मंगलवार, 28 मार्च 2023

कल्याण गोपालं करुणालवालं.../ रचना : संत नारायण तीर्थ / गायन : स्फूर्ति राव

 https://youtu.be/Ho8RlycZIpo

Experience the joy of Lord Krishna worship
with the classic Kalyana Gopalam of Saint
Narayana Teertha presented by Spoorthi Rao.

कल्याण गोपालं करुणालवालं 
माल्यालंकृत मीडे मदन गोपालं 

अमर नारी गीतं आगम विनुतं 
अमित भाग्योपेतं आश्रये अनंतं 

मुरळी सरळ गानं मुनिबृंदाधीनं 
शरणागत पालनं शरदिंदु वदनं 

भव तिमिर घन भानुम्  भक्त कामधेनुं 
शिव नारायण तीर्थ  श्रीघ्र वरदानम् 

रविवार, 26 मार्च 2023

मोरा रे अँगनमा चनन केरि गछिया / रचना : मैथिल महाकवि विद्यापति / गायन : चन्दा झा

 https://youtu.be/wGwQBN1o7g8  

 

मोरा रे अँगनमा चनन केरि गछिया, 
ताहि चढ़ि कुररय काग रे।
सोने चोंच मढ़ाय देब बायस, 
जओ पिया आओत आज रे।

गावह सखि सब झूमर लोरी, 
मयन अराधए जाउं रे।
चउदिसि चम्पा मउली फूललि, 
चान इजोरिया राति रे।

कइसे कए हम मयन अराधब, 
होइति बड़ि रति साति रे।
बाँक समय कागा केयो न अपन हित,
देखल आँखि पसारि रे। 

विद्यापति कवि इहो पद गावथि,
पहु छथि गुणक निधान रे। 
राय भोगीसर सब गुण आगर,
पद्मा देइ रमान रे। 

शनिवार, 25 मार्च 2023

अलख् निरंजन घिल् घिल् गुंजन भव-भय-भंजन बैरागि.../ दृष्टिदान - कन्नड़ / रचना : पंढरीनाथ आचार्य गलगली / स्वर : नवनीत गलगली

 https://youtu.be/V3DpYi6e3Uo  

Pandit Pandharinathacharya Galagali 
(10 July 1922 — 29 August 2015) was a Sanskrit scholar, 
author, poet, journalist, and orator.
He has authored over 50 books in Kannada and Sanskrit
among which are Shri Shambhu Linga Vijaya Champu (Sanskrit), 
Raaga Viraga (Kannada), Bharata Swaatantrya Sangramasya 
Itihasaha (Sanskrit), and Mahabharatada Mahileyaru (Kannada). 
He was also the editor of five Kannada and Sanskrit newspapers 
for over four decades.
He is the recipient of various awards and honours, including the 

Rashtrapati Award (Presidential Award of India) and Dalmia Award. 
He is also notable for being the first person from the state of Karnataka 
to win the Sahitya Akademi Award for contributions in Sanskrit.
Navneet Galgali is his grand son.

कथा सन्दर्भ : एक सुदर्शन भिक्षु एक धनाढ्य 
विवाहित स्त्री से भिक्षा माँगने जाता है। 

अलख् निरंजन घिल् घिल् गुंजन 
भव-भय-भंजन बैरागि,
दड़ दड़ बंदनु द्वारदि निंदनु 
भिक्षॆयु ऎंदनु आ जोगि।। 

चन्दन चर्चित भस्मोद्वर्चित 
बन्धुर सुन्दर सन्यासी 
एद झल एंदितु मइ झुम एंदितु 
सयंम पाशवु सड़िलित्तु 
कंगड़ मंगड़ कान्तिय शान्तिय 
कडलीना वडलली सड़िलित्तु 

नाचिके नल्लेय गल्ला गुलाबिगे 
मेल्लने गुल्लनु  कोट्टित्तू 
अलख निरंजन अलख निरंजन 
कन्चिन कंठवु मोलगित्तू 

हेन्निन कन्निगे हब्बव हब्बिसी 
मिंचिन मुरुति बेलगित्तु 
शपथवु मरियितु कुपथवु तेरयितु
करियतु किंकिनि झेंकार 
कर्णव येलयितु हर्णव सेलयितु 
हुंकरिसुव स्मर टंकार 

निल्लद मेलुद मेल्लनि तीड़ुत 
सारिदलु प्रणयद रंगेरी 
निल्लेले जोगिये निन्नय कन्नली 
येन्तहा कान्तियु कुनियुतिदे 
तेजःपुञ्जद कान्ति विलासके 
रवि-शशि नैदिले मणियुतिवे 

अलख निरंजन अलख निरंजन 
मरुदिन बन्दनु आ जोगी 
उक्किन बागिलू गक्क्ने तेरेयितु 
मुंतेरे सरयितु मरयल्ली  

तायिये तेगदुको येन्नुता जोगियु 
नीरगे थालिया कोट्टिदा 
थालिया तलदलि थड़ थड़ होड़ियुव 
कन्नुगड़रदानु इत्तिड्डा 

तायिये निन्नेय दिन नी निन्नेय
कन्नीन बन्नने माडिड्डी 
गरतीय गोरिय कत्तिद तोगलिना 
आ कन कित्तिदो तंदिहेनु 

अलख निरंजन अलख निरंजन 
नड़दनु निर्व्यथे आ जोगी 
तोगलिन कंबलि इंदलि ज्ञानदा 
वड़गन तेरयिसि कुरुड़ागी  

शुक्रवार, 24 मार्च 2023

चंद्रमुखी सन गौरी हमर छथि.../ शिव-पार्वती विवाह गीत / मैथिल महाकवि विद्यापति रचित / गायन : श्रीमती रंजना झा

 https://youtu.be/JD9gsauGP4Y 

चंद्रमुखी सन गौरी हमर छथि...
शिव-पार्वती विवाह गीत  
भाषा : मैथिली 
मैथिल महाकवि विद्यापति रचित  
गायन : श्रीमती रंजना झा 

गे माई चंद्रमुखी सन, गौरी हमर छथि
सुर्य सन करितौं जमाई

नारद के हम की रे बिगाड़लौं   
जिन बूढ़ आनल जमाई
गे माई एहेन सुनरि धिया 
तिनको केहेन पिया,
नारद आनल उठाई,
गे माई

परिछन चलली माई मनाईन
वर देखि खसलि झमाई
गे माई हम नै बियाहब ईहो तपसि वर
मोरी धिया रहती कुमारी,
गे माई

कहथिन गौरी सुनू हे सदाशिव
एक बेर रूप देखाऊ,
गे माई देखी जुड़ाईत माई मनाईन
देखत नगर समाज
गे माई

भनहि विद्यापति सुनु हे मनाईन
इहो थिका त्रिभुवन नाथ,
गे माई करम लिखल छल
ईहो तपसि वर
लिखल मेटल नहि जाय

गे माई चंद्रमुखी सन, गौरी हमर छथि
सुर्य सन करितौं जमाई

भावार्थ 

हे माई ! हमारी गौरी तो चंद्रमुखी (चाँद जैसे मुख वाली) है, 
इसके लिए मैं सूर्य (सूरज) जैसा जमाई  (जामाता/वर) करती। 

नारद का मैंने क्या बिगाड़ा था, जो ये बूढ़ा वर ले आये। 
हे माई ! ऐसी सुन्दर बेटी के लिए कैसा पिया नारद उठा कर ले आये। 
माँ मैना जब परीछने चलीं तो वर देख कर मुरझा गयीं। 
हे माई ! मैं इस तपसी वर से विवाह नहीं करुँगी, 
भले मेरी बेटी कुवाँरी रह जाये। 

गौरी कहती हैं कि, सुनो हे सदाशिव !
एक बार अपना रूप दिखा दो। 
जिसको देख कर माँ मैना का कलेजा ठंढा हो जायेगा 
और सारा नगर -समाज देखता रह जायेगा। 

विद्यापति कवि कहते हैं कि, हे मैना सुनो,
ये तो त्रिभुवन नाथ हैं। 
हे माई ! भाग्य में यही तपसी वर लिखा है,
और लिखा हुआ मिट नहीं सकता। 

हे माई ! हमारी गौरी तो चंद्रमुखी (चाँद जैसे मुख वाली) है, 
इसके लिए सूर्य जैसा जमाई  (जामाता/वर) करती। 

गुरुवार, 23 मार्च 2023

सुतल पिया के जगावै हो रामा कोइली तोरी बोलिया.../ मैथिली लोकगीत / चैती / गायन : भव्या रानी

 https://youtu.be/NEIKBFN8Hxo


सुतल पिया के जगावै हो रामा 
कोइली तोरी बोलिया

कोइली तोरी बोलिया
हो कोइली तोरी बोलिया
सुतल पिया के जगावै हो रामा 
कोइली तोरी बोलिया

आन दिन बोले कोइली भोर-भिनसरवा 
आन दिन बोले कोइली भोर-भिनसरवा 
आज किया बोले आधी रतिया हो रामा 
चैत महिनवा 
सुतल पिया के जगावै हो रामा 
कोइली तोरी बोलिया

तोर बोली सुनि का पिया मोर जागल 
तोर बोली सुनि का पिया मोर जागल 
उठि चले परदेसवा हो रामा 
चैत महिनवा 
सुतल पिया के जगावै हो रामा 
कोइली तोरी बोलिया

होइत परात कोइली खोत उजारब 
होइत परात कोइली खोत उजारब 
काटब चनन घन गछिया हो रामा 
चैत महिनवा 
सुतल पिया के जगावै हो रामा 
कोइली तोरी बोलिया

जौ हम जनितौं पिया चलि जैता 
जौ हम जनितौं पिया चलि जैता 
बंधितौं रेशम के डोरिया हो रामा 
चैत महिनवा 
सुतल पिया के जगावै हो रामा 
कोइली तोरी बोलिया

सगरौ राति हम जगिले रहलौं 
सगरौ राति हम जगिले रहलौं 
भोर में गइलौं अलसाइ हो रामा 
चैत महिनवा 
सुतल पिया के जगावै हो रामा 
कोइली तोरी बोलिया

कोइली तोरी बोलिया
कोइली तोरी बोलिया
कोइली तोरी बोलिया
कोइली तोरी बोलिया
सुतल पिया के जगावै हो रामा 
कोइली तोरी बोलिया
सुतल पिया के जगावै हो रामा 
कोइली तोरी बोलिया
सुतल पिया के जगावै हो रामा 
कोइली तोरी बोलिया

बुधवार, 22 मार्च 2023

सखि कासे कहूँ मोहे लाज लागे.../ सूफ़ी संगीत / ख़ुसरो, कबीर / गायन : ममता जोशी

 https://youtu.be/Q6ymQf120BI 

साजन हम तुम एक हैं बस कहन सुनन को दोय 
जैसे मन से मन को तौलिये सो दो मन कबहुँ न होय 

ख़ुसरो नदी प्रेम की और उल्टी वा की धार 
जो निकला सो तो डूब गया, जो डूबा सो हुआ पार 

सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे 
सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे
मोहे पी की नजरिया मार गयी
सखि कासे कहूँ मोहे
सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे
सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे
सखि कासे कहूँ 

सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे
मोहे पी की नजरिया मार गयी
मैंने लाज का घूंघट खोल दियो 
मैंने लाज का घूंघट खोल दियो 
पिया जीत गए मैं हार गयी
मैंने लाज का घूंघट खोल दियो 
पिया जीत गए मैं हार गयी

इन चूड़ियों की लाज पिया रखना 
ये तो पहन लई अब उतरत ना 
ये तो पहन लई अब उतरत ना 
मोरा मॉंग-सुहाग तुम्हैं से है 
मैं तो तुम पर जोबना लुटा बैठी 
सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे
सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे

मंगलवार, 21 मार्च 2023

अँखियन परत गुलाल लला ऐसी खेलो न होरी.../ परम्परागत शास्त्रीय कुमाउँनी होली / गायन : बबीता रावत विष्ट

 https://youtu.be/dErVwnNw16I  

अँखियन परत गुलाल लला ऐसी खेलो न होरी...
परम्परागत शास्त्रीय कुमाउँनी होली बैठकी 
गायन : बबीता रावत विष्ट 

अँखियन परत गुलाल
अरे हाँ, अँखियन परत गुलाल
अरे हाँ, अँखियन परत गुलाल
लला ऐसी खेलो न होरी

भर पिचकारी, सनमुख मारी 
भीजी चुनर मोरी सारी 
अरे हाँ, भीजी चुनर मोरी सारी 

लाल कपोल दुखन अब लागे 
झारत-झारत हारी 
अरे हाँ, झारत-झारत हारी 

अँखियन परत गुलाल
अरे हाँ, अँखियन परत गुलाल
लला ऐसी खेलो न होरी

देख रहीं सब संग की सहेली,
सारी बिरज की नगरिया 
अरे हाँ, सारी बिरज की नगरिया
अब तो राह छोड़ो मेरे मोहन 
तुम जीते मैं हारी 
रामा, तुम जीते मैं हारी 

अँखियन परत गुलाल
अरे हाँ, अँखियन परत गुलाल
लला ऐसी खेलो न होरी

ऐसी होली कबहूँ न खेली, 
जैसी श्याम खेलाई 
अरे हाँ, जैसी श्याम खेलाई 
गगरी फोड़ी, बहियाँ मरोड़ी,
तुम हो बड़े हरज़ाई 
हो रामा, तुम हो बड़े हरज़ाई 

अँखियन परत गुलाल
अरे हाँ, अँखियन परत गुलाल
लला ऐसी खेलो न होरी