बुधवार, 6 नवंबर 2024

दुखवा मिटाईं छठी मइया.../ विनम्र श्रद्धांजलि शारदा सिन्हा जी

https://youtu.be/NkDiSj9c1EA  

दुखवा मिटाईं छठी मइया...
दुखवा मिटाईं छठी मैया, 
रउए असरा हमार- 
रऊए असरा हमार... 


सब के पुरावे लीं मनसा, 
हमरो सुन लीं पुकार- 
हमरो सुन लीं पुकार 


ससुरा में अईनी कईनी बरतिया, 
हिवआ जुड़ाई दीहिं पिया के पीरीतिया 
अचल सुहाग दीह मईया, 
कईनी बरत तोहार, 
कईनी बरत तोहार... 


गोदिया भराई दीहीं धियवा अव पुतवा, 
अंचरा में भरी दीहीं ममता दुलरवा 
ममता दुलरवा, 
सूपवा चढ़ाईब छठी मईया, 
देहब अरघ तोहार, 
देहब अरघ तोहार... 


सास-ससुर के रोगवा मिटईह, 
उनकर कयवा के कंचन बनईह, 
कंचन बनईह लऊके अन्हार छठी मईया, 
कर दीहिं घर ऊजियार, 
कर दीहीं घर ऊजियार... 


देवरा-ननदिया के दीहीं वरदनवा, 
परिजन पुरजन पुराई सपनवा, 
पुराई सपनवा घाटे सबे मिली छठी मईया, 
गावे ली महिमा तोहार, 
गावे ली महिमा तोहार... 


दुखवा मिटाईं छठी मईया..
रउए असरा हमार- 
रऊए असरा हमार... 


सब के पुरावे लीं मनसा, 
हमरो सुन लीं पुकार- 
हमरो सुन लीं पुकार।।

सोमवार, 4 नवंबर 2024

विश्वेश्वर दर्शन कर चल मन तुम काशी.../ स्वर : सिवस्री स्कन्द प्रसाद

https://youtu.be/cwnxY864jDM  


विश्वेश्वर दर्शन कर चल
मन तुम काशी ।।

विश्वेश्वर दर्शन जब कीन्हो
बहु प्रेम सहित
काटे करुणा निधान जनन मरण फांसी।।

बहती जिनकी पुरी मो गंगा
पय कॆ समान
वा कॆ तट घाट घाट
भर रहे संन्यासी।।

भस्म अंग भुज त्रिशूल
और मे लसे नाग
मायि गिरिजा अर्धांग धरे
त्रिभुवन जिन दासी।।

पद्मनाभ कमलनयन
त्रिनयन शंभू महेश
भज ले ये दो स्वरूप
रह ले अविनाशी।।

रविवार, 3 नवंबर 2024

हम्मै दुनिया करेला बदनाम बलमवा तोहरे बगैइर.../ गायन : दीपाली सहाय

https://youtu.be/ieOoGWUSEC0  


हम्मै दुनिया करेला बदनाम
बलमवा तोहरे बगैइर
हाय हो गइली निंदिया हराम
बलमवा तोहरे बगैइर

मीठी बतियन से जियरा लुभउलऽ
हँसि के जादू नजर से चलउलऽ
लिहलऽ ख़रीद हम्मई भरली बजरिया में
गइली बिकाय बिना दाम
बलमवा तोहरे बगैइर

पहिले तऽ छुप छुप के खिचड़ी पकउलऽ
अब हमरा पतझड़ के पतवा बनउलऽ
धोका कइलऽ कवन फल पउलऽ
तड़पू सबेरे और साम
बलमवा तोहरे बगैइर

चैन नही आवे पिया दिनवा औ रतिया
छाती पे मूँग दरै बैरन सौवतिया
सासू के बतिया सहीला आउर उपर से
ननदो के भइली गुलाम
बलमवा तोहरे बगैइर

मंगलवार, 29 अक्तूबर 2024

लक्ष्मी स्तोत्रं / सर्वदेवकृत / स्वर : माधवी मधुकर झा

https://youtu.be/HaRSDKZPQ3I  


क्षमस्व भगवत्यम्ब क्षमाशीले परात्परे ।
शुद्धसत्त्वस्वरूपे च कोपादिपरिवर्जिते ॥ १ ॥

उपमे सर्वसाध्वीनां देवीनां देवपूजिते ।
त्वया विना जगत्सर्वं मृततुल्यं च निष्फलम् ॥ २ ॥

सर्वसम्पत्स्वरूपा त्वं सर्वेषां सर्वरूपिणी ।
रासेश्वर्यधिदेवी त्वं त्वत्कलाः सर्वयोषितः ॥ ३ ॥

कैलासे पार्वती त्वं च क्षीरोदे सिन्धुकन्यका ।
स्वर्गे च स्वर्गलक्ष्मीस्त्वं मर्त्यलक्ष्मीश्च भूतले ॥ ४ ॥

वैकुण्ठे च महालक्ष्मीर्देवदेवी सरस्वती ।
गङ्गा च तुलसी त्वं च सावित्री ब्रह्मलोकतः ॥ ५ ॥

कृष्णप्राणाधिदेवी त्वं गोलोके राधिका स्वयम् ।
रासे रासेश्वरी त्वं च वृन्दावनवने वने ॥ ६ ॥

कृष्णप्रिया त्वं भाण्डीरे चन्द्रा चन्दनकानने ।
विरजा चम्पकवने शतशृङ्गे च सुन्दरी ॥ ७॥

पद्मावती पद्मवने मालती मालतीवने ।
कुन्ददन्ती कुन्दवने सुशीला केतकीवने ॥ ८ ॥

कदम्बमाला त्वं देवी कदम्बकाननेऽपि च।
राजलक्ष्मी राजगेहे गृहलक्ष्मीगृहे गृहे ॥ ९ ॥

इत्युक्त्वा देवताः सर्वे मुनयो मनवस्तथा ।
रुरुदुर्नम्रवदनाः शुष्ककण्ठोष्ठतालुकाः ॥ १०॥

इति लक्ष्मीस्तवं पुण्यं सर्वदेवैः कृतं शुभम् ।
यः पठेत्प्रातरुत्थाय स वै सर्वं लभेद् ध्रुवम् ॥ ११ ॥

अभार्यो लभते भार्यां विनीतां च सुतां सतीम् ।
सुशीलां सुन्दरीं रम्यामतिसुप्रियवादिनीम् ॥ १२ ॥

पुत्रपौत्रावतीं शुद्धां कुलजां कोमलां वराम् ।
अपुत्रो लभते पुत्रं वैष्णवं चिरजीवनम् ॥ १३॥

परमैश्वर्ययुक्तं च विद्यावन्तं यशस्विनम् ।
भ्रष्टराज्यो लभेद्राज्यं भ्रष्टश्रीर्लभते श्रियम् ॥ १४ ॥

हतबन्धुर्लभेद्वन्धुं धनभ्रष्टो धनं लभेत्।
कीर्तिहीनो लभेत्कीर्तिं प्रतिष्ठां च लभेध्रुवम् ॥ १५ ॥

सर्वमङ्गलदं स्तोत्रं शोकसंतापनाशनम् ।
हर्षानन्दकरं शश्वद्धर्ममोक्षसुहृत्प्रदम् ॥ १६ ॥

सोमवार, 28 अक्तूबर 2024

शिव कैलाशों के वासी.../ गायन : सिद्धार्थ मोहन

https://youtu.be/71cMcLFmUfg  


शिव कैलाशो के वासी,
धौली धारों के राजा,
शंकर संकट हरना,
शंकर संकट हरना ॥

शिव कैलाशो के वासी,
धौली धारों के राजा,
शंकर संकट हरना,
शंकर संकट हरना ॥तेरे कैलाशों का अंत ना पाया,
तेरे कैलाशों का अंत ना पाया,
अंत बेअंत तेरी माया,
ओ भोले बाबा,
अंत बेअंत तेरी माया,
शिव कैलाशों के वासी,
धौली धारों के राजा,
शंकर संकट हरना,
शंकर संकट हरना ॥

बेल की पत्तियां भांग धतुरा,
बेल की पत्तियां भांग धतुरा,
शिव जी के मन को लुभायें,
ओ भोले बाबा,
शिव जी के मन को लुभायें
शिव कैलाशों के वासी,
धौली धारों के राजा,
शंकर संकट हरना,
शंकर संकट हरना ॥

एक था डेरा तेरा,
चम्बे रे चौगाना,
दुज्जा लायी दित्ता भरमौरा,
ओ भोले बाबा,
दुज्जा लायी दित्ता भरमौरा,
शिव कैलाशों के वासी,
धौली धारों के राजा,
शंकर संकट हरना,
शंकर संकट हरना ॥

शिव कैलाशो के वासी,
धौली धारों के राजा,
शंकर संकट हरना,
शंकर संकट हरना ॥

रविवार, 27 अक्तूबर 2024

आये हैं समझाने लोग.../ शायर : कुँवर महेंद्र सिंह बेदी 'सहर' / गायन : आकांक्षा ग्रोवर

https://youtu.be/HzDJ4SgbU-w  


आये हैं समझाने लोग
हैं कितने दीवाने लोग

दैर-ओ-हरम में चैन जो मिलता
क्यों जाते मैख़ाने लोग

जान के सब कुछ, कुछ भी न जाने
हैं कितने अंजाने लोग

वक़्त पे काम नहीं आते हैं
ये जाने पहचाने लोग

अब जब मुझ को होश नहीं है
आये हैं समझाने लोग

शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2024

दिन गुज़र गया ऐतबार में.../ फ़ना निज़ामी / गायन : कृपा ठक्कर

https://youtu.be/qk7Jg7L5y9E  


दिन गुज़र गया ऐतबार में
रात कट गयी इंतज़ार में

वो मज़ा कहाँ वस्ल-ए-यार में
लुत्फ़ जो मिला इंतज़ार में

उनकी इक नज़र, काम कर गयी
होश अब कहाँ होशियार में

मेरे कब्ज़े में कायनात है
मैं हूँ आपके इख़्तियार में

आँख तो उठी फूल की तरफ
दिल उलझ गया हुस्न-ए-ख़ार में

तुजसे क्या कहें, कितने ग़म सहे
हमने बेवफ़ा तेरे प्यार में

फ़िक्र-ए-आशियाँ, हर ख़िज़ाँ में की
आशियाँ जला हर बहार में

किस तरह ये ग़म भूल जाएं हम
वो जुदा हुआ इस बहार में

दिन गुज़र गया ऐतबार में
रात कट गयी इंतज़ार में

वो मज़ा कहाँ वस्ल-ए-यार में
लुत्फ़ जो मिला इंतज़ार में



(ऐतबार = भरोसा, विश्वास)
(फ़िक्र-ए-आशियाँ = घोंसले (घर) की चिंता), (ख़िज़ाँ = पतझड़)
हुस्न-ए-ख़ार = काँटों की खूबसूरती)

(कायनात = सृष्टि, जगत), (इख़्तियार = अधिकार, काबू, स्वामित्व, प्रभुत्व)
(वस्ल-ए-यार = प्रिय से मिलन)