https://youtu.be/fbpRtTuYGn4
कुछ उनकी ज़फाओं ने लूटा कुछ उनकी इनायत मार गई
हम राज़-ए-मोहब्बत कह न सके चुप रहने की आदत मार गई
हम राज़-ए-मोहब्बत कह न सके चुप रहने की आदत मार गई
वो कौन हैं जिन को जीने का पैग़ाम मोहब्बत देती है
हम को तो ज़माने में ऐ दिल, बेदर्द मोहब्बत मार गई
दिल ने भी बहुत मजबूर किया मिलने को भी लाखों बार मिले
जी भर के उन्हें न देखा न गया आँखों की शराफत मार गई
दोनों से शिकायत है लेकिन, इल्ज़ाम लगायें हम किस पर
कुछ दिल ने हमें बरबाद किया और कुछ हमें किस्मत मार गई
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