मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024

दिनवा गिनत मोरी.../ फिल्म : विदेसिया/ स्वर : दीपाली सहाय

https://youtu.be/G1wYOdg5ShQ  


दिनवा गिनत मोरी 

(दिन गिन गिन कर मेरी) 

घिसली उमिरिया कि 

(उमर घिस चुकी है) 

रहिया तकत नैना

(राह तकते तकते मेरे नैन) 

ढुरई रे बिदेसिया 

(तुझे ढूँढ रहे हैं, बिदेसिया) 


कूहुकई लागे कोयिली 

(कोयल कुहुकने लगी है)

पीहिकई रे पपिहरा 

(पपीहा पिहकने लगा है ) 

बउर लागे अमवा

(आम के पेड़ में बौर लग गये हैं) 

बाउर भइले जियरा 

(और मेरा जिया बौरा{पगला} गया है) 

उमंग आस अँसुआ में 

(तुम्हे देखने की उमंग आस, आँसू बनकर) 

जुरई रे बिदेसिया 

(मेरी आँखों से बह रहा है, बिदेसिया) 


आलास लागे तनवा 

(मेरे तन को आलस लग रहा है) 

उमस जागे मनवा 

(और मन में थकान) 

करेजवा में कर करकै 

(कलेजा में जैसे की) 

बिरह बिसबनवा 

(विरह का ज़हरीला तीर लग गया हो) 

कि उचकल नजरी मोहे 

(सारे समाज की उचकती नज़रें) 

घुरई रे बिदेसिया 

(अब हमको घूर रही है, बिदेसिया)

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