सोमवार, 14 अप्रैल 2025

तुझे क्या सुनाऊँ मैं दिलरुबा तिरे सामने मिरा हाल है.../ मजरूह सुल्तानपुरी / गायन : मोहम्मद रफ़ी

https://youtu.be/nc8wYuZyMdU  

तुझे क्या सुनाऊँ मैं दिलरुबा तिरे सामने मिरा हाल है
तिरी इक निगाह की बात है मिरी ज़िंदगी का सवाल है


मिरी हर ख़ुशी तिरे दम से है मिरी ज़िंदगी तिरे ग़म से है
तिरे दर्द से रहे बे-ख़बर मिरे दिल की कब ये मजाल है


तिरे हुस्न पर है मिरी नज़र मुझे सुब्ह शाम की क्या ख़बर
मिरी शाम है तिरी जुस्तुजू मेरी सुब्ह तेरा ख़याल है


मिरे दिल जिगर में समा भी जा रहे क्यों नज़र का भी फ़ासला
कि तिरे बग़ैर तो जान-ए-जाँ मुझे ज़िंदगी भी मुहाल है

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