ज़िस्म ये रूह है, मिट्टी है, ख़ला है, क्या है ?
-अरुण मिश्र
ज़िस्म ये रूह है, मिट्टी है, ख़ला है, क्या है ?
नूर है, आग है, पानी है, हवा है, क्या है ?
साँस की बंसरी को रोज़ नये सुर देता;
कोई फ़नकार है, शायर है, ख़ुदा है, क्या है ?
कभी डसती, कभी लहराती, कभी छा जाती;
कोई नागिन है, ज़ुल्फ़ है कि, घटा है, क्या है?
आँखें इस्रार करें, लब पे मुसल्सल इन्कार;
कोई आदत है कि, ज़िद है कि, अदा है,क्या है?
इश्क़ को हुस्न के रखते हो मुक़ाबिल जो, 'अरुन ';
है ये ख़ुद्दारी, जुनूँ है कि, अना है, क्या है ?
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