शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025

कुछ उनकी ज़फाओं ने लूटा.../ गीत : फराज़ / गायन : नाहीद अख़्तर

https://youtu.be/fbpRtTuYGn4   


कुछ उनकी ज़फाओं ने लूटा कुछ उनकी इनायत मार गई 
हम राज़-ए-मोहब्बत कह न सके चुप रहने की आदत मार गई
 
वो कौन हैं जिन को जीने का पैग़ाम मोहब्बत देती है
हम को तो ज़माने में ऐ दिल, बेदर्द मोहब्बत मार गई 

दिल ने भी बहुत मजबूर किया मिलने को भी लाखों बार मिले
जी भर के उन्हें न देखा न गया आँखों की शराफत मार गई 

दोनों से शिकायत है लेकिन, इल्ज़ाम लगायें हम किस पर 
कुछ दिल ने हमें बरबाद किया और कुछ हमें किस्मत मार गई

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें