वो दर्या है मगर प्यासा बहुत है…
-अरुण मिश्र.
वो दर्या है, मगर प्यासा बहुत है।
समन्दर से, उसे आशा बहुत है॥
वो झुक कर, सब के तलवे चाटता है।
उसे शोहरत की, अभिलाषा बहुत है॥
मेरी आँखों से टपकें, उसके आँसू।
मोहब्बत की, ये परिभाषा बहुत है॥
प्रतीक्षा, आख़िरी दम तक है जायज़।
अनागत की, तो प्रत्याशा बहुत है॥
न हिन्दी से, न कुछ उर्दू से मतलब।
'अरुन' को, प्यार की भाषा बहुत है॥
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