शुक्रवार, 4 जुलाई 2025

फ़र्ज़ करो.../ शायर : इब्न-ए-इंशा / गायन : छाया गांगुली

https://youtu.be/sN77sCYjXNI  


फ़र्ज़ करो हम अहल-ए-वफ़ा हों, फ़र्ज़ करो दीवाने हों
फ़र्ज़ करो ये दोनों बातें झूटी हों अफ़्साने हों

फ़र्ज़ करो ये जी की बिपता जी से जोड़ सुनाई हो
फ़र्ज़ करो अभी और हो इतनी आधी हम ने छुपाई हो

फ़र्ज़ करो तुम्हें ख़ुश करने के ढूँढे हम ने बहाने हों
फ़र्ज़ करो ये नैन तुम्हारे सच-मुच के मय-ख़ाने हों

फ़र्ज़ करो ये रोग हो झूटा झूटी पीत हमारी हो
फ़र्ज़ करो इस पीत के रोग में साँस भी हम पर भारी हो

फ़र्ज़ करो ये जोग-बिजोग का हम ने ढोंग रचाया हो
फ़र्ज़ करो बस यही हक़ीक़त बाक़ी सब कुछ माया हो

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