सागर तट, पुरी |
सागर की ये फेनिल लहरें ....
सागर की ये फेनिल लहरें
मुझे देख कर कितनी खुश हैं।
पैरों तक दौड़ी आती हैं;
कुछ मीठे स्वर में गाती हैं।
हाल पूँछतीं
कहो सखा
तुम कहाँ खो गए थे इतने दिन ?
दुनिया के किन जंजालों में ?
बहुत दिनों के बाद मिले हो।
क्या ये मुझ को नहीं पता है ,
जितनी हलचल मेरे उर में ,
उतनी ही तेरे भी मन में ?
आओ बैठो ,
बहुत-बहुत बातें करते हैं।
बहुत दिनों के बाद मिले हो।।
*
- अरुण मिश्र
१७. ०९. २०१७ , रविवार , प्रातः
पुरी सागर तट।
(सभी मित्रों को समर्पित )
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