https://youtu.be/toK3KLzVjD8
आशियाने की बात करते हो...आशियाने की बात करते हो
दिल जलाने की बात करते हो
दिल जलाने की बात करते हो
सारी दुनिया के रंज-ओ-ग़म दे कर
मुस्कुराने की बात करते हो
(रंज = कष्ट, दुःख, आघात, पीड़ा)
हम को अपनी ख़बर नहीं यारों
तुम ज़माने की बात करते हो
ज़िक्र मेरा सुना तो चिढ़ के कहा
किस दीवाने की बात करते हो
हादसा था गुज़र गया होगा
किसके जाने की बात करते हो
रस्म-ए-उल्फ़त, ख़ुलूस, तर्ज़-ए-वफ़ा
किस ज़माने की बात करते हो
(रस्म-ए-उल्फ़त = प्रेम/ स्नेह की परम्परा),
(ख़ुलूस = सरलता और निष्कपटता, सच्चाई, निष्ठा),
(तर्ज़-ए-वफ़ा = वफ़ा की रीति/ ढंग)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें