कवित्त
-अरुण मिश्र
झूम उठ्यो सगरो ब्रज मंडल,
होरी कै धूम - धमाल भयो है।
कारे-कन्हैया पे दूजो है रंग
चढ़्यो, यहु खूब कमाल भयो है।
राधा के रंग में स्याम रंगे,
अरु राधेहु कै अस हाल भयो है।
कान्हा के हाथ लगे न अबै,
तबहूँ कस गाल गुलाल भयो है।।
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