https://youtu.be/1UuLJjA_lnQ
जो लोग तेरी मुहब्बत में चूर रहते हैं
वो दो जहां के अँधेरों से दूर रहते हैं
ख़ता न कर के हम हैं गुनाहगार मगर
कुसूर कर के भी वो बेकुसूर रहते हैं
ग़म-ए-ज़माना को कैसे मैं दूं जगह दिल में
के इस मकां में तो हर दम हुज़ूर रहते हैं
तेरी घनेरी सियाह काकुलों के पिछवाड़े
गुलों के रंग सितारों के नूर रहते हैं
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