https://youtu.be/TFXOCmuwFTo
सब पेच-ओ-ताब-ए-शौक़ के तूफ़ान थम गए
वो ज़ुल्फ़ खुल गई तो हवाओं के ख़म गए
वो ज़ुल्फ़ खुल गई तो हवाओं के ख़म गए
अब जिन के ग़म का तेरा तबस्सुम है पर्दा-दार
आख़िर वो कौन थे कि ब-मिज़गान-ए-नम गए
वहशत सी एक लाला-ए-ख़ूनीं कफ़न से थी
अब के बहार आई तो समझो कि हम गए
ऐसी कोई ख़बर तो नहीं साकिनान-ए-शहर
दरिया मोहब्बतों के जो बहते थे थम गए
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें