शनिवार, 3 जून 2023

कभी तो खुल के बरस.../ शायर : प्रेम वार्बरतोनी / गायन : चित्रा सिंह

https://youtu.be/jX--0DT2yu8 

कभी तो खुल के बरस अब्र-ए-मेहरबां की तरह मेरा बजूद हैं जलते हुए मकां की तरह

मैं एक ख़्वाब सही आपकी अमानत हूँ मुझे संभाल के रखिएगा ज़िस्म-ओ-जाँ की तरह कभी तो सोच के वो शख़्स किस क़दर था बुलंद जो बिछ गया तेरे कदमों में आसमां की तरह बुला रहा हैं मुझे फिर किसी बदन का बसंत गुज़र ना जाये ये रुत भी कहीं ख़िज़ाँ की तरह

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