सोमवार, 13 जनवरी 2025

सिव हो उतरब पार कओन बिधि.../ महाकवि विद्यापति / गायन : शारदा सिन्हा

https://youtu.be/DZsMCPX2Z7Q?si=zjWAYbn0TF1VGDwf


सिव हो उतरब पार कओन बिधि।

लोढब कुसुम तोरब बेल पात।
पुजब सदासिब गौरिक सात॥

बसहा चढ़ल सिव फिरहूँ मसान।
भँगिया जरठ दरदो नहिं जान॥

जप-तप नहिं कैलहुँ नित दान।
बित गेला तिन पन करईत आन॥

भन विद्यापति सुन हे महेस।
निरधन जानि के हरहु कलेस॥


हे शिव। मैं भवसागर से किस प्रकार पार उतर सकूँगा। 
मैं पुष्प चुनूँगा, बेल-पत्र और नैवेद्यों के द्वारा सनातन 
शिव की, उनकी अभिन्न शक्तिरूपा पार्वती के साथ 
पूजा करूँगा। हे शिव! आप बैल पर आरूढ़ होकर 
श्मशान भूमि में घूमते फिरते हो; आप भंग के नशे 
में उन्मत्त रहते हैं, इसलिए मुझ आराधक की पीड़ा 
तक से अनवगत हैं। हे प्रभो! मैंने अपने जीवन में 
न तो तुम्हारे नाम का ही स्मरण किया है और न ही 
कठिन तप ही किया है। इसके अतिरिक्त न ही मैंने 
दूसरों की हित-साधना के लिए अपनी किंचित-मात्र 
भी सुख-सुविधा की अर्पणा की है अर्थात् मुझसे 
प्रतिदिन का दान भी देते नहीं बन पड़ा है। मेरे 
जीवन की तीनों अवस्थाएँ-बालापन, यौवन तथा 
वृद्धपन इस जप-तप-दान की पुण्य-त्रयी के बिना 
ही व्यतीत हुआ है। विद्यापति कहते हैं कि हे महेश! 
मेरी प्रार्थना सुनिए। आप मुझे नितांत अकिंचन 
जान कर ही मेरे क्लेशों का हरण कीजिए।

गुरुवार, 2 जनवरी 2025

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए.../ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ / गायन : बेग़म अख़्तर

https://youtu.be/GUwKTWQOKL0   

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
इस के बा'द आए जो अज़ाब आए

बाम-ए-मीना से माहताब उतरे
दस्त-ए-साक़ी में आफ़्ताब आए

हर रग-ए-ख़ूँ में फिर चराग़ाँ हो
सामने फिर वो बे-नक़ाब आए

उम्र के हर वरक़ पे दिल की नज़र
तेरी मेहर-ओ-वफ़ा के बाब आए

कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए

न गई तेरे ग़म की सरदारी
दिल में यूँ रोज़ इंक़लाब आए

जल उठे बज़्म-ए-ग़ैर के दर-ओ-बाम
जब भी हम ख़ानुमाँ-ख़राब आए

इस तरह अपनी ख़ामुशी गूँजी
गोया हर सम्त से जवाब आए

'फ़ैज़' थी राह सर-ब-सर मंज़िल
हम जहाँ पहुँचे कामयाब आए

सोमवार, 30 दिसंबर 2024

एशचे जमाई दिगोम्बोर.../बाङ्ला बाउल गीत / गायन : पार्वती बाउल

https://youtu.be/Fuhyx9iCUJI  


A take on an old bengali traditional baul song 
that sings about Shiva's wedding, his "strange" 
ways and love for ganjar...

1. Ashche Jamai Digombor
X Buri tui ganjar jogar kor II
2. Oi shona jay bhuter kulkuli
Ghor duar tor bhangbe ebar urabe dhuli l
X Na hoy ganjar kolke bhanger jhuli
Tui Jamaier hate tule dhor II
3. Mota shota jamai jemon
Rupe Giribalao temon .
X Anuchor Nandi Bhringi dui ganjakhor
Umar Shomnondi Keshori Bahon II
4. Shuni shoshane moshane thake
Chita bhoshsho gaye makhe
X Hey ma , kemon kore emon bore
Korbe tumi ghor II

GOOGLE SCRIPT CONVERSION 

1. एशचे जमाई दिगोम्बोर
एक्स बुरी तुई गांजर जोगर कोर 
2. ओय शोना जय भूतेर कुल्कुली
घोर दुआर तोर भंगबे एबार उरबे धूलि एल
एक्स ना होय गांजर कोलके भंगेर झूली
तुई जमाइर हेट तुले ढोर 
3. मोटा शोता जमाई जेमन
रूपे गिरिबालाओ टेमन।
एक्स अनुचोर नंदी भृंगी दुइ गंजखोर
उमर शोमनोंदी केशोरी बाहोन 
4. शुनि शोषाणे मोशने थके
चिता भोषशो गये माखे
एक्स अरे माँ, केमोन कोरे एमोन बोर
कोरबे तुमी घोर 

...and translation in english

Composed by Shri Shoshnko Goshai

1.Oh old woman , your naked son in law is coming soon ,
Now you arrange enough ganja for him .
2. Now we can hear the sound of his ghost army
Your house and all establishment will collapse to dust .
To keep him calm , it is best that you arrange a gift bag with Bhang and a
ganja chillum.
3. You son in law is fat and well fade
You daughter too so good looking
Nandi and Bhringi the servants of Shiva both ganja addicts
And Somnandi the lion vehicle of Uma .
I hear that your son in law lives in the burning grounds
He smears his body with the ashes from the funeral pyre
Oh mother ! (Uma) how will make your home with such a bridegroom!

रविवार, 29 दिसंबर 2024

हुकुस बुकुस : कश्मीर की परंपरा से

https://youtube.com/shorts/Sgo1d0df

हुकुस बुकुस: कश्मीर की परंपरा से

हुकुस बुकुस कश्मीर के पंडितों के सबसे लोकप्रिय 
गीतों में से एक है, जो इस्लाम के वर्चस्व के बाद 
अपनी मातृभूमि से विस्थापित हो गए हैं। 
इस कविता का संदेश कश्मीर की आध्यात्मिक 
परंपरा में निहित है। कुछ लोगों का कहना है कि 
इसे कश्मीर शैव धर्म की अंतिम महान रहस्यवादी 
और कवयित्री लल्लेश्वरी (जिसे लाल देद, 1320 - 
1392) के नाम से भी जाना जाता है) ने रचा था। 
बाद के वर्षों में यह कविता बच्चों के लिए एक गीत 
बन गई और कश्मीर के दर्शन का सार बच्चों और 
वयस्कों तक पहुँचाने के लिए एक काव्यात्मक 
माध्यम के रूप में काम किया, हालाँकि बहुत कम 
लोग इसे समझ पाए।

ऐसा कहा जाता है कि इस कविता में शब्दों की 
व्यवस्था और लय से उत्पन्न स्वर सभी समय के 
शिशुओं और बच्चों पर शांतिदायक प्रभाव डालते 
हैं।

यहां कश्मीर की भाषा में कविता के शब्द और अनुवाद में मूल अर्थ दिए गए हैं ।

हुकुस बुकुस तेल्लि वान्न चे कुस
ओनम बट्टा लोडम देग
शाल किच किच वांगानो
ब्राह्मी चरस पुआने छोकुम्
ब्रह्मिश बटन्ये तेखिस त्याखा।
इटकेने ने इटकेने
त्से कुस बे कुस तेली वान सु कुस
मोह बटुक लोगुम देग
श्वास खिच खिच वांग-मायम
भ्रुमन दरस पोयुन चोकुम
तेकिस ताक्य बने त्युक।

त्से कुस बे कुस तेली वान सु कुस = आप कौन हैं 
और मैं कौन हूँ, तो हमें बताइए कि वह कौन है जो 
आपके और मेरे दोनों में व्याप्त है

मोह बटुक लोगुम देग = प्रत्येक दिन मैं अपनी 
इंद्रियों/शरीर को सांसारिक आसक्ति और भौतिक 
प्रेम का भोजन खिलाता हूँ (मोह = आसक्ति)

श्वास खिच खिच वांग-मायम = जब मैं जो सांस 
लेता हूं वह पूर्ण शुद्धि के बिंदु पर पहुंच जाती है 
(श्वास = सांस)

भ्रुमन दरस पोयुन चोकुम = ऐसा लगता है जैसे 
मेरा मन दिव्य प्रेम के जल में स्नान कर रहा है 
(भ्रुमन = मानव मस्तिष्क में तंत्रिका केंद्र, 
पोयुन = पानी)

तेकीस तक्या बने त्युक = तब मुझे पता चलता है 
कि मैं उस चंदन की लकड़ी की तरह हूँ जिसे दिव्य 
सुगंध के लिए चिपकाया जाता है जो सार्वभौमिक 
दिव्यता का प्रतीक है। मुझे एहसास होता है कि मैं 
वास्तव में दिव्य हूँ (त्युक = माथे पर लगाया जाने 
वाला टीका)

स्रोत: http://www.koausa.org/music/shokachaniya/lyrics.html

सोमवार, 23 दिसंबर 2024

दर्द से मेरे है तुझ को बे-क़रारी हाय हाय.../ शायर : मिर्ज़ा ग़ालिब / गायन : युम्ना अजिन

https://youtu.be/_xcP8pjn0Qc  


दर्द से मेरे है तुझ को बे-क़रारी हाय हाय
क्या हुई ज़ालिम तिरी ग़फलत-शि`आरी हाय हाय

तेरे दिल में गर न था आशोब-ए-ग़म का हौसला
तू ने फिर क्यूं की थी मेरी ग़म-गुसारी हाय हाय

क्यूं मिरी ग़म-ख़्वारगी का तुझ को आया था ख़याल
दुश्मनी अपनी थी मेरी दोस्त-दारी हाय हाय

उम्र भर का तू ने पैमान-ए-वफ़ा बांधा तो क्या
उम्र को भी तो नहीं है पाइदारी हाय हाय

ज़हर लगती है मुझे आब-ओ-हवा-ए-ज़िन्दगी
यानी तुझ से थी उसे ना-साज़गारी हाय हाय

गुल-फ़िशानीहा-ए-नाज़-ए-जलवा को क्या हो गया
ख़ाक पर होती है तेरी लालह-कारी हाय हाय

शर्म-ए-रुसवाई से जा छुपना नक़ाब-ए-ख़ाक में
ख़तम है उल्फ़त की तुझ पर पर्दह-दारी हाय हाय

ख़ाक में नामूस-ए-पैमाना-ए-मुहब्बत मिल गई
उठ गई दुनिया से राह-ओ-रस्म-ए-यारी हाय हाय

हाथ ही तेग़-आज़्मा का काम से जाता रहा
दिल पह इक लगने न पाया ज़ख़्म-ए-कारी हाय हाय

किस तरह काटे कोई शबहा-ए-तार-ए-बर्श-काल
है नज़र ख़ू-कर्दह-ए-अख़्तर-शुमारी हाय हाय

गोश महजूर-ए-पयाम-ओ-चश्म महरूम-ए-जमाल
एक दिल तिस पर यह ना-उम्मीदवारी हाय हाय

इश्क़ ने पकड़ा न था ग़ालिब अभी वहशत का रंग
रह गया था दिल में जो कुछ ज़ौक़-ए-ख़्वारी हाय हाय

देखी दिल्ली की एक लड़की.../ किशोर कुमार

One of the best funny song by legendary  Kishore Kumar.

I bet lot many have not heard or seen this song.....in the portion of kishore in father's role,  you can hear the first Indian rap....the multi talented genius Kishore Kumar..❤️

रविवार, 22 दिसंबर 2024

या रब मेरे हुनर को तू ऐसा कमाल दे.../ शायर : अह्या भोजपुरी / गायन : खनक जोशी

https://youtu.be/6r8iW9MYXrc

या रब मेरे हुनर को तू ऐसा कमाल दे
जो दुश्मनों का ख़ौफ भी दिल से निकाल दे

मेरा हर एक 'शेर इबादत गुज़ार हो
जिसकी कलन्दरी की ज़माना मिसाल दे

डर से किसी भी 'शेर की गर्दन झुके नहीं
लफ़्ज़ों के हर्फ़-हर्फ़ को रिज़्क-ए-हलाल दे

लफ़्ज़ों की भी बुनत हो रवानी के साथ-साथ 
उससे बुलन्द 'शेर दे जिसका ख़याल दे

ज़ौक-ए-सुख़न दिया है तो इतना करम  भी कर
ज़ोर-ए-क़लम भी तू  मेरी झोली में डाल दे

अह्या सुकूं-परस्त है लेकिन मेरे ख़ुदा
जितना जलाल चाहिए उतना जलाल दे