मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024

मा गो चिन्मयी रूप धरे आय.../ गीत : काज़ी नज़रुल इस्लाम / परिकल्पना : सौनक चट्टोपाध्याय

https://youtu.be/P9MTgl6wmrs  


मागो चिन्मयी रूप धरे आय।
मृन्मयी रूप तोर पूजि श्री दुर्गा ताइ 
दुर्गति काटिल ना हाय॥
    
ये महा-शक्तिर हय ना बिसर्जन
    अन्तरे बाहिरे प्रकाश यार अनुखन
मन्दिरे दुर्गे रहे ना ये बन्दी
 सेइ दुर्गारे देश चाय॥

आमादेर द्बिभुजे दशभुजा-शक्ति
 दे परम ब्रह्ममयी।
शक्तिपूजार फल भक्ति कि पाब शुधु 
हब ना कि बिश्बजयी ?
एइ पूजा-बिलास संहार कर 

यदि, पुत्र शक्ति नाहि पाय॥

মাগো চিন্ময়ী রূপ ধরে আয়

মৃন্ময়ী রূপ তোর পূজি শ্রী দুর্গা তাই 
দুর্গতি কাটিল না হায়॥
    
যে মহা-শক্তির হয় না বিসর্জন
    অন্তরে বাহিরে প্রকাশ যার অনুখন
মন্দিরে দুর্গে রহে না যে বন্দী
 সেই দুর্গারে দেশ চায়॥

আমাদের দ্বিভুজে দশভুজা-শক্তি
 দে পরম ব্রহ্মময়ী।
শক্তিপূজার ফল ভক্তি কি পাব শুধু 
হব না কি বিশ্বজয়ী ?
এই পূজা-বিলাস সংহার র 

যদি, পুত্র শক্তি নাহি পায়॥

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