जुगनू तक से ले रश्मि-रेख
- अरुण मिश्र
"गुलजार चमन को करने को, आओ मिल कर लायें बहार।
सूखे मरुथल हित, बादल से, मांगें थोड़ी शीतल फुहार।
सूरज, चंदा, तारे, दीपक, जुगनू तक से ले रश्मि-रेख ;
जीवन में कुछ उजास भर लें, मेटें कुछ मन का अंधकार ।।"
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