https://youtu.be/GMFcyQzVDu4
ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगं
निर्मलभासित शोभित लिंगम् ।
जन्मज दुःख विनाशक लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥
जिनकी अर्चना स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवता करते हैं, जो निर्मल,
सुशोभित है और जो जन्मके दुखोंका विनाश करती है | शिव लिंगाष्टकम
श्लोक की रचना किसने की हे ? इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं हे हालां कि,
कई लोग मानते हे इस अष्टक की रचना आदि शंकराचार्य के द्वारा की गयी थी.
देवमुनि प्रवरार्चित लिंगं
कामदहन करुणाकर लिंगम् ।
रावण दर्प विनाशन लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥
जिनकी अर्चना देवता, ऋषि-मुनि करते हैं, जिन्होंने कामदेवका दहन
किया एवं जिन्होंने रावणके अहंकारको नष्ट किया | मैं उस सदाशिव लिंग
को बारम्बार प्रणाम करता हूं।
सर्व सुगंध सुलेपित लिंगं
बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम् ।
सिद्ध सुरासुर वंदित लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥
बुद्धि और विवेक का उत्थान करने वाला है। जो सदैव सुगंधमय, सुलेपित,
बुधिवर्धक, सिद्धों, सुरों, असुरों द्वारा पूजित है मैं उस सदाशिवलिंग को बारम्बार
प्रणाम करता हूं।
कनक महामणि भूषित लिंगं
फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम् ।
दक्ष सुयज्ञ निनाशन लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥
सर्पराजद्वारा शोभित होनेके कारण दैदीप्यमान है, दक्षयज्ञको विनाश करनेवाला है |
कुंकुम चंदन लेपित लिंगं
पंकज हार सुशोभित लिंगम् ।
संचित पाप विनाशन लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥
कमलों के हारसे सुसज्जित, संचित पापोंके विनाशक है |
देवगणार्चित सेवित लिंगं
भावै-र्भक्तिभिरेव च लिंगम् ।
दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥
जिसे भाव और भक्तिसे प्राप्त किया जा सकता है एवं जो करोडों सूर्यके समान
प्रकाशवान है |
अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं
सर्वसमुद्भव कारण लिंगम् ।
अष्टदरिद्र विनाशन लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥
उत्पतिका कारण, अष्ट दरिद्रका नाशक है |
सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगं
सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम् ।
परात्परं परमात्मक लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥
एवं देवों के वनके पुष्पद्वारा पूजित है, जो परात्पर, परमात्म स्वरूपी लिंग है |
लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
शिवके साथ प्रसन्नताको प्राप्त होता है |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें