मंगलवार, 24 मार्च 2015

अंकुर तुम बनो आम्र वृक्ष...

अंकुर तुम बनो आम्र वृक्ष...  







  प्रिय पुत्र चिरंजीव अंकुर  की पहली 
  वर्ष गाँठ पर लिखी यह कविता, आज उसके 
  जन्म दिवस पर प्रस्तुत कर रहा हूँ | यह 
  आशीर्वाद हर पिता की ओर से,हर पुत्र को मिले | 
  मेरे काव्य संग्रह 'अंजलि भर भाव के प्रसून ' से 
  साभार |  - अरुण मिश्र.

 

पूर्वप्रकाशित

 

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