https://youtu.be/OEDTv4zs1Q4
के लत बस्यो...रचना : डॉ. प्रदीप मैनाली
गायन : तिलक सिंह पेला
गायन : तिलक सिंह पेला
के लत बस्यो मलाई, कहिले सुधार हुन्छ
एक दिन तिमी नबोल्दा, यो दिल बिमार हुन्छ
साथी रहेछ दुःख, हर पल सवार हुन्छ
सुख पाहुना रहेछन्, छुटनै हतार हुन्छ
पानी परेर धर्ती आकाश होस् सुन्दर
धर्ती बनेर तिम्रो के नै बिगार हुन्छ ?
खोला नदी समुन्द्र जे नाम होस् न आखिर
अस्तित्व राखि राखे मात्रै किनार हुन्छ
हिन्दी अनुवाद (गूगल से)
मैं तो आदी हूँ, यह कब सुधरेगा?
एक दिन तुम नहीं बोलते, तो यह दिल बीमार हो जाता है।
दु:ख मित्र है, पल-पल उसकी सवारी होती है
सुख अतिथि है, उसे जाने की जल्दी है
बारिश से धरती और आसमान सुंदर हो जाते हैं
यदि आप धरती बन जाएँ तो आपका क्या बिगड़ेगा?
छोटी नदियाँ, नदियाँ, समुन्द्र, जो भी नाम न हो
उनका अस्तित्व मात्र किनारा है
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