गुरुवार, 21 सितंबर 2017

सागर की ये फेनिल लहरें ....

 सागर तट, पुरी 













सागर की ये फेनिल लहरें .... 

सागर की ये फेनिल लहरें 
मुझे देख कर कितनी खुश हैं। 
पैरों तक दौड़ी आती हैं; 
कुछ मीठे स्वर में गाती हैं। 

हाल पूँछतीं 
कहो सखा 
तुम कहाँ खो गए थे इतने दिन ?
दुनिया के किन जंजालों में ? 
बहुत दिनों के बाद मिले हो।

क्या ये मुझ को नहीं पता है ,
जितनी हलचल मेरे उर में , 
उतनी ही तेरे भी मन में ?

आओ बैठो ,
बहुत-बहुत बातें करते हैं। 
बहुत दिनों के बाद मिले हो।।
                 *
- अरुण मिश्र 
१७. ०९. २०१७ , रविवार , प्रातः 
पुरी सागर तट। 

(सभी  मित्रों को समर्पित )

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