शुक्रवार, 22 नवंबर 2024

बहे निरन्तर अनन्त आनन्दधारा.../ रवीन्द्र नाथ टैगोर / गायन : पण्डित अजय चक्रवर्ती

https://youtu.be/1IZwVjfBSeg  

बहे निरन्तर अनन्त आनन्दधारा ॥
बाजे असीम नभोमाझे अनादि रब,
जागे अगण्य रबिचन्द्रतारा ॥
एकक अखण्ड ब्रह्माण्डराज्ये
परम-एक सेइ राजराजेन्द्र राजे।
बिस्मित निमेषहत   बिश्ब चरणे बिनत,
लक्षशत भक्तचित बाक्यहारा ॥

English Translation 

Eternally flows the never-ending 
stream of happiness 
Resonates in the infinite space the primal sound 
Awakens the innumerable suns, moons and stars, 
In the unified unbroken universe 
Reigns supreme the one King of Kings 
In amazement the world bows in humility And millions of devotees in speechless wonderment.

-Translated by Ratna De.

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