रविवार, 12 मार्च 2017

होरी की भोर में-----





कवित्त

-अरुण मिश्र 

होरी की भोर में, नन्द-किसोर ने, 
लाग्यो है  कीन्ही, बिसेस तयारी।
झोरी   अबीर   की,   कॉधे   धरी, 
अरु  हाथ लई है,  नई पिचकारी।
पातन बीच  लुकाइ के, घात सों, 
गोरी  पे,  रंग  की  धार  जु डारी।
कॉकरि  मारी,  न  गागरि फोरी, 
अचंभित राधा, भिजी कत सारी।।
                    * 

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