजपुरी में 
अमर कृति 'बटोहिया' की रचना की। राष्ट्र प्रेम और भक्ति से ओत-प्रोत 
कर देने वाली इस रचना की ख्याति एक ही वर्ष में 1912 में बंगलाभाषी 
क्षेत्र कोलकाता की गलियों तक फैल गयी। सर यदुनाथ सरकार ने 
रघुवीर बाबू को लिखा- 'आई कैन नॉट थिंक आफ यू विदाउट रिमेम्बरिंग 
योर बटोहिया।' स्वतंत्रता संग्राम के समय यह गीत स्वतंत्रता सेनानियों का 
कंठहार बन चुका था। इसकी तुलना बंकिमचन्द्र के 'वंदेमातरम' तथा 
इकबाल के 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा' से हुई। बिहार प्रवास के 
दौरान कई कंठों से बटोहिया का सस्वर पाठ सुन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 
बोल पड़े थे- 'अरे, यह तो भोजपुरी का वंदे मातरम है।'अंग्रेजी में तमाम 
कविताएं लिखने वाले रघुवीर नारायण भोजपुरी की एक ही कविता 
'बटोहिया' से अमर कवियों में शुमार हो गए। इस गीत की प्रशंसा 
पंडित रामावतार शर्मा, डा. राजेन्द्र प्रसाद, सर यदुनाथ सरकार, 
पं. ईश्वरी प्रसाद शर्मा, भवानी दयाल संयासी, आचार्य शिवपूजन सहाय, 
डा. उदय नारायण तिवारी सहित तत्कालीन सभी राष्ट्रकवियों ने की। 
सन 1905 में रघुवीर बाबू ने 'ए टेल आफ बिहार' की रचना की। 
इंग्लैंड के राष्ट्रकवि अल्फ्रेड आस्टीन ने सन 1906 में पत्र लिखा और 
उनकी तुलना अंग्रेजी कवियों से की। पत्रिका लक्ष्मी के अगस्त 1916 के 
अंक में महनीय कवि शिवपूजन सहाय ने लिखा था- 'बटोहिया कविता का 
प्रचार बिहार के घर-घर में है। शहर और देहात के अनपढ़ लड़के इसे 
गली-गली में गाते फिरते हैं, पढ़े-लिखों का कहना ही क्या है। यदि एक 
ही गीत लिखकर बाबू रघुवीर नारायण अपनी प्रतिभाशालिनी लेखनी को 
रख देते तो भी उनका नाम अजर और अमर बना रहता।'रघुवीर बाबू की 
दूसरे सबसे चर्चित कविता भारत भवानी है। यह 16 सितंबर 1917 ई. को 
पाटलिपुत्रा पत्र में छपी थी। हालांकि इसकी रचना सन 1912 ई. में ही हो 
चुकी थी और उस वर्ष अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के पटना अधिवेशन 
में वंदेमातरम की जगह भारत भवानी का ही पाठ हुआ था। बाबू रघुवीर नारायण 
के नाम तथा कृतियों का उल्लेख आचार्य नलिन विलोचन शर्मा ने 
'प्रोग्रेस आफ बिहार थ्रू द एजेज' में किया है। इसके पूर्व बंगला साहित्येतिहास में 
नरेन्द्र नाथ सोम ने अपनी पुस्तक 'मधुस्मृति' में उनकी कृतियों का मूल्यांकन कर 
बिहारवासियों को चौंका दिया था।



गुरुवार, 25 जुलाई 2019

"हरे हरे बाँस कटा मोरे अँगना"... / अमीर ख़ुसरो

https://youtu.be/IbEp2646Gv8

"हरे हरे बाँस कटा मोरे अँगना"....
-अमीर ख़ुसरो 

Original Lyrics : 

Hare hare baans kata more angana
Neeka madha chhawao re..
Parbat baans manga more babul - 2
Kaanu madha chhawao re….hare hare baans

Sagre nazomi, jyotishi, babul, - 2 ...sabka bhej bulao re..
Jaiso laadli bitiya re babul-2, vaisa hi kaaj/taaj rachao re..
Hare hare baans…
Madhe upar kalash biraje,-2
Dekhen raja rao re..
Godhe haathi  sobha dena, -2, babul dil dariyao re…
Hare hare baans..

Ek na dini sar ko re kangi-2
Mori saas bol balat re…
Sona bhi dena, loha/lohka bhi dena,-2
Dena jarat jadhao(jadaau) re..
Hare hare baans..

Dahaliya parbat bhain..
Babul angana bhaya videsh,
Le babul ghar aapna..
Main chali piya k desh..

Hare hare baans…

Word Meanings :

Hare Baans = Green Bamboos,
Angana = Courtyard/Garth/Compound
Neeka = Nice/Beautiful
Madha = Mandap (Structure made for marriage) just google "Shadi Mandap"
Chhawao = make the Mandap, basically putting everything together, including shelter at top, something similar to thatching
Parbat baans = long bamboos like mountains
babul = girl's father (girl, whose marriage is going on)
Sagre = all
nazoomi = Nizams (not sure)
Jyotishi = Astrologers
Sabka bhej bulao = Send invitation (in form of physically calling them, in old days thats how the invitation was sent) to all
Laadli bitiya = The beloved daughter
Kaaj = Complete setup (of the marriage)
Taaj = crown
Madhe upar = on top of mandap
Dekhen raja rao = the mandap setup should be such that, even king and all would see
Ghodhe, hathi = Horse, Elephant
Sobha dena = Exhibit
Dil Dariyao = Be open handed/generous
Na dini = not given
Sar ko kangi = Comb for head/hair
Mori = Mine
Saas = Mother in law
bol bolat = Satire or taunting
Sona bhi dena = Give gold, 
loha bhi = Even Iron (Not sure if it is really "loha" or something else)
Jarat, Jadhao = Strong, unbreakable (Not sure)
Dahaliyan = thresholds (or some demarcation ) of entrances of the house
Parbat bhain = became mountain
Angana bhaya videsh = Compound/Courtyard of house became foreign 
Le Babul ghar aapna = Father, take your home (from me)
Main chali piya k desh = I am going to husband's country

मंगलवार, 23 जुलाई 2019

॥चंद्रशेखरऽष्टकम्॥ ऋषि मार्कण्डेय कृत

https://youtu.be/VECfX823mxU
Chandrashekara Ashtakam is said to have been written by Sage Markandeya,
an ancient Hindu Rishi who was saved by Chandrashekara or Lord Shiva from
Lord of Death (Kala or Yama) at the age of 16 and blessed him to be 16 forever.

In these verses, the sage seeks refuge in Chandrashekara, who is the destroyer
of the various illusions and who is the personification of the three qualities and
worshipped as the Lord of the Lords. “When he is by my side, what can the
Lord of Death (Yama) do to me?”, asks Sage Markandeya.

॥चंद्रशेखरऽष्टकम्॥ ऋषि मार्कण्डेय कृत 

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम्। 
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम्॥

रत्नसानुशरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकेतनम्। 
सिन्जिनीकृत पन्नगेश्वर अच्युतानन सायकम्॥ 
क्षिप्र दग्ध पुरत्रयं त्रिदिवालयैरभि वन्दितम्। 
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥१॥ 

पञ्च पादप पुष्प गंध पदाम्बुज द्वय शोभितम्। 

भाललोचन जातपावक दग्ध मन्मथ विग्रहम्॥ 
भस्म दग्ध कलेवरं भव नाशनं भवमाव्ययम्। 
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥२॥ 

 मत्त वारण मुख्य चर्म कृतोत्तरीय मनोहरम्। 

पङ्कजासन पद्मलोचन पूजिताङ्घ्रि सरोरुहम्॥ 
देव सिन्धु तरङ्गसीकर सिक्त शुभ्र जटाधरम्। 
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥३॥ 

 यक्षराजसखं भगाक्षहरं भुजङ्ग विभूषणम्। 

शैलराजसुतापरिष्कृत चारु वाम कलेवरम्॥ 
क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणम्। 
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥४॥ 

 कुण्डलीकृत कुण्डलेश्वर कुण्डलं वृष वाहनम्। 

नारदादिमुनीश्वरस्तुत वैभवं भुवनेश्वरम्॥ 
अन्धकान्धकमाश्रित अमरपादपं श्रमनान्तकम्। 
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥५॥ 

 भेषजं भवरोगिणं अखिला पदामपहारिणम्। 

दक्षयज्ञविनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम्॥ 
भुक्तिमुक्ति फलप्रदं  सकलाघसङ्घ निबर्हणं। 
चन्द्रशेखर माश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥६॥

भक्तवत्सलमर्चितं निधिमक्षयं हरिदंबरं
सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनुत्तमम् ।
सोमवारिदभूहुताशनसोमपानिलखाकृतिं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥७॥ 


 विश्व सृष्टि विधायिनं पुनरेव पालन तत्परम्। 

संहरन्तमपि प्रपञ्चमशेषलोकनिवासिनम्॥ 
क्रीडयन्तमहर्निशं  गणनाथयूथसमन्वितम्। 
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥८॥ 

 चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम्। 

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर राक्षमाम्॥ 
 ॥इतिश्री॥


"कान्हा रे" | भावपूर्ण मोहक नृत्य : रिया वास | सुमधुर स्वर : नीति मोहन

https://youtu.be/LyaZuwW2Cw8  
Dance by Riya Vasa on the song "Kanha Re".
Choreographed by Guru Ritu Mukherjee.

Singer: Neeti Mohan

Kanha Re Lyrics : Kanha re Nand nandan Kanha re Nand nandan Param niranjan Hey dukh bhanjan Kanha re Nand nandan Kanha re Kanth bani motiyan ki mala Kanth bani motiyan ki mala Tihrat moondat hari brij bala re Kanha re Nand nandan Kanha re Nand nandan Param niranjan Hey dukh bhanjan Kanha re Na dir da ni Ta da re Dheemm Ta da re Dheem.....


सोमवार, 22 जुलाई 2019

"बरदो न बान्हए गौरा तोर भंगिया."........ महाकवि विद्यापति.

 शिव भक्ति गीत : नचारी 

                                    
बरदो न बान्हए गौरा तोर भंगिया
अंगने अंगने खाए पथार
रोमए गेलहुँ तँ झुकि झुकि मार ।
एक मोन होएये सिव के दियनि उपराग
देहरि बैसल छथिन बासुकि नाग ।
कातिक गणपति दुइ चरबाह
इहो दुनू बालक बरद हराह ।
भनइ विद्यापति सुनू हे समाज
इहो दुनू बेकति के एको नहिं लाज ।

शनिवार, 20 जुलाई 2019

आनन्द नटन प्रकाशं......(संस्कृत ) / श्री मुत्तुस्वामी दीक्षितर्

https://youtu.be/Vc_-2KCG8po

मुत्तुस्वामी दीक्षितर् (1775-1835) दक्षिण भारत के महान् कवि व 
रचनाकार थे। 
वे कर्नाटक संगीत के तीन प्रमुख व लोकप्रिय हस्तियों में से एक हैं। 
उन्होने 500 से अधिक संगीत रचनाएँ की। 
कर्नाटक संगीत की गोष्ठियों में उनकी रचनाऐं बहुतायत में गायी व 
बजायी जातीं हैं।

आनन्द नटन प्रकाशम्, श्री मुथुस्वामी दीक्षितार विरचित पञ्चभूत कृतियों
(पञ्चतत्वों के गीत) की एक कृति है।
राग केदारम् में निबद्ध यह रचना, आकाश तत्त्व के रूप में पूजित,
भगवान चिदम्बरम् को समर्पित है।

पल्लवि :
आनन्द नटन प्रकाशं चित्सभेशं आश्रयामि शिव काम वल्लीशम्

I seek refuge in the one radiantly manifest with the dance of joy,
the lord of the hall of consciousness and the lord of Goddess Shivakamavalli,
अनुपल्लवि :
भानु कोटि कोटि संकाशं भुक्ति मुक्ति प्रद दहराकाशम् दीन जन संरक्षण चणं
(मध्यम काल साहित्यम्)
दिव्य पतञ्जलि व्याघ्र पाद- दर्शित कुञ्चिताब्ज चरणम्

The one brilliant as countless suns, the giver of enjoyment and liberation,
the embodiment of the inner space (in the heart), the one renowned for
protection of poor and destitute people, the one with a bent (lifted) lotus-like
foot, (that was) displayed (during the dance) to the Devas, Patanjali and
Vyaghrapada. चरणम् :
शीतांशु गङ्गा धरं नील कन्धरं श्री केदारादि क्षेत्राधारम् भूतेशं शार्दूल चर्माम्बरं चिदम्बरं

The one bearing the moon (who has cool rays) and the Ganga,
the blue-throated one, one who is the foundation of (the sanctity)
of sacred places such as Kedara, the lord of the (five) elements,
the one wearing a tiger-skin as garment, the lord of Chidambaram
(the firmament of consciousness).
भू-सुर त्रि-सहस्र मुनीश्वरं विश्वेश्वरम् नवनीत हृदयं सदय गुरु गुह तातं आद्यं वेद वेद्यं वीत रागिणं अप्रमेयाद्वैत प्रतिपाद्यं सङ्गीत वाद्य विनोद ताण्डव - जात बहु-तर भेद चोद्यम्

The lord of the three thousand Brahmin sages, the ruler of the universe,
the one whose heart is (soft, easily melted) like butter, the father of the
merciful Guruguha, the primordial one, the one understood through the
Vedas, the one devoid of desire or attachment, the immeasurable one,
the one expounded by Advaita. He performs various forms of dances to
the accompaniment of music and musical instruments. He imparts
knowledge to His devotees and becomes the answer to the questions
of his devotees.
*