श्रद्धांजलि
‘अब्दुल कलाम’
भारत की प्रतिभा की प्रतिकृति,
भारत की मेधा प्रबल, मुखर।
भारत की आँखों के सपने,
भारतीय कंठ के गौरव-स्वर।।
चेहरे पर थीं सुन्दर आँखें ,
आँखों में थे सुन्दर सपने।
सपनों में था सुन्दर भविष्य,
तेरे संग स्वप्न बुने सब ने।।
सब की आँखों को सपना दे,
सबको दिखला कर नई डगर।
तुम चले गये हे महामना !
तज कर शरीर अपना नश्वर।।
हैं साश्रु नयन, अवरुद्ध गिरा,
नत-शीश समर्पित है सलाम।
युग-युग तक गूँजे भारत में
यह मधुर नाम 'अब्दुल कलाम’।।
*
-अरुण मिश्र
२८/०७/२०१५
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें