शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

सखिया सावन बहुत सुहावन.../ कजरी / रचना : भिखारी ठाकुर / गायन : चन्दन तिवारी

https://youtu.be/ogVrsO0i-AU  


सखिया सावन बहुत सुहावन, 
ना मनभावन अइलन मोर।

एक त पावस खास अमावस, 
काली घाटा चहुँओर॥ सखिया॥

पानी बरसत जिअरा तरसत, 
दादुर मचावन सोर॥ सखिया॥

ठनका ठनकत झिंगुर झनकत, 
चमकत बिजली ताबरतोर॥ सखिया॥

कहत ‘भिखारी’ बिहारी पियारी से, 
होई गइलन चित्त रे चोर॥ सखिया॥

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