शुक्रवार, 5 जून 2015

विश्व पर्यावरण दिवस, ५, जून पर विशेष ...............

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पर्यावरण वन्दना

- अरुण मिश्र

वन्दना  करिये  धरा  की;
धरा   के   पर्यावरण  की।।

          झर    रहे   निर्झर   सुरीले,
          और नदियाँ बहें कल-कल।
          ताल, पोखर,  झील, सागर,
          हर तरफ  है,  नीर  निर्मल।।


चर-अचर जिसमें सुरक्षित,
स्नेहमय उस आवरण की।।


         मन्द,  मन्थर  पवन शाीतल;
         आँधियों   का   तीव्रतर स्वर।
         सर्वव्यापी     वायु    पर    ही,
         प्राणियों   की   साँस   निर्भर।।


जीव-जग-जीवनप्रदायिनि-
प्रकृति के, शुभ आचरण की।।


         अन्न   के   भण्डार   दे   भर,
         भूमि  उर्वर,   शस्य-श्यामल।
         भूख     सबकी     मेटने   को-
         वृक्ष,   फलते  हैं   मधुर  फल।।


माँ   धरा    की    गोद    के,
इस मोदमय वातावरण की।।

                        *
(काव्य-संग्रह 'कस्मै देवाय' से साभार)

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