बुधवार, 18 जुलाई 2018

आया सावन रिझा रहे बादल....

















आया सावन रिझा रहे बादल..


-अरुण मिश्र

आया   सावन,   रिझा   रहे   बादल।
मुझको  छत  पर  बुला  रहे  बादल।।

छत की ख़ल्वत औ' अब्र का मौसम।
चाह    मीठी,    जगा    रहे    बादल।।

धुन   जो   लब   से   तेरे   चुराये   हैं।
कानो   में    गुनगुना    रहे    बादल।।

तेरे     भेजे     हुए    से    लगते    हैं।
हर   अदा   से   लुभा    रहे   बादल।।

याद  पर  याद  आ  रही  है  'अरुन'।
बादलों   पर   हैं   छा   रहे    बादल।।
                           *




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