गुरुवार, 10 अप्रैल 2025

सब पेच-ओ-ताब-ए-शौक़ के तूफ़ान थम गए.../ शायर : अज़ीज़ हामिद मदनी / गायन : इक़बाल बानो

https://youtu.be/TFXOCmuwFTo   

सब पेच-ओ-ताब-ए-शौक़ के तूफ़ान थम गए
वो ज़ुल्फ़ खुल गई तो हवाओं के ख़म गए

अब जिन के ग़म का तेरा तबस्सुम है पर्दा-दार
आख़िर वो कौन थे कि ब-मिज़गान-ए-नम गए

वहशत सी एक लाला-ए-ख़ूनीं कफ़न से थी
अब के बहार आई तो समझो कि हम गए

ऐसी कोई ख़बर तो नहीं साकिनान-ए-शहर
दरिया मोहब्बतों के जो बहते थे थम गए

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