रविवार, 1 जून 2025

अब उनका क्या भरोसा वो आयें या न आयें.../ शायर : जिगर मुरादाबादी / गायन : मीनू पुरुषोत्तम

https://youtu.be/cF5zOQjUdkU  

अब उनका क्या भरोसा वो आयें या न आयें
आ ऐ ग़म-ए-मोहब्बत तुझ को गले लगायें

उस से भी शोख़तर हैं उस शोख़ की अदाएँ 
कर जायें काम अपना लेकिन नज़र न आयें

आलूदा आब ही में रहने दे इसको नासेह
दामन अगर झटक  दूँ  जलवे कहाँ समायें

इक ज़ाम-ए-आख़िरी तो पीना है और साक़ी 
अब दस्त-ए-शौक़ काँपे या पाँव लड़खड़ायें

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