https://youtu.be/KzkZ3922bD8?si=i0XgJGyUoV0eV8dT
रविवार, 6 अप्रैल 2025
उल्फ़त की नई मंज़िल को चला.../ शायर : क़तील शिफ़ाई / गायन : इक़बाल बानो
उल्फ़त की नई मंज़िल को चला तू बाँहें डाल के बाँहों में
क्या क्या न जफ़ाएँ दिल पे सहीं पर तुम से कोई शिकवा न किया
जब चाँदनी रातों में तुम ने ख़ुद हम से किया इक़रार-ए-वफ़ा
हम भी हैं वही तुम भी हो वही ये अपनी अपनी क़िस्मत है
शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025
कुछ उनकी ज़फाओं ने लूटा.../ गीत : फराज़ / गायन : नाहीद अख़्तर
https://youtu.be/fbpRtTuYGn4
कुछ उनकी ज़फाओं ने लूटा कुछ उनकी इनायत मार गई
हम राज़-ए-मोहब्बत कह न सके चुप रहने की आदत मार गई
हम राज़-ए-मोहब्बत कह न सके चुप रहने की आदत मार गई
वो कौन हैं जिन को जीने का पैग़ाम मोहब्बत देती है
हम को तो ज़माने में ऐ दिल, बेदर्द मोहब्बत मार गई
दिल ने भी बहुत मजबूर किया मिलने को भी लाखों बार मिले
जी भर के उन्हें न देखा न गया आँखों की शराफत मार गई
दोनों से शिकायत है लेकिन, इल्ज़ाम लगायें हम किस पर
कुछ दिल ने हमें बरबाद किया और कुछ हमें किस्मत मार गई
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