शनिवार, 28 अक्तूबर 2023

मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे.../ शकील बदायूँनी / गायन : प्रतिभा सिंह बघेल

 https://youtu.be/yatjChKNqbs?si=n0F0AFld-w7pHvNf


मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा दे

मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ दे

मेरे दाग़-ए-दिल से है रौशनी इसी रौशनी से है ज़िंदगी

मुझे डर है मिरे चारा-गर ये चराग़ तू ही बुझा दे

मुझे छोड़ दे मिरे हाल पर तिरा क्या भरोसा है चारा-गर

ये तिरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर मिरा दर्द और बढ़ा दे

मेरा अज़्म इतना बुलंद है कि पराए शो'लों का डर नहीं

मुझे ख़ौफ़ आतिश-ए-गुल से है ये कहीं चमन को जला दे

वो उठे हैं ले के ख़ुम-ओ-सुबू अरे 'शकील' कहाँ है तू

तिरा जाम लेने को बज़्म में कोई और हाथ बढ़ा दे

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