ख़बरम रसीद इम शब ...
- अमीर ख़ुसरो
भावानुवाद - अरुण मिश्र
Khabaram raseeda imshab
ke neggaar khuah-e aamad.
Sar-e man fidaa-e raah-e
ke sawaar khuah-e aamad.
है खबर मिली कि, इस शब,
महबूब यार आवे।
सर राह में बिछा दूँ,
जिस रह, सवार आवे।
Hama ahwaan-e sahra
sar-e khud nihada bar kaf,
Ba-umeed-e aanke rooz-e
ba shikar khuahi aamad.
सहरा के सारे आहू,
लिए हाथों में सर अपने
करें इंतज़ार, कब वो
करने शिकार आवे।
Kashish_e ki ishq daarad
naguzaradat badinsaa;
Ba-janazah gar nayai
ba-mazaar khuahi aamad.
ये इश्क़ की कशिश है,
लेने न चैन देगी
जो जनाज़े में न आये
तो जहाँ मज़ार, आवे।
Ba labam raseeda jaanam
tu biya ke zinda maanam.
pas az-aan ke man na-maanam
ba chee kar khuahi aamad.
जां है लबों पे आयी
तू आ कि रहूं ज़िंदा जब मैं ही न रहूँगा
फिर कौन क़ार आवे।
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ख़्वाही आमद -आएगा / आहू - हरिण / क़ार - कार्य (काम )
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