गोमती-आरती
-अरुण मिश्र
जयति जय-जय,
जयति जय-जय,
जयति जय-जय,
जयति जय।
जय गोमती, जय गोमती,
जय गोमती, जय गोमती।।
तुम आदि गंगा हो रुचिर,
दुहिता महर्षि वशिष्ठ की।
जलदायिनी, फलदायिनी,
वरदायिनी हो अभीष्ट की।।
छू चरण नैमिष तीर्थ का,
पुर लक्ष्मण मुख चूमती।
जय गोमती, जय गोमती,
जय गोमती, जय गोमती।।
जय पुण्यसलिला, सदानीरा,
निर्मला, रुचिरा नदी।
कलि-कलुष नाशिनि, माँ-
सुहासिनि चन्द्रिका की कौमुदी।।
हो अवध का हिय-हार, निज
रस-धार से भू सींचती।
जय गोमती, जय गोमती,
जय गोमती, जय गोमती।।
चित्रित अवध का भू-पटल
कर, शस्य-श्यामल रंग में।
लहती परम विश्रान्ति माँ,
हो कर समाहित गंग में।।
करतीं तरंगित हर हृदय,
तेरी तरंगें झूमती।
जय गोमती, जय गोमती,
जय गोमती, जय गोमती।।
शोभित मनोहर घाट हों सब;
स्वच्छ, सुन्दर कूल हो।
माँ ! नित्य मज्जन-पान हित,
जल सर्वथा अनुकूल हो।।
तव तीर-वासी-जन सदा,
गाते सुमंगल आरती।
जय गोमती, जय गोमती,
जय गोमती, जय गोमती।।
जयति जय-जय,
जयति जय-जय
जयति जय-जय,
जयति जय।
जय गोमती, जय गोमती,
जय गोमती, जय गोमती।।
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