छलकाये अपने खूँ के जाम।
कारगिल के वीर तुमको,
कारगिल के वीर तुमको,
देश का सौ-सौ सलाम।।
धूर्त दुश्मन जब घुसा,
धूर्त दुश्मन जब घुसा,
घर में हमारे चोर सा।
बंकरों में जब हमारे
बंकरों में जब हमारे
ही जमाया मोरचा।
उसपे थीं लंदन की सिगरेट्स,
उसपे थीं लंदन की सिगरेट्स,
तुम पे जूते तक नहीं।
लात फिर भी खा तुम्हारी,
लात फिर भी खा तुम्हारी,
पैर रख सर पर भगा।।
तुम हिमानी चोटियों पर
तुम हिमानी चोटियों पर
टांक आये अपना नाम।
कारगिल के वीर तुमको,
कारगिल के वीर तुमको,
देश का सौ-सौ सलाम।।
वीरता के आवरण में,
वीरता के आवरण में,
शूरता का आचरण।
शत्रुओं के शीश पर,
शत्रुओं के शीश पर,
शोभित हुये विजयी चरण।
देख कर पुरुषार्थ, रण में
मृत्यु तक मोहित हुई।
डालकर जयमाल, जय का,
डालकर जयमाल, जय का,
कर लिया तेरा वरण।।
उन शहीदों पर वतन के,
उन शहीदों पर वतन के,
है निछावर ये कलाम।
कारगिल के वीर तुमको,
कारगिल के वीर तुमको,
देश का सौ-सौ सलाम।।
एक-एक, चोटी को तुमने,
एक-एक, चोटी को तुमने,
खून से सींचा जवान।
जान की बाज़ी लगा दी,
जान की बाज़ी लगा दी,
औ' बचा ली माँ की आन।
है तेरी कुर्बानियों के रंग से
है तेरी कुर्बानियों के रंग से
रंगी हुई, आज की ये जश्ने-
आज़ादी, तिरंगे की ये शान।।
सज गये गौरव-मुकुट से,
भाल-भारत के ललाम।
कारगिल के वीर तुमको,
कारगिल के वीर तुमको,
देश का सौ-सौ सलाम।।
*
(संग्रह 'न जाने किन ज़मीनों से' से साभार )
२७ जुलाई , २०१५ को पूर्वप्रकाशित
*
(संग्रह 'न जाने किन ज़मीनों से' से साभार )
२७ जुलाई , २०१५ को पूर्वप्रकाशित
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें