रविवार, 5 अक्टूबर 2025

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए.../ शायर : अनवर मिर्ज़ापुरी / गायन : दीक्षा तूर

https://youtu.be/JTxTb5tqJNw   

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए
न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए


मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल न जाए
मिरा जाम छूने वाले तिरा हाथ जल न जाए


अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी
तिरा रिंद गिरते गिरते कहीं फिर सँभल न जाए


मिरी ज़िंदगी के मालिक मिरे दिल पे हाथ रखना
तिरे आने की ख़ुशी में मिरा दम निकल न जाए


मुझे फूँकने से पहले मिरा दिल निकाल लेना
ये किसी की है अमानत मिरे साथ जल न जाए

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