बैसाखी की शुभकामनायें
खुद महकें, महकायें जग को निज सुवास से।
रहें जहाँ भी, आस-पास भर दें प्रकाश से।
धरती पर आनन्द बिखेरें नित, प्रसन्नचित;
निश्छल उर से और निष्कलुष मृदुल हास से।।
-अरुण मिश्र
खुद महकें, महकायें जग को निज सुवास से।
रहें जहाँ भी, आस-पास भर दें प्रकाश से।
धरती पर आनन्द बिखेरें नित, प्रसन्नचित;
निश्छल उर से और निष्कलुष मृदुल हास से।।
-अरुण मिश्र
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