https://youtu.be/Hs0jM7xCNow
rashmi rekh
गुरुवार, 11 सितंबर 2025
एक तो नैनाँ कजरारे और तिस पर डूबे काजल में.../ शायर : जाँ निसार अख़्तर / गायन : शैला हट्टंगड़ी
एक तो नैनाँ कजरारे और तिस पर डूबे काजल में
मंगलवार, 9 सितंबर 2025
जोछना करेछे आड़ि.../ मृत्तिका बैन्ड / गायन : मधुवन्ती बागची
https://youtu.be/pEjI_P8dy80
आ...
जोछना करेछे आड़ि
आसेना आमार बाड़ि
गलि दिये चले जाय
जोछना करेछे आड़ि, जोछ...
जोछना... ना.आ.
जोछना करेछे आड़ि
आसेना आमार बाड़ि
गलि दिये चले जाय
लुकिये रुपोलि शाड़ी
जोछना करेछे आड़ि
(...)
जोछना करेछे आड़ि
आसेना आमार बाड़ि
गलि दिये चले जाय
लुकिये रुपोलि शाड़ी
(...)
चेये चेये पथ तारि
हिया मोर हय भारी
रूपेर मधुर मोह
बलो ना. कि करे छाड़ि
जोछना करेछे आड़ि
(...)
जोछना करेछे आड़ि
आसेना आमार बाड़ि
गलि दिये चले जाय
लुकिये रुपोलि शाड़ी
जोछना करेछे आड़ि
(...)
चेये चेये पथ तारि
हिया मोर हय भारी
रूपेर मधुर मोह
बलो ना. कि करे छाड़ि
जोछना करेछे आड़ि
Overall Meaning
The lyrics of Begum Akhtar's "Jochhona Korechhe Arhi" is an ode to a lover who has left the singer's house, taking away the moon with them. The song talks about how the moon has been unkind to the singer by leaving without notice and taking away their lover, leaving them alone to navigate the dark streets. The song uses the metaphor of the moon to represent the lover and how their absence has left the singer feeling incomplete and heavy-hearted.
The chorus of the song, "Jochhonaa korechhe aari" translates to "the moon has gone away", is repeated throughout the song, emphasizing the central theme of the loss of the lover. The song's lyrics also talk about the lover's beauty and allure, making it evident that the singer was deeply in love with the person who has now left them. The final lines of the song, "Cheye cheye pother tari, hiya mor hoy bhaari, rooper modhur moh, bolo na ki kore chhaari," translates to "searching for the path, my heart feels heavy with the sweet intoxication of your beauty, tell me, how do I get rid of it?" further highlight the pain of loss and the struggle to move on.
सोमवार, 8 सितंबर 2025
मैं तैनूं याद आवांगा.../ गायन : असा सिंह मस्ताना एवं सुरेन्द्र कौर
https://youtu.be/TY7SPqJ37do
कटोरे दूध दे वांगू , सुहाणी रात होवेगी
जदों तूं चंन वेखेगी, ते तेरी आँख रोवेगी
जदों तूं चंन वेखैगी , ते तेरी आँख रोवेगी
मैं तैनूं याद आवांगा , याद आवांगा तैनूं याद आवांगा
जदों तूं चंन वेखेगी, ते तेरी आँख रोवेगी
जदों तूं चंन वेखैगी , ते तेरी आँख रोवेगी
मैं तैनूं याद आवांगा , याद आवांगा तैनूं याद आवांगा
जदों मैं दूर होवांगी , सुती तकदीर वेखैगा
जदों कौई रूप दी राणी , सलेटी हीर वेखैगा
जदों कौई रूप दी राणी , सलेटी हीर वेखैगा
मैं तैनूं याद आवांगी ,याद आवांगी तैनूं याद आवांगी
जदों कोठे ते जावेंगी , जदों ज़ुलफ़ां सुकावेंगी
इन्हां ज़ुलफ़ां नू सोचेंगी , घटावा कौण कहिंदा सी
इन्हां ज़ुलफ़ां नू सोचेंगी , घटावा कौण कहिंदा सी
मैं तैनूं याद आवांगा , याद आवांगा तैनूं याद आवांगा
जदों कौई बाग वेखेंगा , खिड़े होए फूल वेखेंगा
मैं हँसदी नज़र आवांगी , तूं मेरे बुल वेखेंगा
मैं हँसदी नज़र आवांगी , तूं मेरे बुल वेखेंगा
मैं तैनूं याद आवांगी ,याद आवांगी तैनूं याद आवांगी
जदों मुग़रूर हुंदी सैं, मेरे नाल रुस पैंदी सैं
मनोणा इस तेरां मेरा , के तूं झट हँस पैंदी सैन
मनोणा इस तरां मेरा , के तूं हँस पैंदी सैं
मैं तैनूं याद आवांगा , याद आवांगा तैनूं याद आवांगा
ज़माने रोकिआ मैनूं , रई मैं फेर वी मिलदी
सजण तसवीर जद वेखी , मेरे अनमोल तूं दिल दी
सजण तसवीर जद वेखी , मेरे अनमोल तूं दिल दी
मैं तैनूं याद आवांगी ,याद आवांगी तैनूं याद आवांगी
The song describes a person who
will be remembered by their
loved one in various situations.
will be remembered by their
loved one in various situations.
• When you see the moon, your
eye will weep .
• I will be a memory to you,
even when you are far away.
• When you go to the rooftop,
and dry your hair, you will
remember who said these
strands were like dark clouds .
• When you see a garden or
beautiful flowers, you will
see me smiling .
• I will be a memory to you .
• Even when people tried to
keep us apart, I remained
connected to you .
गुरुवार, 4 सितंबर 2025
बाजे वृन्दावनी वेणु.../ अभंग / रचना : सन्त भानुदास / गायन : अभय वाघचौरे
https://youtu.be/-0GU8CKkYJ0
वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे ।
वेणुनादें गोवर्धनु गाजे ॥
पुच्छ पसरूनि मयूर विराजे ।
मज पाहता भासती यादवराजे ॥
तृणचारा चरूं विसरली ।गाई-व्याघ्र एके ठायीं जाली ।
पक्षीकुळें निवांत राहिलीं ।
वैरभाव समूळ विसरली ॥
वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे ।
वेणुनादें गोवर्धनु गाजे ॥
ध्वनी मंजुळ मंजुळ उमटती ।
वांकी रुणझुण रुणझुण वाजती ।
देव विमानीं बैसोनि स्तुती गाती ।
भानुदासा फावली प्रेम-भक्ति ॥
वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे ।
वेणुनादें गोवर्धनु गाजे ॥
शुक्रवार, 29 अगस्त 2025
वारी मेरे लटकन पग धरो छतियाँ.../ रचना : परमानन्द दास / गायन : मुदिता एवं रुचिता जमरिया
https://youtu.be/zzG0FGLkA3c
वारी मेरे लटकन पग धरो छतियाँ ।
कमलनयन बलि जाऊ वदनकी,
शोभित नन्ही नन्ही दूधकी द्वे दतियाँ॥१॥
यह मेरी यह तेरी यह बाबा नन्दजूकी,
यह बलभद्र भैया की।
यह ताकि जो झूलावे तेरो पलना॥
इहां ते चली खर खात पीवत जल,
परिहरो रुदन हंसो मेरे ललना॥२॥
रुनक झूनक बाजत पैजनियाँ,
अलबल कलबल, बोलो मृदु बनियाँ।
परमानंद प्रभु त्रिभुवन ठाकुर,
जाय झूलावे बाबा नंद्जू की रनियाँ॥३॥
भावार्थ
ये पद भगवान के नामकरण से पहले का है। भगवान का कोई नाम नहीं है अतः स्वभाव से माता उन्हें 'लटकन' बुला रही हैं।
यशोदा कहती हैं - हे मेरे लटकन तुझपे वारी जाऊं!
भगवान पालने में रहते हैं ; हाथ-पैर फेंकते हैं ; तो माता के छाती पर पैरों से स्पर्श होता है।चलना सीखे नहीं हैं तो - यशोदा कहतीं हैं तुम जमीन पर चलना मत सीखो मेरे सीने पर पैर रखकर चलना सीखो।
पहली पंक्ति में लटकन कहा दूसरी में कमलनयन कहा है। माता कहतीं हैं - रे कमलनयन! तेरे मुख पे वारी जाऊं जिसमें दूध के दो छोटे-छोटे दाँत सुशोभित हो रहे हैं।
गिरिधर लालजी रो रहे हैं तो उन्हें चुप कराने के लिये माता को गिनती सूझी। यशोदा उन्हें हाथ पकड़कर उनकी ऊंगली गिना रही हैं । उनके घर में जो गउऐं हैं उसे निर्दिष्ट कर माता उंगलियों को पकड़कर कहती हैं... यह मेरी, यह तेरी , यह बाबा नंद जूं की , यह बलभद्र भैया की, और पाँचवी उसकी जो तेरा पलना झुला रही है....।
बुधवार, 27 अगस्त 2025
श्रीगणेशभुजङ्गम्.../ आदि शंकराचार्य विरचित / गायन : माधवी मधुकर झा
https://youtu.be/sj6YgLsZv4o
रणत्क्षुद्रघण्टानिनादाभिरामं
चलत्ताण्डवोद्दण्डवत्पद्मतालम् ।
लसत्तुन्दिलाङ्गोपरिव्यालहारं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ १॥
चलत्ताण्डवोद्दण्डवत्पद्मतालम् ।
लसत्तुन्दिलाङ्गोपरिव्यालहारं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ १॥
ध्वनिध्वंसवीणालयोल्लासिवक्त्रं
स्फुरच्छुण्डदण्डोल्लसद्बीजपूरम् ।
गलद्दर्पसौगन्ध्यलोलालिमालं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ २॥
प्रकाशज्जपारक्तरन्तप्रसून-
प्रवालप्रभातारुणज्योतिरेकम् ।
प्रलम्बोदरं वक्रतुण्डैकदन्तं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ ३॥
विचित्रस्फुरद्रत्नमालाकिरीटं
किरीटोल्लसच्चन्द्ररेखाविभूषम् ।
विभूषैकभूशं भवध्वंसहेतुं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ ४॥
उदञ्चद्भुजावल्लरीदृश्यमूलो-
च्चलद्भ्रूलताविभ्रमभ्राजदक्षम् ।
मरुत्सुन्दरीचामरैः सेव्यमानं
गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ ५॥
स्फुरन्निष्ठुरालोलपिङ्गाक्षितारं
कृपाकोमलोदारलीलावतारम् ।
कलाबिन्दुगं गीयते योगिवर्यै-
र्गणाधीशमीशानसूनुं तमीडे ॥ ६॥
यमेकाक्षरं निर्मलं निर्विकल्पं
गुणातीतमानन्दमाकारशून्यम् ।
परं परमोङ्कारमान्मायगर्भं ।
वदन्ति प्रगल्भं पुराणं तमीडे ॥ ७॥
चिदानन्दसान्द्राय शान्ताय तुभ्यं
नमो विश्वकर्त्रे च हर्त्रे च तुभ्यम् ।
नमोऽनन्तलीलाय कैवल्यभासे
नमो विश्वबीज प्रसीदेशसूनो ॥ ८॥
इमं सुस्तवं प्रातरुत्थाय भक्त्या
पठेद्यस्तु मर्त्यो लभेत्सर्वकामान् ।
गणेशप्रसादेन सिध्यन्ति वाचो
गणेशे विभौ दुर्लभं किं प्रसन्ने ॥ ९॥
गाइये गनपति जगबंदन.../ रचना : गोस्वामी तुलसीदास / गायन : कौशिकी चक्रवर्ती
https://youtu.be/bsAwaZV3RmE
गाइये गनपति जगबंदन।
संकर-सुवन भवानी नंदन ॥ १ ॥
गाइये गनपति जगबंदन।
सिद्धि-सदन, गज बदन, बिनायक।
कृपा-सिंधु, सुंदर सब-लायक ॥ २ ॥
गाइये गनपति जगबंदन।
मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता।
बिद्या-बारिधि, बुद्धि बिधाता ॥ ३ ॥
गाइये गनपति जगबंदन।
मांगत तुलसिदास कर जोरे।
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥ ४ ॥
गाइये गनपति जगबंदन।।
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