वॉव ! ग्रेट ! फोर्टीन्थ सेप्टेम्बर !
-अरुण मिश्र
कोल्कता की हिंदी मइय्या।
मुम्बई वाले हिंदी भइय्या।
चेन्नै वाली हिंदी अम्मा।
नाचे हिंदी छम्मा-छम्मा।।
हिंदी दिवस मनायें छक कर।
वॉव ! ग्रेट ! फोर्टीन्थ सेप्टेम्बर।।
दुनिया भर की हुई दुलारी।
शोर-शराबा है सरकारी।
हिंदी एक रोज़ की रानी।
दुहराती हर साल कहानी।।
हिंदी दिवस मनायें छक कर।
वॉव ! ग्रेट ! फोर्टीन्थ सेप्टेम्बर।।
पैसे वाले, नेता, अफ़सर।
झाड़ रहे हिंदी पर लेक्चर।
हिंदी के भविष्य को लेकर,
चिंतित सारे व्हाइट कॉलर।।
हिंदी दिवस मनायें छक कर।
वॉव ! ग्रेट ! फोर्टीन्थ सेप्टेम्बर।।
बाबा लोग गए स्कूल।
हॉर्स राइडिंग, स्विमिंग पूल।
ललुआ, बुधुआ शाला जाते।
डर्टी, डैम फूल कहलाते।।
हिंदी दिवस मनायें छक कर।
वॉव ! ग्रेट ! फोर्टीन्थ सेप्टेम्बर।।
गाने बजा-बजा बाज़ारू।
ख़ुश हैं सारे ब्रो बीमारू।
हमने भी की फ़र्ज़-अदाई।
कुछ मन की पीड़ा छलकायी।।
हिंदी दिवस मनायें छक कर।
वॉव ! ग्रेट ! फोर्टीन्थ सेप्टेम्बर।।
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