बुधवार, 24 जुलाई 2024

वैद्यनाथाष्टकम् .../ अदि शंकराचार्य / स्वर : शिवश्री स्कन्दप्रसाद

https://youtu.be/teRy1PjJuvs  


श्रीरामसौमित्रिजटायुवेद षडाननादित्य कुजार्चिताय ।
श्रीनीलकंठाय दयामयाय श्रीवैद्यनाथाय नमःशिवाय ॥ १॥

शंभो महादेव शंभो महादेव शंभो महादेव शंभो महादेव ।
शंभो महादेव शंभो महादेव शंभो महादेव शंभो महादेव ॥

गंगाप्रवाहेंदु जटाधराय त्रिलोचनाय स्मर कालहंत्रे ।
समस्त देवैरभिपूजिताय श्रीवैद्यनाथाय नमः शिवाय ॥ २॥

(शंभो महादेव)

भक्तःप्रियाय त्रिपुरांतकाय पिनाकिने दुष्टहराय नित्यम् ।
प्रत्यक्षलीलाय मनुष्यलोके श्रीवैद्यनाथाय नमः शिवाय ॥ ३॥

(शंभो महादेव)

प्रभूतवातादि समस्तरोग प्रनाशकर्त्रे मुनिवंदिताय ।
प्रभाकरेंद्वग्नि विलोचनाय श्रीवैद्यनाथाय नमः शिवाय ॥ ४॥

(शंभो महादेव)

वाक् श्रोत्र नेत्रांघ्रि विहीनजंतोः वाक्श्रोत्रनेत्रांघ्रिसुखप्रदाय ।
कुष्ठादिसर्वोन्नतरोगहंत्रे श्रीवैद्यनाथाय नमः शिवाय ॥ ५॥

(शंभो महादेव)

वेदांतवेद्याय जगन्मयाय योगीश्वरद्येय पदांबुजाय ।
त्रिमूर्तिरूपाय सहस्रनाम्ने श्रीवैद्यनाथाय नमः शिवाय ॥ ६॥

(शंभो महादेव)

स्वतीर्थमृद्भस्मभृतांगभाजां पिशाचदुःखार्तिभयापहाय ।
आत्मस्वरूपाय शरीरभाजां श्रीवैद्यनाथाय नमः शिवाय ॥ ७॥

(शंभो महादेव)

श्रीनीलकंठाय वृषध्वजाय स्रक्गंध भस्माद्यभिशोभिताय ।
सुपुत्रदारादि सुभाग्यदाय श्रीवैद्यनाथाय नमः शिवाय ॥ ८॥

(शंभो महादेव)

बालांबिकेश वैद्येश भवरोग हरेति च ।
जपेन्नामत्रयं नित्यं महारोगनिवारणम् ॥ ९॥

(शंभो महादेव)

॥ इति श्री वैद्यनाथाष्टकम् ॥

रविवार, 21 जुलाई 2024

ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए.../ बहज़ाद लखनवी / गायन : पूनम चौहान

https://youtu.be/8_gwpcH0t_A?si=rZ8TUa8RBoGc03eU


ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए 
मंज़िल के लिए दो गाम चलूँ और सामने मंज़िल आ जाए 

ऐ दिल की लगी चल यूँही सही चलता तो हूँ उन की महफ़िल में 
उस वक़्त मुझे चौंका देना जब रंग पे महफ़िल आ जाए 

ऐ रहबर-ए-कामिल चलने को तय्यार तो हूँ पर याद रहे 
उस वक़्त मुझे भटका देना जब सामने मंज़िल आ जाए 

हाँ याद मुझे तुम कर लेना आवाज़ मुझे तुम दे लेना 
इस राह-ए-मोहब्बत में कोई दरपेश जो मुश्किल आ जाए 

अब क्यूँ ढूँडूँ वो चश्म-ए-करम होने दे सितम बाला-ए-सितम 
मैं चाहता हूँ ऐ जज़्बा-ए-ग़म मुश्किल पस-ए-मुश्किल आ जाए 

इस जज़्बा-ए-दिल के बारे में इक मशवरा तुम से लेता हूँ 
उस वक़्त मुझे क्या लाज़िम है जब तुझ पे मिरा दिल आ जाए 

ऐ बर्क़-ए-तजल्ली कौंध ज़रा क्या मुझ को भी मूसा समझा है 
मैं तूर नहीं जो जल जाऊँ जो चाहे मुक़ाबिल आ जाए 

कश्ती को ख़ुदा पर छोड़ भी दे कश्ती का ख़ुदा ख़ुद हाफ़िज़ है 
मुश्किल तो नहीं इन मौजों में बहता हुआ साहिल आ जाए

शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी.../ नसीर तुराबी / गायन : ज़ायरा अली

https://youtu.be/QOsFnzW4EMY  


वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी
कि धूप छाँव का आलम रहा जुदाई न थी

न अपना रंज न औरों का दुख न तेरा मलाल
शब-ए-फ़िराक़ कभी हम ने यूँ गँवाई न थी

मोहब्बतों का सफ़र इस तरह भी गुज़रा था
शिकस्ता-दिल थे मुसाफ़िर शिकस्ता-पाई न थी

अदावतें थीं, तग़ाफ़ुल था, रंजिशें थीं बहुत
बिछड़ने वाले में सब कुछ था, बेवफ़ाई न थी

बिछड़ते वक़्त उन आँखों में थी हमारी ग़ज़ल
ग़ज़ल भी वो जो किसी को अभी सुनाई न थी

किसे पुकार रहा था वो डूबता हुआ दिन
सदा तो आई थी लेकिन कोई दुहाई न थी

कभी ये हाल कि दोनों में यक-दिली थी बहुत
कभी ये मरहला जैसे कि आश्नाई न थी

अजीब होती है राह-ए-सुख़न भी देख 'नसीर'
वहाँ भी आ गए आख़िर, जहाँ रसाई न थी 

रविवार, 14 जुलाई 2024

ऐ ज़ब्त देख 'इश्क़ की उनको ख़बर न हो.../ शायर : अमीर मीनाई / प्रस्तुति : शक़ील अहमद शाह मशहदी

https://youtu.be/Q4nM3Dny4DU


ऐ ज़ब्त देख 'इश्क़ की उन को ख़बर न हो 
दिल में हज़ार दर्द उठे आँख तर न हो 

मुद्दत में शाम-ए-वस्ल हुई है मुझे नसीब 
दो-चार साल तक तो इलाही सहर न हो

इक फूल है गुलाब का आज उन के हाथ में 
धड़का मुझे ये है कि किसी का जिगर न हो 

ढूँडे से भी न मअ'नी-ए-बारीक जब मिला 
धोका हुआ ये मुझ को कि उस की कमर न हो 

उल्फ़त की क्या उमीद वो ऐसा है बेवफ़ा 
सोहबत हज़ार साल रहे कुछ असर न हो 

तूल-ए-शब-ए-विसाल हो मिस्ल-ए-शब-ए-फ़िराक़ 
निकले न आफ़्ताब इलाही सहर न हो

गुरुवार, 11 जुलाई 2024

नमामि मातृदेवतां.../ स्वर : पण्डित शान्तनु भट्टाचार्य

 https://youtu.be/s1luyp3gaWU


अनन्तरूपधारिणीं 
चराचरे विहारिणीं 
स्मितै सदात्महारिणी 
नमामि मातृदेवतां

सुमंगलां सुनिर्मलां 
महोज्ज्वलां महाबलां 
तमोविनोदिनीं कलां
नमामि मातृदेवतां

समस्त लोक शंकरीं
चिदंम्बरात्मनिर्झरीं
दिवंकरीं  शिवंकरीं
नमामि मातृदेवतां

वराभयप्रदायिनीं  
अभव्यभीतिभायिनीं 
प्रसादनप्रदायिनीं
नमामि मातृदेवतां 

प्रभातपद्मशायिनीं  
सुधारसप्रपायिनीं 
सुभाग्यसंविधायिनीं  
नमामि मातृदेवतां 

हृदि स्थितां समाश्रितां  
समर्चितां सुवन्दितां 
समर्पितात्मसेवितां 
नमामि मातृदेवतां 




मंगलवार, 9 जुलाई 2024

चलो मन वृन्दावन की ओर.../ गायन : कौशिकी चक्रवर्ती

https://youtu.be/ugzbXaMB7gk 

चलो मन वृन्दावन की ओर,
प्रेम का रस जहाँ छलके है,
कृष्णा नाम से भोर,
चलो मन वृंदावन की ओर ॥
भक्ति की रीत जहाँ पल पल है,
प्रेम प्रीत की डोर,
राधे राधे जपते जपते,
दिख जाए चितचोर,
चलो मन वृंदावन की ओर ॥

उषा की लाली के संग जहाँ,
कृष्णा कथा रस बरसे,
राधा रास बिहारी के मंदिर,
जाते ही मनवा हरषे,
ब्रिज की माटी चंदन जैसी,
मन हो जावे विभोर,
चलो मन वृंदावन की ओर ॥

वन उपवन में कृष्णा की छाया,
शीतल मन हो जाए,
मन भी हो जाए अति पावन,
कृष्णा कृपा जो पाए,
नारायण अब शरण तुम्हारे,
कृपा करो इस ओर,
चलो मन वृंदावन की ओर ॥

रविवार, 7 जुलाई 2024

ऐ चंदा मामा, आरे आवा पारे आवा.../ गायन : दीपाली सहाय

https://youtu.be/AT_RTjiV33Y  


चंदा मामा आरे आवा पारे आवा 
नदिया किनारे आवा ।
सोना के कटोरिया में 
दूध भात लै लै आवा
बबुआ के मुंहवा में घुटूं ।।

आवाहूं उतरी आवा हमारी मुंडेर, 
कब से पुकारिले भईल बड़ी देर ।
भईल बड़ी देर हां बाबू को लागल भूख ।
ऐ चंदा मामा ।।

मनवा हमार अब लागे कहीं ना, 
रहिलै देख घड़ी बाबू के बिना
एक घड़ी हमरा को लागै सौ जून ।
ऐ चंदा मामा ।।