वंशीविभूषितकरान्नवनीरदाभात् .....
भावानुवाद :
नवनीरद आभायुत
वंशीविभूषित कर।
पीताम्बरधर; अरुण
विम्बफल सम अधर।
पूर्णेन्दुसुन्दर मुख,
अरविन्द सदृश नेत्र;
कृष्ण से इतर, जानूँ
मैं न परमतत्व अपर।।
-अरुण मिश्र
मूल :
वन्शीविभूषित्करान्नवनीरदाभात
पीताम्बराद अरुणविम्बफलाधरोष्ठात
पूर्णेन्दुसुन्दर्मुखारर्विन्दनेत्रात
कृष्णात्परं किमपि तत्वमहम् न जाने ।।