रविवार, 4 मार्च 2012

रंग का एक नाम फागुन है................




-अरुण मिश्र.

सुब्ह  फागुन  है,  शाम  फागुन  है। 
जश्न - ए - खासो-आम  फागुन  है॥


सूखे   चेहरों  पे   भी   आई   रंगत।
रंग   का   एक   नाम   फागुन   है॥


जो  मिले,  रंग में  अपने  रंग  लो।
पूछो  मत  नाम-धाम,  फागुन  है॥


रंग, पिचकारी औ' बच्चों की हँसी।
बस  यही   ताम-झाम  फागुन  है॥


बाबा   देवर  लगे   हैं  फागुन   में।
इस  क़दर  बे-लगाम  फागुन   है॥


इसके आँखों की प्यास फागुन है
उसकी आँखों का ज़ाम फागुन है 


मौसमों  की   तमाम  हैं    ग़ज़लें।
मस्तियों  का  कलाम  फागुन  है॥
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