सोमवार, 30 सितंबर 2019

नवरात्रि की मंगलकामनाएं / हे ! अष्टभुजी मैय्या...(विन्ध्य क्षेत्र)

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हे ! अष्टभुजी  मैय्या...

- अरुन मिश्र 

गंगा   के   तीर   एक   ऊँची   पहाड़ी   पर ,
          अष्टभुजी  माँ   की   पताका  लहराती  है। 
विन्ध्य-क्षेत्र का है, माँ  सिद्ध-पीठ तेरा  घर ,
          आ के यहाँ भक्तों को सिद्धि मिल जाती है। 
जर्जर,   भव-सागर के  ज्वार के  थपेड़ो से ,
          जीवन के  तरनी को  पार  तू  लगाती है। 
जो है  बड़भागी,  वही  आता है  शरण तेरे ,
          तेरे चरण  छू कर ही, गंग, बंग जाती है।

     *                *                *             *
आठ भुजा वाली, हे! अष्टभुजी मैय्या, निज-
          बालक की विनती को करना स्वीकार माँ। 
जननी जगत की तुम, पालतीं जगत सारा ,
          तेरी  शरण  आ  के, जग  पाए उद्धार माँ।  
तुम ने  सुनी है सदा  सब की पुकार , आज-
          कैसे  सुनोगी   नहीं    मेरी   पुकार   माँ। 
दुष्ट -दल -दलन  हेतु , काफ़ी  है  एक भुजा ,
          शेष सात हाथन ते , भक्तन को  तार माँ 

                               *  

(पूर्वप्रकाशित)

गुरुवार, 26 सितंबर 2019

चन्द्रशेखराष्टकं (महर्षि मार्कण्डेय कृत) का भावानुवाद




चन्द्रशेखराष्टकं (महर्षि मार्कण्डेय कृत)

भावानुवाद - अरुण मिश्र

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर तुम मेरे संकट हरो।
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर तुम मेरी रक्षा करो।।


रजत शृङ्गों का निकेतन, रत्न शिखरों का धनुष
बने वासुकि शिंजिनी, सायक बने श्रीहरि स्वयं। 
त्रिपुर दग्धक क्षिप्र गति, त्रैलोक्य अभिवन्दित, सदा 
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा ॥१॥

शोभित पदाम्बुजद्वय, सुगन्धित पञ्चपादपपुष्प से;

भाल-लोचन-ज्वाल से है जल गया मन्मथ शरीर;
भस्म भूषित, भव-विनाशक, नित्य अविनाशी स्वयं;
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा ॥२॥

मत्त गज के चर्म का जिसका मनोहर उत्तरीय;

और ब्रह्मा-विष्णु-पूजित पद-कमल जिसके सदा;
सुर-सरित की लहर-सिञ्चित, शुभ्र है जिसकी जटा,
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा॥३॥


यक्ष-मित्र, भुजंग-भूषित, दोष-मोचक इंद्र के;
शैलराज-सुता-सुशोभित वाम अंग शरीर का;
परशु औ' मृगछाल-धारी , नील जिसका कंठ है;
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा॥४॥

पुष्ट वृष वाहन, सु-कुण्डल कुण्डलीकृत वासुकी।
भुवन-पति वैभव बखानें, नारदादि मुनीश-गण;
आश्रय में अन्धकासुर, अमरपादप रूप में;
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा॥५॥

भेषज सकल भव-रोग के, हर्ता समस्त विपत्ति के;
तीन लोचन, त्रिगुण धारक, यज्ञ-ध्वंशक दक्ष के;
जो सकल अघ-ताप-नाशी, भुक्ति-मुक्ति-सुफलप्रदा
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा॥६॥

पुण्य अक्षयनिधि, दिगम्बर, भक्तवत्सल पूज्य जो,
सर्व भूताधीश,  सबसे श्रेष्ठ  जो हैं  अप्रमेय। 
सोम-वारिद आदि  आठों तत्त्व में  जो व्याप्त हैं,
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा॥७॥

विश्व-सृष्टि के रचयिता, पुनः पालनहार भी,
और सारे लोक के संहार का रचते प्रपञ्च।
ले गणों को संग, खेलें प्राणियों से रात-दिन 
उस चन्द्रशेखर के समाश्रित, क्या करेगा यम मेरा॥८॥

॥ इति श्रीचन्द्रशेखराष्टकं सम्पूर्णम् ॥

सोमवार, 23 सितंबर 2019

पूज्यनीया माँ की पुण्यस्मृति को प्रणाम..


आज मातृ नवमी :

२३ सितम्बर, २०१९ / आश्विन कृष्ण पक्ष नवमी , विक्रम सम्वत् २०७६  

"गौतम गोत्रे अस्मन्माता प्रियंवदा देवी दा वसुरूपा तृप्यताम्
इदं सतिलं जलं तस्यै स्वधा नमः। "

पूज्यनीया माँ की पुण्यस्मृति को प्रणाम




















सर्व  प्रथम  तेरी   ही   गोदी-
में,  मैंने   माँ !  आँखें खोली।
मेरे   कानों   में  गूँजी    माँ !
सब  से  पहले   तेरी   बोली।।
                       *
 माँ !  तू  प्राणों  में  बसती  है;
 साँसों   में   करती   है   फेरा।
 आज,  भले  ही   वृद्ध हो  चला,
 पर,  फिर भी माँ ! शिशु हूँ तेरा।।



शनिवार, 21 सितंबर 2019

प्रिय पौत्र कुशाग्र के जन्म-दिवस पर....


नवांकुर...

-अरुण मिश्र

यह    नवांकुर    कुक्षि   से,
रुचिरा ऋचा के जो उगा है। 
मिश्र -कुल-वंशावली-मणि-
माल, नव-कौस्तुभ लगा है।

          प्रज्ज्वलित   नव - दीप   सा,
          जो  आज  घर की  देहरी  पर। 
          क्षितिज पर  कुल - व्योम के,
          चमका  नया  नक्षत्र  भास्वर 

लहलहाई वंश की फिर बेल,
फूटी          नई        कोंपल। 
दूध     से     आँचल     भरा ;
कुल-तरु फला है पूत का फल

             पुष्प    जो    अभिनव   खिला,
             परिवार-बगिया में विहंस कर। 
             गोद  दादी   के,  पितामह  के, 
             अजिर     में ,   मोद    दे     भर 

हो 'कुशाग्र', कुशाग्र-मेधायुत,
अपरिमित    बुद्धि - बल    हो। 
मंगलम,  मधुरं,  शुभम,   प्रिय,
प्रोज्ज्वल,  प्रांजल,  प्रबल  हो 
                               *
टिप्पणी :  प्रिय पौत्र चिरंजीव  'कुशाग्र' के जन्म पर, लिखी गई यह कविता, 
उसकी वर्ष-गांठ पर, दुनिया के सभी दादाओं की ओर से दुनिया के सभी 
पोतों को समर्पित है।  
 -अरुण मिश्र    
(पूर्वप्रकाशित)

गुरुवार, 19 सितंबर 2019

तोरे मतवारे नैना / निराली कार्तिक (माटी बानी) - भारत ; जॉय शान्ति - फ्रांस

https://youtu.be/3lep43vaSDE

तोरे मतवारे नैना 

निराली कार्तिक (माटी बानी ) -भारत 

जॉय शान्ति - फ्रांस 

About the video - By Maatibaani :

We were inspired to do this song while at Amritapuri,
Amma's Ashram in Kerala.
When we heard JoyShanti, a Jazz/Blues vocalist from France,
we were simply amazed by her energy and requested her to do a
song with us! We recorded and shot her on the location on
Azheekkal beach amidst all the strange looks from the people!

While back in Mumbai, we recorded all the other musicians including us.
The flautist Naushadbhai, a flute seller and Bashirbhai on Pinjara
(a cotton carder, its not a musical instrument! ) were walking down the lane
outside our studio. Struck by their unusual sound, we recorded their parts
for the song!

The lyrics in Braj language were adapted from the works of great poet
Shri " Laghulaal" from Kutchh.

The French lyrics are by JoyShanti.
LYRICS :

French :
Mon bien aimé est enfin de retour, mon bien aimé est là là. L'amour, l'amour, l'amour est ma foi. Mon bien aimé est enfin de retour, mon cœur est en joie. Mon bien aimé est là, au fond de mon cœur. L'amour est ma foi. Mon bien aimé est enfin de retour. Mon cœur est en joie. Mon bien aimé est là , au fond de mon cœur. L'amour est ma foi. Mon bien aimé....
Braj :

Tore matwaare naina maare, Preet rang mope daare. Tore matwaare naina maare maare maare!
French :
Mon bien aimé est là ,au fond de mon cœur. L'amour est ma foi. Mon bien aimé est enfin de retour. L'amour est en moi. Mon bien aimé est là. Il est là là là là là là là là..

Braj :
Chhum chhum chhum chhum chhumak chhumak chhum, Room jhoom room jhoom rumak jhumak jhum, Jhana na jhana na jhannjhar jhamkaay gayori, Than gan than gan thanak thanak than, Tirakita tirakita tanana tanana tum, Dhuma kita dhuma kita dhak bajaya gayo ri, Ab chhod ke na jaa re! Tore matwaare naina maare maare maare! This song is for Krishna who is the very being of the Gopi of Vrindavan,
such is her surrender for her beloved! She could not anticipate even a
moment away from her beloved and she urges Krishna never to leave her. TRANSLATION :
Oh! Your enchanting eyes, they take my breath away They drench me with the color of love. Chhum.....dhak -(different sound syllables that depict joy in the presence
of the beloved) Dont you ever leave me now! Oh! Your enchanting eyes, they take my breath away Music Composed and Produced by Kartik Shah.

सोमवार, 9 सितंबर 2019

धनश्री तिल्लाना / स्वाति तिरुनाल (१८१३ -४६) कृति / स्वर : शरण्या श्रीनिवास

https://youtu.be/MMPioNdprMY
धनश्री तिल्लाना - स्वाति तिरुनाल (१८१३ -४६) कृति
स्वर : शरण्या श्रीनिवास

A Thillana is a rhythmic dance piece in the Carnatic music tradition.
Here, we present Swathi Thirunal's (1813-46) popular Dhanashree
Thillana with a modern twist! Featuring the very talented
Sharanya Srinivas on Vocals and Mahesh Raghvan on GeoShred.

Sharanya Srinivas, born 3 January 1991 (age 28 years) is an 
Indian vocalist who has notably worked in Tamil films as a playback singer. 
She is the daughter of prominent singer Srinivas. 

गुरुवार, 5 सितंबर 2019

सिल्विया सलमाँका / अद्भुत तलवार नृत्य

https://youtu.be/-bPm7WOUAS0

Silvia Salamanca at Cues and Tattoos 2018

"My swords are covered in rust. My body is dirty with soil.
My Soul carries the pain of a thousand wounds. And yet,
I rise, over and over again to exist among the living. I dedicate this piece to the strength of all women who
have stayed down in order to be accepted and loved.
To all of those who overcame the belief and shattered
those chains and paved the road to many yet to come."


SILVIA SALAMANCA  is an internationally acclaimed performer, choreographer and instructor from Mallorca, Spain.  A life-long dancer, she graduated at the age of nineteen as a major in ballet and performed professionally as a modern dancer in major Europe festivals with the contemporary dance company of the University of Barcelona.She started her career as a belly dancer in 2001, when realizing the enormous benefits that this art-form brings to women in both body and soul. In her own studio, she keeps observing how women can get closer to their self identity and discover oneself in a new level, increasing self-esteem, and getting deeply in touch with the feminine essence in their soul through bellydance.As a natural evolution in her journey, Silvia discovered tribal fusion in the USA and combined it with a deep research into her own cultural roots: Spanish gypsy and Arabic. Hence with her work in the field of Zambra Mora (spanish gypsy-oriental dance fusion). Silvia gained international recognition and is currently invited to teach workshops and perform as a headliner in major festivals world-wide. Silvia is also known for her work dancing with swords, which she feels depicts the strength of women.   Silvia is also the director of Shunyata Belly Dance, a nationally awarded tribal fusion company and a proud member of Urban Gypsy, Houston's premiere ITS troupe.