https://youtu.be/cF5zOQjUdkU
अब उनका क्या भरोसा वो आयें या न आयें
आ ऐ ग़म-ए-मोहब्बत तुझ को गले लगायें
आ ऐ ग़म-ए-मोहब्बत तुझ को गले लगायें
उस से भी शोख़तर हैं उस शोख़ की अदाएँ
कर जायें काम अपना लेकिन नज़र न आयें
आलूदा आब ही में रहने दे इसको नासेह
दामन अगर झटक दूँ जलवे कहाँ समायें
इक ज़ाम-ए-आख़िरी तो पीना है और साक़ी
अब दस्त-ए-शौक़ काँपे या पाँव लड़खड़ायें
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