शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021
स्मृति शेष कुँवर 'बेचैन' जी को याद करते हुए ...
शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021
आस्तीं बर रुख़ कशीदी.../ कलाम हज़रत क़ुतब-ए-आलम शेख़ अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही / गायन : सुब्हान अहमद निज़ामी क़व्वाल
https://youtu.be/jT-pnJ0CouQ
गुरुवार, 15 अप्रैल 2021
नवग्रह स्तोत्रम् महर्षि व्यासरचित / ईशान पई
https://youtu.be/ROnh4Zbdrgs
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं
तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं (रवि)
दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवं
नमामि शशिनं सोंमं शंभोर्मुकुट भूषणं (चंद्र)
धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांतीं समप्रभं
कुमारं शक्तिहस्तंच मंगलं प्रणमाम्यहं (मंगळ)
प्रियंगुकलिका शामं रूपेणा प्रतिमं बुधं
सौम्यं सौम्य गुणपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहं (बुध)
देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं (गुरु)
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूं
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहं (शुक्र)
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्वरं (शनि)
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनं
सिंहिका गर्भसंभूतं तं राहूं प्रणमाम्यहं (राहू)
पलाशपुष्प संकाशं तारका ग्रह मस्तकं
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहं (केतु)
फलश्रुति :
इति व्यासमुखोदगीतं य पठेत सुसमाहितं दिवा वा यदि वा रात्रौ
विघ्नशांतिर्भविष्यति नर, नारी, नृपाणांच भवेत् दु:स्वप्न नाशनं
ऐश्वर्यंमतुलं तेषां आरोग्यं पुष्टिवर्धनं
ग्रह
नक्षत्रजा पीडास्तस्कराग्नि समुद्भवा ता: सर्वा: प्रशमं यान्ति व्यासो ब्रुतेन
संशय:
इति श्री व्यासविरचित आदित्यादि नवग्रह स्तोत्रं संपूर्णं
- जपा के फूल की तरह जिनकी कान्ति है, कश्यप से जो उत्पन्न हुए हैं, अंधकार जिनका शत्रु है, जो सब पापों को नष्ट कर देते हैं, उन सूर्य भगवान् को मैं प्रणाम करता हूँ.
- दही, शंख अथवा हिम के समान जिनकी दीप्ति है, जिनकी उत्पत्ति क्षीर-समुद्र से है, जो शिवजी के मुकुट पर अलंकार की तरह विराजमान रहते हैं, मैं उन चन्द्रदेव को प्रणाम करता हूँ.
- पृथ्वी के उदर से जिनकी उत्पत्ति हुई है, विद्युत्पुंज के समान जिनकी प्रभा है, जो हाथों में शक्ति धारण किये रहते हैं, उन मंगल देव को मैं प्रणाम करता हूँ.
- प्रियंगु की कली की तरह जिनका श्याम वर्ण है, जिनके रूप की कोई उपमा नहीं है, उन सौम्य और गुणों से युक्त बुध को मैं प्रणाम करता हूँ.
- जो देवताओं और ऋषियों के गुरु हैं, कंचन के समान जिनकी प्रभा है, जो बुद्धि के अखण्ड भण्डार और तीनों लोकों के प्रभु हैं, उन बृहस्पति को मैं प्रणाम करता हूँ.
- तुषार, कुन्द अथवा मृणाल के समान जिनकी आभा है, जो दैत्यों के परम गुरु हैं, उन सब शास्त्रों के अद्वितीय वक्ता शुक्राचार्यजी को मैं प्रणाम करता हूँ.
- नील अंजन के समान जिनकी दीप्ति है, जो सूर्य भगवान् के पुत्र तथा यमराज के बड़े भ्राता हैं, सूर्य की छाया से जिनकी उत्पत्ति हुई है, उन शनैश्चर देवता को मैं प्रणाम करता हूँ.
- जिनका केवल आधा शरीर है, जिनमें महान पराक्रम है, जो चन्द्र और सूर्य को भी परास्त कर देते हैं, सिंहिका के गर्भ से जिनकी उत्पत्ति हुई है, उन राहु देवता को मैं प्रणाम करता हूँ.
- पलाश के फूल की तरह जिनकी लाल दीप्ति है, जो समस्त तारकाओं में श्रेष्ठ हैं, जो स्वयं रौद्र रूप और रौद्रात्मक हैं, ऐसे घोर रूपधारी केतु को मैं प्रणाम करता हूँ.
- व्यास के मुख से निकले हुए इस स्तोत्र का जो सावधानीपूर्वक दिन या रात्रि के समय पाठ करता है, उसकी सारी विघ्न बाधायें शान्त हो जाती हैं.
- संसार के साधारण स्त्री पुरुष और राजाओं के भी दुःस्वप्न जन्य दोष दूर हो जाते हैं.
- किसी भी ग्रह, नक्षत्र, चोर तथा अग्नि से जायमान पीड़ायें शान्त हो जाती हैं. इस प्रकार स्वयं व्यास जी कहते हैं, इसलिए इसमें कोई संशय नहीं करना चाहिए
रविवार, 11 अप्रैल 2021
ना ये वक़्त मेरा है, ना ये वक़्त तेरा है.../ ग़ज़ल (१९९८) / अरुण मिश्र
बुधवार, 7 अप्रैल 2021
घर जाने दे छाँड़ मोरी बइयां.../ बन्दिश दरबारी कान्हड़ा / साँवर मल कथक
https://youtu.be/n_Jb_6G8pTs
घर जाने दे छाँड़ मोरी बईयां
सोमवार, 5 अप्रैल 2021
हमारी साँसों में आज तक वो हिना की खुशबू महक रही है.../ गीत : तस्लीम फ़ाज़ली (१९४७-१९८२) / स्वर : मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहाँ (१९२६-२०००)
https://youtu.be/2KEF2ZQRWyU
चित्रपट : मेरे हुज़ूर (१९७७, पाकिस्तान)
गीतकार : तस्लीम फ़ाज़ली (१९४७-१९८२)
गायक : मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहाँ (१९२६-२०००)
संगीतकार : ऍम. अशरफ़ (१९४२-२००७)
Noor Jehan
(born Allah Wasai; 21 September 1926 ; died 23 December 2000;) also
known by her honorific title Malika-e-Tarannum (the queen of melody),
was a Pakistani playback singer and actress who worked first in British
India and then in the cinema of Pakistan. Her career spanned more than
six decades (the 1930s–1990s). She was renowned as one of the greatest
and most influential singers of all time especially throughout South Asia
and was given the honorific title of Malika-e-Tarannum in Pakistan. She
had a command of Hindustani classical music as well as other music
genres. Along with Ahmed Rushdi, she holds the record for having given
voice to the largest number of film songs inthe history of Pakistani cinema.
She is estimated to have made more than 40 films and sung around 20,000
numbers during a career which lasted more than half a century. She is
thought to be one of the most prolific singers of all time. She is also
considered to be the first female Pakistani film director.
Taslim Fazli
Pakistani poet, famous for his Gazal "रफ़्ता-रफ़्ता वो मेरे हस्ती का सामां हो गए"
His real name was Izhar Anwar and he was born in Delhi in 1947. He was
brother of famous Indian poet Nida Fazli. He was married to Pakistani
actress Nisho and died on August 17, 1982.
M. Ashraf or Muhammad Ashraf
(1 February 1942 – 4 February 2007) was a Pakistani film composer.
In the early 1960s, he first started as one member of the music directors
duo of Manzoor - Ashraf in the Pakistan film industry. By the end of his
45 years long career, he had composed more than 2,000 film songs for
over 400 films compared to any other music directors in Pakistan.
शनिवार, 3 अप्रैल 2021
निरखत सिया जी कंगनवाँ हो रामा.../ चैती / मैथिली ठाकुर
https://youtu.be/5BhocQVZDTQ
निरखत सिया जी कंगनवाँ हो रामा
छवि रघुवर की
निरखत सिया जी कंगनवाँ हो रामा
छवि रघुवर की
निरखत सिया जी कंगनवाँ हो रामा
छवि रघुवर की
निरखत सिया जी कंगनवाँ
कंगनवाँ
कंगनवाँ
निरखत सिया जी कंगनवाँ हो रामा
छवि रघुवर की
टारत नाहीं, टेक रही कर
टारत नाहीं, टेक रही कर
टारत नाहीं, टेक रही कर
झाँकी देख मगनवा हो रामा
छवि रघुवर की
निरखत सिया जी कंगनवाँ हो रामा
छवि रघुवर की
निरखत सिया जी कंगनवाँ हो रामा
छवि रघुवर की
निरखत सिया जी कंगनवाँ हो रामा
छवि रघुवर की
शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021
आदि देव महादेव हे दयानिधे ! / स्वामी तेजोमयानन्द / विदुषी कौशिकी चक्रवर्ती
https://youtu.be/ohTnNK2ep4A
रचना : स्वामी तेजोमयानन्द
राग : कल्याणी
ताल : आदि
नीलकण्ठ पार्वतीश हे कृपानिधे !
आदि देव महादेव हे दयानिधे !!
नमस्तेस्तु विश्वेशर त्र्यम्बकेश गङ्गाधर
नन्दिकेश भालचन्द्र हे पशुपते !
आदि देव महादेव हे दयानिधे !!
कृपा करो दुःख हरो हर्ष भरो हे शंकर !
ह्रदय कञ्ज सदा बसो हे शिव करुणानिधे !
आदि देव महादेव हे दयानिधे !!
गुरुवार, 1 अप्रैल 2021
नव गौर वरम...(शची सुत अष्टकं) / श्री चैतन्य महाप्रभु स्तुति / रचना : श्रीला सार्वभौम भट्टाचार्य / स्वर : नेहा सोबती एवं निर्दोष सोबती
https://youtu.be/QusA7RwH6eA
Credits: Song - Nava Gaur Varam - Sacisuta Ashtakam Lyrics - Srila Sarvabhauma Bhattacharya Singers - Neha Sobti, Nirdosh Sobti Music Composer - Nirdosh Sobti Music Label/Publisher - Madhavas Rock Band Namabhakti Devi Dasi (Bass Guitar), Nikhil Ramesh Singh - (Piano) Guitar - Nilesh Narsayya Deshwani Mridangam - Ravi Parmar
saint. Devotees consider him an incarnation of Krishna.
Chaitanya Mahaprabhu's mode of worshipping Krishna with
ecstatic song and dance had a profound effect on Vaishnavism
in Bengal. He was also the chief proponent of the Vedantic
philosophy of Achintya Bheda Abheda. Mahaprabhu founded
Gaudiya Vaishnavism (a.k.a. Brahma-Madhva-Gaudiya
chanting of the Hare Krishna Maha-mantra. He composed the
Shikshashtakam (eight devotional prayers).
Chaitanya means "one who is conscious" (derived from Chetana,
which means "Consciousness"); Maha means "Great" and Prabhu
Chaitanya was born as the second son of Jagannath Mishra and his
According to Chaitanya Charitamrita, Chaitanya was born in
as Vishvambhar Mishra on 18 February 1486 in present-day Nadia,
West Bengal, India, into a Brahmin family, to Jagannath Mishra
and his wife Sachi Devi. His childhood nickname was Nimai.
He died on 14 June,1534 at the age of 48, in Puri.