https://youtu.be/mMbNwY-L6XE
गढ़ ते ग्वालिन उतरी हो शीश मही को माट । आडो कन्हैया व्हे रह्यो सो रोकी ब्रज बधू बाट । नागरी दान दे ।। मोहन जान दे ।
कहाँ की हो तुम ग्वालिनी कहाँ तुम्हरो धाम
बरसाने की ग्वालीनी, प्यारी
राधा मेरो नाम
मोहन जान दे ।
बरसाने की ग्वालीनी, प्यारी
राधा मेरो नाम
मोहन जान दे ।
वृन्दावन के कुञ्ज में अँचरा पकर्यो दौरि
नाम दान को लेत हो लाला चाहत हो कछु और
मोहन जान दे ।
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