गुरुवार, 10 जुलाई 2025

निर्भय निर्गुण गुण रे गाऊंगा.../ रचना : सन्त कबीर / मुख्य स्वर : आस्था मान्डले

https://youtu.be/_G5lsK8hEiA  


निर्भय निर्गुण गुण रे गाऊंगा
मूल-कमल दृढ़-आसन बांधूं जी
उल्‍टी पवन चढ़ाऊंगा
निर्भय निर्गुण ।। 


मन-ममता को थिर कर लाऊं जी 
पांचों तत्व मिलाऊंगा 
निर्भय निर्गुण ।। 


इंगला-पिंगला-सुखमन नाड़ी
त्रिवेणी पे हां नहाऊंगा
निर्भय-निर्गुण ।।  


पांच-पचीसों पकड़ मंगाऊं-जी 
एक ही डोर लगाऊंगा
निर्भय निर्गुण ।।


शून्‍य-शिखर पर अनहद बाजे जी
राग छत्‍तीस सुनाऊंगा
निर्भय निर्गुण ।।

कहत कबीरा सुनो भई साधो जी
जीत निशान घुराऊंगा ।
निर्भय-निर्गुण ।।

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