शनिवार, 5 मार्च 2022

हम भी पिएँ तुम्हें भी पिलाएँ तमाम रात.../ रियाज़ ख़ैराबादी / मलिका पुख़राज

 https://youtu.be/BfjFsb3tp4w   

रियाज़ ख़ैराबादी  (१८५३-१९३४)
सैयद रियाज अहमद ‘रियाज’ का जन्म लखनऊ के समीप खैराबाद, 
जिला- सीतापुर में १८५३ में हुआ। रियाज बचपन से ही शेरो-शायरी के 
शौकीन थे। रियाज़ के पिता पुलिस विभाग में थे। पिता के नक्शे-कदम 
पर चलते हुए रियाज़ साहब भी पुलिस विभाग में चले गये।लेकिन 
साहित्यक रुचियों ने उन्हें वहां ज्यादा दिन रहने नहीं दिया और १८७२ 
में त्यागपत्र दे दिया। १९ वर्ष की उम्र पूरी भी नहीं हुई थी कि गोरखपुर से 
‘रियाजुल’ अखबार का संपादन और प्रकाशन करने लगे। १८७९ में शायरी 
संबंधी ‘गुलकदये-रियाज’ का प्रकाशन प्रारंभ कर दिया। अपनी शराब 
विषयक शायरी के लिए जाने जाते हैं। यद्यपि कहा जाता है कि, उन्होंने 
जीवन में कभी शराब छुई भी नहीं। 
 मलिका पुखराज (१९१२-२००४)
सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायिका मलिका पुखराज का जन्म जम्मू से 12 किमी. दूर 
अखनूर नदी के किनारे बसे गांव मीरपुर में हुआ। नौ वर्ष की आयु में ही वह 
जम्मू के राजा हरि सिंह के दरबार में शामिल हो गईं। संगीत शिक्षा उन्होंने 
उस्ताद अल्लाह बख़्श (बड़े गुलाम अली ख़ान के पिता) से ली। उनका विवाह 
लाहौर में सईद शब्बीर हुसैन शाह से हुआ और वक्त के साथ चार बेटों और 
दो बेटियों की मां बनी। उनकी एक बेटी ताहिरा सईद ने भी एक सुप्रसिद्ध गायिका 
के रूप में अपनी पहचान बनाई। 'अभी तो मै जवान हूं' के माध्यम से लोगों की 
जहन में जवान रहने वाली मलिका पुखराज का फ़रवरी २००४ में पाकिस्तान के 
लाहौर शहर में निधन हो गया।
हम भी पिएँ तुम्हें भी पिलाएँ तमाम रात
जागें तमाम रात जगाएँ तमाम रात

उन की जफ़ाएँ याद दिलाएँ तमाम रात

वो दिन भी हो कि उन को सताएँ तमाम रात

ज़ाहिद जो अपने रोज़े से थोड़ा सवाब दे

मय-कश उसे शराब पिलाएँ तमाम रात

क़ैस बे-क़रार है कुछ कोहकन की रूह

आती हैं बे-सुतूँ से सदाएँ तमाम रात

ता सुब्ह मय-कदे से रही बोतलों की माँग

बरसें कहाँ ये काली घटाएँ तमाम रात

ख़ल्वत है बे-हिजाब हैं वो जल रही है शम्अ'

अच्छा है उस को और जलाएँ तमाम रात

शब-भर रहे किसी से हम-आग़ोशियों के लुत्फ़

होती रहें क़ुबूल दुआएँ तमाम रात

दाबे रही परों से नशेमन को रात भर

क्या क्या चली हैं तेज़ हवाएँ तमाम रात

काटा है साँप ने हमें सोने भी दो 'रियाज़'

उन गेसुओं की ली हैं बलाएँ तमाम रात

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