शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024

ज़िन्दगी रोज़ तेरा दर्द जिया है मैंने.../ शायर : हसीब सोज़ / गायन : डा. अनिल शर्मा

https://youtu.be/L3e10EUoJCc

ज़िन्दगी रोज़ तेरा दर्द जिया है मैंने 
ज़ह्र तो कुछ भी नहीं है जो पिया है मैंने

तुम अगर भूल गए हो तो कोई बात नहीं
वर्ना दामन तो तुम्हारा भी सिया है मैंने

कोई खुद आ के रुका है तो रुका है वर्ना
जाने वालों को कहाँ हाथ दिया है मैंने

मुझसे इस बार कोई चूक नहीं होने की
कितना भारी है उसे तोल लिया है मैंने

कद्दे-आदम तेरी तस्वीर लगी है घर में
घर को तरक़ीब से आबाद किया है मैंने

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